राशिफल - अध्यात्म

आज गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर, ऐसे करें अपने गुरुओं को नमन..

आज गुरु पूर्णिमा है। उस गुरु की महिमा का बखान करने का दिन, जो हमें भगवान और सृष्टि से रुबरु कराता है। जो हमें जीवन जीना सिखाता है। जो दुनियादारी की हकीकतों से हमें वाकिफ कराता है। गुरु हमारी बंद आंखें खोलता है, ताकि हम अच्‍छा और बुरा का भेद जान सकें।

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन सनातन धर्म में गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में आती है। कोरोना संक्रमण के कारण गुरु वंदना भी ऑनलाइन हो रही है। समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में सफलता के शीर्ष पर बैठे लोग अपने-अपने तरीके से गुरु को याद कर रहे हैं।

जीवन में हम जो कुछ भी प्राप्त करते हैं कहीं न कहीं गुरु की कृपा का ही फल है। गुरु का मतलब शिक्षक से नहीं बल्कि गुरु माता-पिता, भाई, दोस्त किसी भी रूप में हो सकते हैं जिनका नाम सुनते ही हृदय में सम्मान का भाव जगता है। सम्मान प्रकट करने के लिए किसी दिन का नहीं बल्कि प्रत्येक दिन गुरु वंदनीय होते हैं। हालांकि, जीवन की आपाधापी में भौतिक रूप जीवन निर्माता के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने का मौका नहीं मिलता है। ऐसे में गुरु पूर्णिमा वो खास दिन होता है जहां हम भौतिक एवं मन दोनों ही रूप से गुरु की वंदना, सम्मान करते हैं।

शिक्षा की शुरुआत ही गुरु वंदना से होती है। कहा गया है, गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वर: गुरु: साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: यानी गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं। गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं। गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं। सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष सर्वोच्च ब्रह्म है। उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करता हूँ।

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सामाजिक व धार्मिक संगठनों की ओर से विशेष आयोजन कर गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है। कोरोना वायरस के कारण इस बार सभी जगहों पर सामूहिक कार्यक्रम को स्थगित कर अपने-अपने घरों में ही गुरु का पूजन करने को कहा जा रहा है।

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