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आरबीआई के पूर्व गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने बैंक के निजीकरण को लेकर कही ये बड़ी बात

केंद्र सरकार ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का फैसला ले लिया है. इस फैसले को अमलीजामा पहनाने के लिए जरूरी प्रक्रिया भी पूरी की जा रही है. सरकारी बैंकों के निजीकरण को लेकर जानकार अपनी-अपनी राय रख रहे हैं. अब भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व डिप्‍टी गवर्नर एन एस विश्‍वनाथन ने भी गुरुवार को इस बारे में एक बयान दिया है. विश्‍वनाथन का कहना है कि सरकार द्वारा दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का फैसला उन निवेशकों के लिए अच्‍छा मौका है, जो इस बिज़नेस में हाथ आजमाना चाहते हैं.विश्‍नाथन ने आईएमसी चैम्‍बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्‍ट्री की एक आयोजन में बात करते हुए कहा कि किसी भी ईकाई को चुनते समय यह देखना चाहिए कि वह देश के लिए कितनी अच्‍छी है, तभी उन्‍हें लाइसेंस जारी करना चाहिए.दुनियाभर में बैंक खोलने पर कई तरह के प्रतिबंधउन्‍होंने निजीकरण के बाद इन बैंकों को कॉरपोरेट के हाथों में जाना, मालिकाना हक और वोटिंग कैप की चिंता को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि विकासशील देशों समेत दुनियाभर में इस बात पर प्रतिबंध है कि बैंक खोलने की अनुमति किसको मिलेगी. उन्‍होंने कहा कि बैंक में लोगों के मेहनत की कमाई डिपॉजिट होती है.

अर्थव्‍यवस्‍था पर दबाव डालने से बचने के उपाय करने होंगे

कॉरपोरेट की बात पर उन्‍होंने कहा कि किसी भी ईकाई के पास इतना पैसा होना चाहिए कि वो इसमें निवेश कर सके. बडे़ संदर्भ में देखें तो वास्तविक अर्थव्‍यवस्‍था वाली एक ईकाई भी बाद में अर्थव्यवस्‍था को दबाव में डाल सकती है. ऐसे में हमें इससे बचने के लिए पहले से ही तैयारी करनी चाहिए. इससे दूसरे कारोबार का दबाव बैंकों पर नहीं पड़ेगा.आईबीसी ने शुरुआती दिनों में अच्‍छा किया लेकिन अब ध्‍यान देने की जरूरतइनसॉल्‍वेंसी एंड बैंकरप्‍सी कोड (IBC) को लेकर विश्‍वनाथन ने कहा कि शुरुआती दिनों में इसने अच्‍छा किया, लेकिन अब रिकवरी अनुपात को लेकर चिंता बढ़ने लगी है. इस पर भी ध्‍यान देने की कोशिश की जा रही है. आईबीसी को लेकर यह चिंता तब जाहिर हुई, तब वीडियोकॉन केस के रिजॉलुशन में लेंडर्स को 5 फीसदी रिकवरी का ऑफर दिया गया.

जानकारों का कहना है कि बैंकिंग कारोबार में डिफॉल्‍ट होना स्‍वाभाविक है लेकिन इससे जल्‍द से जल्‍द निपटाना चाहिए. 5 से 7 साल तक समय लगाने पर स्थिति चिंताजनक स्‍तर पर पहुंच सकती है. उन्‍होंने कहा कि सबसे पहले तो हमें यह फैसला लेना होगा कि इसमें कॉरपोरेट को अनुमति देना है या नहीं. क्‍या इसमें गैर बैंकिंग वित्‍तीय संस्‍थानों को भी मौका द‍िया जाएगा या नहीं.

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