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नंदगांव की लट्ठमार होली की मची धूम, जानिये क्या लठ्ठमार होली की कहानी

नंदगांव की 'लट्ठमार होली' पूरी दुनिया में मशहूर है. यही वजह है कि प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की शुक्लपक्ष की दशमी के दिन मथुरा के ब्रज स्थित नंदगांव की लट्ठमार होली देखने देश-विदेश से भारी तादाद में लोग पहुंचते हैं

नंदगांव की ‘लट्ठमार होली’ पूरी दुनिया में मशहूर है. यही वजह है कि प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की शुक्लपक्ष की दशमी के दिन मथुरा के ब्रज स्थित नंदगांव की लट्ठमार होली देखने देश-विदेश से भारी तादाद में लोग पहुंचते हैं. इस बार यह त्योहार 24 मार्च यानी आज मनाया जा रहा है. इस दिन परंपरानुसार महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं और पुरुष महिलाओं की लट्ठ से स्वयं को बचाते हैं. आइये जाने इस लट्ठमार होली का संबंध श्रीकृष्ण एवं राधा से किस तरह से जुड़ा है।

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कथाओं के अनुसार फाल्गुन मास की नवमी के दिन श्रीकृष्ण राधारानी के साथ होली खेलने राधारानी के गांव बरसाने आते हैं। श्रीकृष्ण (Sri Krishna) के साथ उनके ग्वाल बाल भी बरसाने पहुंचते हैं, श्रीकृष्ण और उनके ग्वाल-बाल राधारानी और उनकी सखियों के साथ हंसी-ठिठोली एवं छेड़छाड़ करते हुए, उन पर रंग फेंकते हैं. प्रत्योत्तर में राधारानी एवं उनकी सखियां छड़ी लेकर कान्हा और उनके ग्वाले मित्रों मतलब होरियारों को खदेड़ती हैं।

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इस समय श्रीकृष्ण व ग्वाल बाल उनकी छड़ियों से खुद को बचाने की कोशिश करते हैं. बरसाने में होली खेलने के बाद श्रीकृष्ण एवं उनके ग्वाल-बाल नंद गांव वापस आ जाते हैं. इसके अगले दिन यानी दशमी को राधारानी अपनी सखियों के साथ कृष्ण एवं उनके ग्वाल-बाल मित्रों के संग होली खेलने नंदगांव आते हैं. यहां भी उसी परंपरा को दोहराते हुए छड़ीमार होली खेली जाती है।

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बता दें कि बरसाने एवं उसके बाद नंदगांव की छड़ी मार होली की जगह लठमार होली की नई परंपरा विकसित हुई. साथ ही होली खेलने का स्वरूप और मनोरंजक बन गया. वर्तमान में नवमी के दिन नंदगांव के पुरुष बरसाने यानी राधारानी के गांव स्थित लाडली जी के मंदिर में ध्वज फहराने जाते हैं. उन्हें रोकने के लिए बरसाने की महिलाएं रंग-बिरंगे वस्त्रों में सज-संवरकर पुरुषों पर लाठी बरसाती हैं, उन्हें ध्वज फहराने से रोकने की कोशिश करती हैं. पुरुष महिलाओं को लठ मारने से रोकते नहीं, बस उनका ध्यान भटकाते हुुए मंदिर तक पहुंचने की कोशिश करते हैं।

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कहा जाता है कि अगर महिलाओं की लाठी से बचकर कोई पुरुष मंदिर तक पहुंचने में कामयाब हो जाता है तो वह मंदिर में ध्वज फहराता है, लेकिन असफल होने पर उन्हें महिलाओं के वस्त्र पहनकर उनके सामने नृत्य करना होता है. बरसाने में होली खेलने के बाद बरसाने की महिलाएं नंदगांव आती हैं. नंदगांव में भी जमकर लठमार होली का आयोजन होता है. खास बात यह है कि यह सब मारना पीटना हंसी-खुशी के वातावरण में होता है. लोग खूब इन्जॉय करते हैं।

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