छत्तीसगढ़

पीड़ितों की काउंसलिंग के लिए तकनीकी बारीकियां समझने कार्यशाला का आयोजन 

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आज राजधानी रायपुर में सखी वन स्टॉप सेंटर, उज्जवला गृह, स्वधार गृह, नारी निकेतन तथा परिवार परामर्श केन्द्रों के परामर्शदाताओं के लिए एक दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. प्रोमिला सिंह ने प्रतिभागियों को परामर्श तकनीक की बारीकियों से अवगत कराया। कार्यशाला में विशेष रूप से लैंगिक उत्पीड़न और घरेलू हिंसा से पीड़ितों की काउंसलिंग पर प्रकाश डाला गया। 

डॉ. प्रोमिला सिंह ने बताया कि परामर्श या काउंसलिंग सिर्फ बातचीत नहीं है, यह एक प्रकार का उपचार है। जैसे उपचार के पश्चात स्वास्थ्य में सुधार होता है उसी प्रकार काउंसलिंग के बाद सुधार का प्रभाव दिखाई देना चाहिए। काउंसलिंग का प्रभाव दवा से भी ज्यादा असरकारी होता है। इससे हम किसी व्यक्ति के संबंधों में बहुत अधिक सुधार ला सकते है।

डॉ. सिंह ने बताया कि परामर्श सेवा में महत्वपूर्ण है कि आप पीड़ित का विश्वास हासिल करें और उसके द्वारा दी गई जानकारी की गोपनीयता के बारे में आश्वस्त करें। कार्यशाला में परामर्श की जरूरत, घरेलू हिंसा को समझना, व्यक्ति का व्यवहार, अच्छी काउंसलिंग के प्रभाव, घरेलू हिंसा का परिवार पर प्रभाव, घरेलू हिंसा के संकेत, पीड़ितों को काउंसलिंग के माध्यम से मजबूत बनाना जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई।

परामर्शदाताओं ने 10 विभिन्न समूहों में बंटकर काउंसलिंग के विभिन्न पहलुओं और उसमें आने वाली समस्याओं पर चर्चा की और चार्ट के माध्यम से समझाया।  समाज कल्यााण बोर्ड के अध्यक्ष क्रिस्टीना एस. लाल ने बताया कि परामर्श एक महत्वपूर्ण तकनीक है। जिसे सही तरीके उपयोग किया जाए तो परिवार को बिखरने से बचाया जा सकता है।

महिला एवं बाल विकास द्वारा संचालित विभिन्न संस्थाओं में पीड़ित महिलाओं को सहायता प्रदान की जाती है। इसमें सेवा प्रदाताओं की जिम्मेदारी महत्वपूर्ण हो जाती है कि बेहतर परामर्श सेवा के माध्यम से वे संबंधित प्रकरणों का निराकरण कर सकें। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। 

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