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आलेख – तांडव पर तांडव, सत्तर साल मे हिंदुओं को छोड़कर कब किसी धर्म के बारे मे कुछ भी दिखाने का साहस किया है तो बताए

तांडव पर लिखने के लिए कुछ लोगों का अनुरोध आया हम धर्म निरपेक्ष देश है इसलिए लोगों को धर्म निरपेक्षता की अग्नि परीक्षा लेने का मौलिक अधिकार ही मिल गया है।  जब तक बहुसंख्यक समुदाय को आहत नहीं किया जाये तब तक धर्मनिरपेक्ष देश कैसे बन सकते है । जहां तक बालीवुड का सवाल है इन लोगों ने जो अब तक जो  परोसा वो सिर्फ अभिव्यक्ति की आजादी की चादर ओढकर इनहोने खूब हिंदू धर्म को लज्जित व प्रताड़ित किया इसमे तथाकथित  हिंदू जयचंदो का भी बहुत बडी भूमिका रही है।  सत्तर साल मे हिंदुओं को छोड़कर कब किसी धर्म के बारे मे कुछ भी दिखाने का साहस किया है तो बताए ?  वाह भई नसरूद्दीन शाह जाने भी दो यारो के बारे मे कह रहे हैं कि अब नहीं बन सकतीं मै भी कहता हू नहीं बन सकतीं।  हास्य कया किसी धर्म का माखौल उडाकर ही पैदा किया जा सकता है  । इस अभिव्यक्ति के नाम से सिर्फ फूहडता जो परोस रहे थे अब उसमे विराम लगाने का समय आ गया है  ।  है हिम्मत इन दोहरे चरित्र वाले अभिव्यक्ति के पुरोधाओं में कि कहीं और हाथ डाल सके । बहुत हो गया आजादी के नारों का समर्थन आजादी सिर्फ एक तरफा ही  क्यू चाहिए रहती है । मै पुनः तांडव पर आऊं क्यो नही बवाल उठे और किस बात की माफी और क्यो माफी ? हम किससे शिकायत करे जब हमारे बीच ही  दुर्भाग्य से वो यह हिंदू भी इसमे शामिल है जो पैसा कमाने के लिए अपने बाप तक को भी बेच दे फिर उनके लिए धर्म की महत्ता कहां रह सकती है।  इस बालीवुड मे खासियत है कि यह हमारा मजाक भी उठाए और हमी से पैसा कमाने का काम करते रहे है । पर लोगों मे अब धार्मिक जागरूकता और राजनीतिक जागरूकता का प्रादुर्भाव हो रहा है।  यही कारण है कि सत्तर साल मे जहां केंद्र से बेदखल हुए हैं वही अब पश्चिम बंगाल में भी यही स्थिति निर्मित हुई है।  तांडव पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी द्वारा एफआईआर दर्ज कराना निश्चित एक सराहनीय कदम है । अब तो जैसे समाचार आ रहे है कि उत्तर प्रदेश की पुलिस अब मुंबई पहुंच गई है ।  इस तरह के सख्त कदम वह भी कानूनी रूप से उठाने से आगे दूसरे बंदे भी इस तरह का दुःसाहस करने के लिए दस बार सोचेंगे  ।  हमारे सहिष्णुता का इन लोगों ने गलत अर्थ ही निकाल लिया है।  सहिष्णुता का मतलब यह कतई नहीं कि आपको माखौल उठाने का विशेषाधिकार मिल गया है।  हमारी आस्था क्या है कि इनको नहीं मालूम  ? जिस राममंदिर के लिए  हमने इतना पांच  सौ साल संघर्ष किया उस मर्यादा पुरुषोत्तम राम को निशाने मे ले लिया  । वहीं आराध्य शिवजी को निशाने मे ले लिया  । यही आमिर खान है जिसने अपने पी के मे भी शिवजी का उपहास उडाया और फिर दो  हिंदू लडकियों से शादी भी कि उसके बाद भी महाशय यह बोले कि यहां रहने मे डर लगता है।  तो लगने लगता है कि जिस थाली में खाते है उसमें ही छेद करते हैं।  कुल मिलाकर आप लोग अगर धर्मनिरपेक्षता के छत्री के नीचे इनके हर नाजायज और भद्दे मजाक के उपहास का हिस्सा बनते रहे जैसे अभी तक होता रहा है तो यह देश सेकयूलर है । पर कहीं आप जागरूक हो गये तो फिर यह देश असहिष्णु और रहने लायक नहीं है।  बस इन धर्मनिरपेक्षता के झंडाबरदारो की यही परिभाषा है।  तांडव पर जनमानस का आक्रोश और इस तरह की कार्यवाही अगर इनको सहज नहीं रख रही हैं तो इन्हे यह हर समय याद रखने की आवश्यकता है । वैसे भी जितने लोग जुड़े हैं सब लोग विवादास्पद लोग है।  कुछ लोग तो शाहीन बाग से अपने भविष्य तलाशते नजर आ रहे थे । कुछ नहीं ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने का समय आ गया था।  कोई कुछ भी कहे चाहे सांप्रदायिक या धर्मनिरपेक्षता का विरोधी पर इन लोगों की हरकतें सीमा पार हो चली थी जिसका हश्र यही होना था।  वहीं अमेजन ने यह पहले बार नहीं किया है इस तरह का दुःसाहस बाथरूम के टाइल्स को भी लेकर किया था बस दो शब्द साॅरी कहकर कुछ भी कर लो ?  यह हिंदू धर्म भावनाओं के खिलवाड़ को कब तक बर्दाश्त किया जाता रहेगा।  तुम्हारे वोटों के लालच के लिए हम कब तक निशाना बनते रहे। दुर्भाग्य है कि उन हिंदूओ को भी अपमान नहीं दिख रहा है यह सिर्फ राजनीति मे यह लोग इसके आदि हो गए हैं  । वैसे ही इंदौर में एक स्टैंडिंग कामेडियन ने भी यही किया।  भाई लोगों ने धंधा बना लिया है।  यह भी इन लोगों को गंवारा नहीं है।  यह आखिर वेब सीरीज और फिल्म होनी चाहिये। दूसरों के भावनाओ का सम्मान करना सीखना चाहिए । पर जो भी विरोध हो रहा है यह संवैधानिक तरीकों से हो रहा है। यह हमारे मौलिक अधिकार है । सभी धर्मो के लिए आदर सम्मान यह हमारा नैतिक कर्तव्य है । इतनी पारदर्शिता ऐसे कामों मे रहनी चाहिए। बस इतना ही डा . चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ 

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