साहिल ने चाकू से दनादन घोंपा फिर पत्थर से कुचल डाला, दिल्ली में साक्षी के मर्डर की पूरी कहानी – cgtop36.com

वह चाकू के 5 से 7 वार झेलती रही। तब तक उसके शरीर में हरकत दिखी लेकिन कुछ ही सेकेंड में वह (Sakshi Murder) लाश बन चुकी थी। उस हैवान के सिर पर खून सवार था। वह दनादन चाकू घोंपता रहा। वीडियो आपको विचलित कर सकता है लेकिन देखिएगा जरूर। यह आज के ‘जिंदा कौम’ की असली तस्वीर है। व्लॉग और सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली पीढ़ी किसी के दर्द को महसूस करना भूल चुकी है।
वीडियो में दिखता है कि एक बार उस दरिंदे ने चाकू मारा तो लड़की का शरीर उछल गया। लड़की दम तोड़ चुकी थी। दिल्ली में रोहिणी के शाहबाद डेयरी इलाके में हमले का शिकार हुई उस बदनसीब नाबालिग लड़की का नाम साक्षी था। हत्यारे ने 20 बार चाकू से वार किए, उसके बाद भी उसका शैतानी दिमाग शांत नहीं हुआ। बाद में उसने पत्थर से भी कुचल दिया।
मंजर ऐसा था कि ‘खौफ’ भी कांप जाए। 16 साल की साक्षी का सरेराह मर्डर हो जाता है और दिल्ली देखती रहती है। शर्मनाक। आरोपी का नाम साहिल है। 20 घंटे के भीतर ही दिल्ली पुलिस ने उसे बुलंदशहर से पकड़ लिया, पर वीडियो में दिख रहे इन 10 लोगों को कल रात नींद कैसे आई होगी? माफ करना साक्षी, हमारी अंतरात्मा मर चुकी है।
साक्षी के साथ वहां मौजूद उन 10 लोगों की इंसानियत भी मर गई थी। जिस गली में यह सनकी साहिल चाकू मार रहा था, वहां करीब 5-6 लोग और 3-4 महिलाएं दिखाई दे रही होती हैं। लेकिन किसी ने उसे हमलावर को रोकने की जहमत नहीं उठाई। एक शख्स ने चाकूबाज को रोकने की कोशिश भी की लेकिन बाद में वह भी भाग गया। एक बार फिर से नाबालिग की हत्या का यह शर्मनाक वीडियो देख लीजिए। इस बार उन लोगों को देखिए जो पास से गुजर रहे होते हैं। ऐसे लोग मिलें तो इन्हें ‘मुर्दा’ कह दीजिएगा। लड़के को अगर दो लोग पकड़ लेते तो शायद साक्षी की जान बच जाती।
इस तरह से लड़कियों को प्यार के झांसे में फंसाकर उनका शोषण या उनकी जान लेना कोई नई बात नहीं है। इस तरह की कई घटनाओं में हमने देखा कि लड़कियों को बरगला कर उनका दैहिक शोषण एक योजना के तहत किया जाता है। इसके पीछे बाहरी ताकतें लगी हुई हैं।
पार्किंग में जगह के लिए सुबह-शाम भिड़ने वाले दिल्लीवालों का जमीर एक कत्ल को लाइव देखते हुए भी नहीं जागा। हैरानी होती है कि 2-3 लोग खड़े होकर देखने लगते हैं जैसे मदारी कोई खेल दिखा रहा हो। हल्की सफेद टीशर्ट वाला लड़का बड़े आराम से जेब में हाथ डाले चला जाता है। वैसे तो गली में पति-पत्नी के बीच झगड़ा हो या पड़ोसियों के बीच का बवाल, लोग इतने फ्री होते हैं कि गाड़ी खड़ी करके मौज लेने से नहीं चूकते। यहां एक लड़की की जान ली जा रही थी और ये मुर्दे बन गए थे।
उन 9-10 लोगों और खासतौर से महिलाओं से कोई पूछे कि क्या आपके घर की बेटी होती तो भी आप ऐसे ही मूर्ति बन जाते। महिलाओं का तो मां का दिल होता है। उनका भी दिल क्यों नहीं पसीजा। अपनी जान बचाकर भागना तो ठीक था लेकिन एक बच्ची की जान बचाने के लिए कम से कम हमलावर पर पत्थर तो फेंका होता। सीसीटीवी फुटेज से साफ है कि पास में कुछ पत्थर रखे हुए थे। अगर 5-7 लोग पत्थर से मारने भी लगते तो वह हत्यारा रुक जाता और उसे पकड़ा जा सकता था। गली में कई लोगों के घर हैं और उस समय पौने नौ बजे थे। मतलब सब लोग सोए नहीं थे, फिर भी वहां किसी ने भी हिम्मत नहीं दिखाई।