छत्तीसगढ़

दिव्यांग बच्चों की प्रस्तुति को देख लगा कि उनमें कुछ कर गुजरने की आकांक्षा है- राज्यपाल उइके

छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके आज यहां सर्किट हाउस में आकांक्षा लायन्स इंस्टीट्यूट ऑफ लर्निंग एंड एम्पावरमेंट द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल हुई। उन्होंने मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित करते हुए कहा कि ऐसा काम वही कर सकता है, जिनके मन में वास्तव में मानवीय संवेदना हो।

उन्होंने बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें देखकर ऐसा महसूस हुआ कि उनमें वाकई में कुछ कर गुजरने की आकांक्षा है। दिव्यांग बच्चे सामान्य बच्चों की तरह है। यदि उन पर ध्यान दिया जाए तो वे सामान्य बच्चों की तरह जीवनयापन कर सकते हैं, यहां तक उनमें कई अनोखी प्रतिभा भी सामने आ सकती है।

 राज्यपाल ने कहा कि हमें यह नहीं समझना चाहिए कि एक दिव्यांग छात्र एक सामान्य छात्र से किसी प्रकार से भिन्न है, न ही ऐसी किसी भावना का उनमें रोपण होने देना चाहिए।

उन्होंने हेलन केलर का उदाहरण देते हुए कहा कि वे न देख सकती थीं, न सुन सकती थीं, न बोल सकती थीं, फिर भी उन्होंने पढ़ाई की और कमाल कर दिया। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को एवं रवींद्रनाथ टैगोर को लिखे उनके पत्र पढ़ें तो कमाल की कल्पनाशीलता झलकती है। यदि किसी टीचर को लगा होता है कि हेलन कुछ नहीं कर पाने की स्थिति में हैं तो इतनी कमाल की शख्सियत हमारे बीच उभर कर सामने नहीं आतीं।

 राज्यपाल ने लुई ब्रेल से प्र्रेरणा लेने का आग्रह करते हुए कहा कि लूई ब्रेल अगर दृष्टिबाधित लोगों की क्षमताओं पर यकीन नहीं करते तो वो ब्रेल लिपि के आविष्कार के बारे में सोच भी नहीं पाते। सबसे पहले तो हमें यह महसूस करना है और इस तथ्य को जानना है कि दिव्यांगजनों में भी वो कमाल की क्षमता है जो एक सामान्य इंसान में होती है, जो उसे जीवन में असाधारण ऊंचाइयां प्रदान कर सकती है। हम अपनी शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करें कि दिव्यांगजन अपनी सीमाओं को तोड़कर वो सारी चीजें सीख सकें जो सामान्य बच्चों के लिए भी कठिन है।

राज्यपाल ने संगोष्ठी के विषय की संवेदनशीलता पर जोर देते हुए कहा कि ऐसे विषयों के समाधान के लिए शासकीय प्रयास तो होते हैं, पर सबसे पहले शुरूआत हमें अपने परिवार से करनी होगी। ऐसे बच्चे जिन परिवार में है, उन्हें चाहिए कि उन बच्चों के प्रति समान व्यवहार करें। उन्हें किसी भी तरह से कमतर होने का अहसास न कराएं।

 इस अवसर पर दिव्यांग बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। संगोष्ठी में आमंत्रित वक्ताओं को प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया। कार्यक्रम में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केशरीलाल वर्मा, हरिभूमि के प्रबंध संपादक हिमांशु द्विवेदी, भारतीय पुनर्वास परिषद् के सदस्य-सचिव सुबोध कुमार, आकांक्षा के चेयरमेन के.के. नायक तथा अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। 

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