देश विदेश

जीडीपी तय करने का मानक बदलेगा, सरकार मामले में जल्द ले सकती है फैसला

सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लिए नए आधार वर्ष (बेस ईयर) की तैयारी कर रही है. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) अगले कुछ महीनों में इसपर फैसला करेगा. मंत्रालय 2017-18 को नया आधार वर्ष बनाने पर विचार कर रहा है।

MOSPI सचिव प्रवीण श्रीवास्तव ने कहा कि MOSPI राष्ट्रीय खातों की एक नई श्रृंखला शुरू करने के लिए काम कर रहा है. मंत्रालय नए आधार वर्ष को अंतिम रूप देने से पहले उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण और उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण की प्रतीक्षा कर रहा है। उन्होंने कहा कि पहले जब जीडीपी की नई श्रृंखला के लिए 2011-12 को आधार वर्ष बनाया गया था, तब सरकार ने 2009-10 पर भी विचार किया था. लेकिन अर्थशास्त्रियों का मानना था कि 2009-10 वैश्विक और घरेलू तौर पर अच्छा वर्ष नहीं था इसलिए 2011-12 को जीडीपी की नई श्रृंखला का आधार वर्ष बनाया गया।

एक बार परिणाम आ जाने के बाद, आधार वर्ष को बदलने का प्रस्ताव संबंधित समितियों के समक्ष रखा जाएगा. आर्थिक सुधार को लेकर एक सवाल पर प्रवीण श्रीवास्तव ने कहा कि अभी टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी, क्योंकि आईआईपी, सीपीआई और डब्ल्यूपीआई डेटा नवंबर के पहले पखवाड़े (दो हफ्ते) में जारी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। बता दें कि इस वित्त वर्ष की जून तिमाही में जीडीपी छह साल के निचले स्तर 5 प्रतिशत पर आ गई।

सितंबर महीने के लिए आठ प्रमुख उद्योगों के हाल ही में जारी आंकड़ों में उत्पादन में 5.2 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. ये आठ उद्योग कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, सीमेंट, इस्पात, बिजली और उर्वरक हैं. पिछली बार जीडीपी 5 प्रतिशत के स्तर से नीचे 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही में गई थी. तब यह 4.3 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button