मैं शराब, मै मध, मै वाइन, मै दारू जिस रूप में हू पर तुम्हारा ही हू । मेरा जन्म मेरी उत्पति भी कम रोचक नहीं है । मेरी अपनी समृद्ध शाली विरासत है । मै वो हू जिसे देव और दानव के अथक समुद्र मंथन से हासिल हुआ । मेरे लिए उस समय भी लोग लालायित रहते थे जितना आज भी रहते है । मै कितने सदियों के इतिहास का साक्षी रहा हू उतना शायद ही कोई रहा हो । मै वो बंदा हू जिससे लोग दिखाने के लिए नफरत करते है मै उन्ही के होंठों से तैर कर अंदर भी जाता हू । इतिहास साक्षी है कि राजाओ ने शहंशाहो ने मेरे बगैर कभी भी महफिल नहीं की है । मै वो राहत हू जब चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं थी तो मै ही था जो हल्क से उतरने के बाद दर्द को ही अपने नशे मे ले लेता था । मुझे गर्व है कि मैं वहीं हू जिसने मेरा उपयोग कर बडे बडे काम सुलझाये है । मै वही हूँ जिसने मेरा उपयोग कर बड़ी पार्टी कर करोड़ों के कांट्रेक्ट को हासिल करने मे सफलता पाई है । मै वो हू जो बडी बडी कंपनियों के आर्थिक लाभ के लिए सफलता के लिए मुझे बडे शान से लाया जाता है । मै वो हू जो विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र का बहुत बड़ा खंभा हू । मै हर नेता के चुनाव का सबसे बड़ा विश्वसनीय साथी हू । नेता पांच साल क्या करते है या क्या नहीं करते यह अलग विषय है । पर यह कटु सत्य है कि मेरे बगैर अधिकांश सियासतदानों की नैया पार नहीं होती । मुझे गर्व है कि अंततः यही कार्यकर्ता बाकी कार्यकर्ताओं के लिए ब्रम्हास्त्र बनकर लोगों तक पहुंचता है । मै वो हू जिसे चुनाव आयोग तक पाबंदियों की बात पिछले सत्तर साल से कर रहे है पर वो भी मेरे सामने असफल हो गये । पर मुझे गर्व है कि मुझे अपना हमसाये बनाने से किसी ने भी कोई गुरेज नहीं की । मै वो हू सत्ता बदलती है सरकारें बदलती है सिर्फ मै ही हू वहीं रहता हू । मै लोकतंत्र का वो सच हू जिसकी दखल पंचायत चुनाव से ही चालू होती हैं और मेरे बगैर किसी की सफलता भी संदिग्ध होने लगती हैं । मै अपने को काफी गौरवान्वित महसूस करने लगता हू कि किसी के चुने जाने पर भी लोग उसके सफलता मे मुझे ही ढूंढ लेते हैं । और तो और सफलता का जश्न भी मेरे बिना अधूरा है । मैं ही हू जो सबके साथ समाजवादी व्यवहार करता हू । मेरे लिये राजा से रंक तक सब समान है । मै ही हू जो वर्ग भेद मिटाता है । मुझे गर्व है कि मेरा नशा सब पर समान ही रूप से चढता है । मै ही हू जो लोगों को जन्नत की सैर कराकर लाता हू । लोग कितने भी बडे हो छोटे हो मै सबको हम प्याला बनाता हूँ । मैंने लोगों मे अनुशासन लाया है मैंने लोगों मे सहनशीलता का प्रादुर्भाव किया है । जिसने भी मुझे चुना वो मेरा होकर रह गया । कोरोना के समय मै ही वो था अनुशासन किस चिड़िया का नाम है जिसे मैंने देश को परिचित कराया । तीन तीन किलोमीटर की लंबी लाइन वो भी अनुशासन में वो भी मै ही हू । कोरोना के समय मेरे भाव को भी सरकारो ने सत्तर प्रतिशत तक बढा दिया पर वाह रे मै लोगों ने इसके बाद भी मेरा साथ नहीं छोड़ा । वो लोग भी आज निरूत्तर है जिन्हे हर समय से मेरे से शिकायत रहती हैं वो भी आज अपनी सुरक्षा के लिए मुझे अपनाने के लिए मजबूर हो गये है । मै सेनेटाइजर का एक मौलिक तत्व हू । जो बैक्टीरिया को मारता है । कल तक जो मेरे से घृणा