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विशेष लेख – क्या कारण है कि आज गांधीजी असामयिक होते जा रहे – डॉ. चंद्रकांत रामचंद्र वाघ

दो अक्टूबर गांधी जी के बारे मे बहुत बताया गया जो हम बचपन से पढते आ रहे है । क्या कारण है कि आज गांधी जी असामयिक होते जा रहे हैं । वहीं उनके नाम का उपयोग जिन लोग कर रहे है आज जनता ने ही उन्हे क्यो ख़ारिज कर दिया । कुछ प्रश्न हैं जिनका उत्तर इन गांधी वादियों को तो देना चाहिए । इतिहास मे भी दर्ज है कि गांधी जी क्रांतिकारी विचारों से सहमत नही थे । पर आजादी के लिए दोनों रासतों का उपयोग कही भी गलत नहीं था । पर क्रांतिकारी गांधी जी का सम्मान भी बहुत करते थे । शहीद चंद्रशेखर आजाद को जब पहले बार आजादी के लिए पकडा गया तो जब उन्हे कोडे मारे गए तो गांधी जी जिंदाबाद भारत माता की जय के नारे लगाये । पर इतिहास का कटु सत्य है यह है कि गांधी जी ने अपने सिद्धांतों के अलावा किसी दूसरे मार्ग पर चलने वालो को कभी नहीं स्वीकारा यह भी इतिहास का एक अंग है । यही कारण है कि कभी भी आजादी के लिए मर मिटने वाले क्रांतिकारीयो को आतंकवादी तक कहा गया । यह भी इतना ही सच है कि अंग्रेजों को जो राजनीति सूट कर रही थी अंग्रेज उनके ही मुरीद थे । गांधी जी के अहिंसक आंदोलन से वे बिलकुल निश्चिंत और बेखौफ़ थे । इसीलिए वो सारी सुविधाएं इन्हे जेलों में मुहैया कराई गई जिससे इन्हे कोई शारीरिक तकलीफ न हो और स्वतंत्रता का यह बेजान सा आंदोलन लंबे समय तक चलता रहे और ये राज करते रहे । यही कारण है कि वीर सावरकर जी जैसे क्रांतिकारीयो को तेरह बाई सात फीट कालकोठरी मे रखा गया । वहीं शारीरिक और मानसिक यंत्रणा भी दी गई । पर यह क्रांतिकारी अपने उद्देश्य से नहीं हटे । वहीं गांधी जी को पुणे के आगा खां पैलेस मे रखा गया । जहां बा और गांधी जी के सहयोगी महादेव देसाई जी भी साथ थे । आजादी के इन परवानों पर अंग्रेज सरकार इतनी मेहरबानी क्यो थी ? स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयो मे फर्क ही यह बताता है कि इन लोगों को राजकीय अनुशंसा थी । इतिहास मे भी दर्ज है कि एक अहिंसा वादी आंदोलनकारी को कभी भी कहीं भी खरोंच तक नहीं आई । जब हरि गांधी जी ने इस्लाम कबूला और फिर बा के प्रयास से और आर्य समाज के सहयोग से जब पुनः हिंदू बने तो गांधी जी बा पर नाराज हुए थे कि क्यो इसे पुनः अपने धर्म मे लाया गया । इतनी नाराजगी वो भी जिसे राष्ट्र महात्मा मानता है ? क्या साधु महात्मा मे धैर्य सहनशीलता क्षमा से युक्त नहीं होना चाहिए यह मै अपने पाठकों पर ही छोड़ता हूँ । वहीं इंदिरा जी द्वारा फिरोज खान से शादी पर जब जवाहरलाल नेहरु जी नाराज थे तो यही गांधी जी ने फिरोज को अपना नाम गांधी दे दिया । जो आज तक चल रहा है । आज तक गांधी जी को नेहरू जी इतनी आसक्ति क्यो थी ? यह भी इतिहास का यक्ष प्रश्न है । जबकि नेहरू जी सिगार के शौकीन थे इसमे उनकी अनेक फोटो है । वहीं जो चर्चा रही है उसे मै खुद ही छोड़ रहा हू । क्या कारण था कि अपने बच्चो से ज्यादा राजनीतिक चिंता नेहरू जी के लिए थी । जब कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने लौह पुरुष पटेल का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए तय किया तो लोकतंत्र का सम्मान गांधी जी ने क्यो नही किया इस प्रश्न का उत्तर भी गांधी वादीयो को देना चाहिए। वहीं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी को भी जो गांधी जी के प्रत्याशी सीताभी पट्टा रमैयया को हराकर बने थे । तब गांधी जी ने ही स्वंय यह कहा था कि यह पटाभिरमैया की हार नहीं मेरी हार है । ऐसी परिस्थिति इन शांति वादी नेताओं ने खडी कर दी थी कि नेताजी को अंत मे अपने पद से इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा। फिर उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की । नेताजी ने आजाद हिन्द फौज के माध्यम से अपनी पहली सरकार बनाई । इस देश के पहले प्रधानमंत्री नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी थे । पर यह बात हमारे इतिहास का हिस्सा नहीं बन पाई। एक बात और महात्मा गाँधी जी के हत्या के बाद जैसे देश को बताया गया था कि गोडसे को माफ करने की बात की थी । इससे साफ होता है कि तत्कालीन नेताओं ने महात्मा गाँधी जी की बात नहीं मानी थी या महात्मा गांधी जी ने यह बात नहीं की थी । गांधी जी शराब के नशे के बिलकुल खिलाफ थे पर कब बंदिश लगाई गई। मात्र जन्मतिथि और पुणयतिथी मे बंदकर ही श्रद्धांजलि दी गई। आज स्थिति यह है कि सिर्फ वोट लेने का माध्यम गांधी जी रह गए हैं आचरण में लाने के लिए नहीं । राजनीति देखकर तो यह बात सौ फीसदी सही है । इस लेख मे प्रतिक्रिया बहुत आएंगी पर कटु सत्य है । जो इतिहास में दर्ज है । बस इतना ही
डॉ.चंद्रकांत रामचंद्र वाघ

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