गजब – इस चूहे ने जीता है बहादुरी का मैडल, हजारों की बचा ली जान ऐसे
अफ्रीकी नस्ल के एक विशाल चूहे ने कंबोडिया में सूंघ कर 39 बारूदी सुरंगों का पता लगाया था। इस दौरान 28 जिंदा विस्फोटकों का भी पता लगाया जिसके बाद इसको समय पर डिफ्यूज किया गया
आपने कभी किसी चूहे की बहादुरी के किस्से शायद ही सुने होंगे। गाहे बगाहे कुत्ते की वफादारी या हिम्मत की चर्चा तो आम है लेकिन एक चूहे की की गई इस बहादुरी भरे काम से सब हैरत में हैं। दरअसल अफ्रीकी नस्ल के एक विशाल चूहे ने अपनी सूझबूझ से हजारों लोगो की जान बचाई है। इस बहादुर चूहे को उसकी वीरता के लिए गोल्ड मेडल से सम्मानित भी किया गया है। हालाँकि मामला पुराना बताया जा रहा है।
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दरअसल अफ्रीकी नस्ल के एक विशाल चूहे ने कंबोडिया में सूंघ कर 39 बारूदी सुरंगों का पता लगाया था। इस दौरान 28 जिंदा विस्फोटकों का भी पता लगाया जिसके बाद इसको समय पर डिफ्यूज किया गया। इस वजह से हजारों लोगो की जिंदगी बच गई। अफ्रीकी नस्ल के इस बहादुर चूहे का नाम मगावा है, इसकी उम्र लगभग 7 साल है।
अफ्रीकी जाइंट पाउच्ड चूहे का नाम मागावा है और वह सात साल का है. उसने सूंघकर 39 बारूदी सुरंगों का पता लगाया. इसके अलावा उसने 28 दूसरे ऐसे गोला बारूद का भी पता लगाया जो फटे नहीं थे. ब्रिटेन की एक चैरिटी संस्था पीडीएसए ने इस चूहे को सम्मानित किया.
मागावा ने दक्षिण पूर्व एशियाई देश कंबोडिया में 15 लाख वर्ग फीट के इलाके को बारूदी सुरंगों से मुक्त बनाने में मदद की. इस जगह की तुलना आप फुटबॉल की 20 पिचों से कर सकते हैं. यह बारूदी सुरंगें 1970 और 1980 के दशक की थीं जब कंबोडियो में बर्बर गृह युद्ध छिड़ा था.
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बता दें कि इस मगावा चूहे की वीरता के लिए ब्रिटेन की एक संस्था ने बहादुरी का गोल्ड मेडल प्रदान किया है। इस चूहे की बहादुरी से प्रभावित होकर ब्रिटेन की चैरिटी संस्था पीडीएसए की ओर से इसे बहादुरी का गोल्ड मेडल प्रदान किया गया है।
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मगावा चूहे के इस कारनामे के लिए चैरिटी संस्था एपीओपीओ ने प्रशिक्षित किया था, जिसके बाद मगावा ने लगभग 141000 वर्ग मीटर के बराबर क्षेत्र को बारूदी सुरंगों और विस्फोटकों से मुक्त कराने में काफी अहम भूमिका निभाई। इस चूहे का वजन 1.2 किलो है, इसलिए बारूदी सुरंगों के ऊपर से गुजरने के दौरान उनमें विस्फोट भी नहीं हुआ।