करते थे वो आज मुझे अपने हाथों को मेरे द्वारा ही साफ करते है आज वो भी मुझे जेब में रखकर ले जाने को मजबूर है । मै वो हू और गर्व भी महसूस करता हू कि मै उज्जैन के काल भैरव मे चढाया जाता हू । अब तो मेरी घुसपैठ सामाजिक रिति रिवाजों मे भी हो गई है । आमतौर पर मै कब विवाह जैसे कार्यक्रम में कब शामिल हो गया मुझे पता भी नहीं चला । मै भी आश्चर्य चकित हू कि मैंने धडल्ले से ” बैचलर पार्टी ” के नाम से इंट्री ले ली है । आजकल यह पार्टी ने भी भव्य रूप ले लिया है । शायद खुशी का इजहार मेरे साथ होने से ही हो सकता है । मै अपने उपर क्यो न गर्व करू कि कोरोना जैसे महामारी मे मै ही हू जो सरकारों का आर्थिक रूप से आय का सबसे बड़ा माध्यम हू । यही कारण है कि यह लोग चाहकर भी मुझे बंद करने मे असमर्थ है । सरकार चलाना है तो मुझे भी चलाना तो पडेगा ही । मै ही हू जो लोगों के लाॅकडाउन मे सहारा बना । जब परिवार तक साथ छोड़ दे पर मै वही बंदा हू जो किसी का साथ नही छोड़ता । मै वो महाबली हू जो भी मुझे लेता है उसे न बरसात कुछ कर पाती न रात के अंधेरे का डर नहीं रहता । मै हर विपरित परिस्थितियों का साथी हू । चाहे गम हो या खुशी मै ही एक माध्यम हू जो बराबर साथ देता हू । जहां खुशी बढाता हू वहीं गम को आत्मसात करता हू । पिक्चर मे शराब न हो तो पिक्चर का मजा ही नहीं रह जाता । दुबला-पतला सा दिखने वाला खलनायक दारू का गिलास जब हाथ मे लेता है तब वो रौबदार खलनायक महसूस होता है । मेरे उपर कितनी फिल्मे बन चुकी हैं । कितने अच्छे गाने मेरे उपर है जो सुनकर ही मदहोश हो जाते है । मेरे उपर कितनी अच्छी गजलें है जो अकेले में सुनने से दिल बाग बाग हो जाता है । मै वो हू जो बॉलीवुड के परेशान गर्दिश सितारे वाले अभिनेता अभिनेत्री का आखिरी क्षण का सहारा रहा हू । उनके आखिरी तकलीफो का एक मात्र गवाह हू । मै ही हू जिन्होने मुझे अपना राजदार बनाया । जब सारे रिश्ते नाते टूटते है तो इस टूटे आदमी का सहारा मै बनता हू यही कारण है कि इस सहारे से लोग किनारा होना नहीं चाहते । मै वो हू जो दवा के साथ भी जुडता हू इसलिए दवा दारू कहते है । मै वो हू जो दो चम्मच मे ही अमृत का असर दिखाता हू । मै वो हू शायद सभी धर्मो के लोग मुझसे दूर रहने को कहते है पर विजय मुझे प्राप्त होती है । दुर्भाग्य की बात है यह है कि मै बुरा नहीं हू आप लोगों ने अपने स्वारथ और जिद के लिए मुझे बुरा बना दिया । लोगों ने अपने मतलब के लिए बुरा बनाया पर मै वो हू जो सरकार चलाता हू मेरा रुतबा इतना है कि कोविड मे भी किसी सरकार ने मेरे को बंद करने की हिम्मत नहीं की । यही कारण है कि सब सुनने के बाद भी मैंने किसी की शिकायत नहीं की और लाॅकडाउन मे अपनी सेवा देकर उनका दिन बेहतर बनाया । मै तो तब आश्चर्य चकित होता हू जो भी दल सत्ता में आते है तो राजस्व के लिए अपने दरवाजे खोल लेते हैं । जब सत्ता से बेदखल होते है तो फिर मेरे बंदिश की बाते करते हैं । मै दुखी तब होता हू मेरे कंधे मे हाथ रखकर ही माननीय बनते है तो तब तक साथ मे रखते हैं जब तक शासन मे रहते हैं । कुछ भी कहो मेरा अपना इतिहास है और आने वाली तारीखे भी मेरी रहेगीं । यह कटु सत्य है कि मेरे बगैर किसी का वजूद नहीं है । बस इतना ही डा .चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