बिजनेस

जानें सुदीप दत्ता की अर्श से फर्श तक की कहानी, क्यों छोड़ा इंजीनियर बनने का सपना

नई दिल्ली: Ess Dee Aluminum Pvt Ltd के संस्थापक सुदीप दत्ता की कहानी अर्श से फर्श की बुलंदी तक पहुंचने का एक अच्छा उदाहरण है, क्योंकि सुदीप एक समय 400 रुपये हर महीने कमाते थे और एक दिन 1600 करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा कर देते हैं. 

इंजीनियर बनने का सपना छोड़ा

सुदीप पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर के रहने वाले हैं और वह 17 साल की उम्र में मुंबई आ गए थे. सुदीप के पिता एक फौजी थे जो 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान शहीद हो गए थे. सुदीप का सपना एक इंजीनियर बनने का था, लेकिन उनके पिता की असामयिक मृत्यु की वजह से परिवार की जिम्मेदारियां उनके ऊपर आ गई हैं. उन्हें अपने सपनों को छोड़कर वापस आना पड़ा. 

20 लोगों के साथ एक कमरे में रहते थे

एक समय था जब सुदीप रोजाना 40 किलोमीटर पैदल चलकर काम करने जाते थे और 20 आदमियों के साथ एक कमरे में रहते थे. Livemint की रिपोर्ट के मुताबिक, जब सुदीप को पता चला कि वह जिस पैकेजिंग कंपनी में काम कर रहे हैं, वह बंद हो जाएगी, तो उन्होंने एक मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट खरीदने का फैसला किया.

वेदांता ग्रुप की कंपनी खरीदी

सुदीप ने जल्दी ही पकड़ बना ली, और अपनी मिड-कैप कंपनी को लार्ज-कैप कंपनी में बदलने का फैसला किया. सुदीप का मुकाबला इंडिया फॉयल, जिंदल लिमिटेड जैसी दिग्गज कंपनियों से था. नवंबर 2008 में सुदीप ने वेदांता ग्रुप से इंडिया फॉयल्स खरीदा. यह कदम महत्वपूर्ण था क्योंकि सुदीप की कंपनी भारत फॉयल्स के मुकाबले काफी छोटी थी.

वेदांता को भी पीछे छोड़ा

धीरे-धीरे, सुदीप की कंपनी Ess De वेदांता जैसी ग्लोबल दिग्गज को पछाड़ने में कामयाब रही और Ess De इंडस्ट्री में सबसे शीर्ष स्थान पर पहुंच गई. Ess De की तकनीकी रूप से एडवांस पैकेजिंग सॉल्यूशंस की बड़ी रेंज ने सुदीप को 1,685 करोड़ रुपये के साम्राज्य का मालिक बना दिया.
Ess Dee Aluminium Ltd हालांकि, अपनी सफलता को भुनाने में विफल रहा और दिवालियेपन का शिकार हो गया. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की कलकत्ता बेंच ने एक बार कंपनी के खिलाफ कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था.

Related Articles

Back to top button