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विशेष लेख – आज सोशल मीडिया की ताकत बेमिसाल तो दुरूपयोग भी हो रहा

आज सोशल मीडिया काफी प्रभाव पूर्ण स्थिति मे है । कोई भी बात मीडिया के चलते बहुत ज्यादा वायरल हो जाती है । जो बातें या मुद्दे देश हित में है उसका तो स्वागत है । या जो मुद्दे मानव लाभार्थ है उसका भी लोग दिल से शुक्रिया करते हैं। जब हम मिलकर लोगों को पहचान नहीं पाते तो फिर इस माध्यम ( सोशल मीडिया ) से तो किसी के बारे मे जानना बिलकुल नामुमकिन है। खैर यहां पर दोनों तरफ के लोग उपलब्ध है। खासकर फेसबुक पर जहां हम विश्व पटल पर अंकित होते है। मैने देखा है कि कोविड के समय लोगों ने इसका लोगों ने अच्छा उपयोग किया। लोगों के पास जो भी नवीनतम जानकारी रहती थी जनहित में शेयर कर दिया गया। वहीं ख्यातिनाम चिकित्सको ने भी अपनी जानकारी साझा की जिसका लोगों को फायदा भी हुआ। अगर इसे हम सामाजिक हित का माध्यम बनाते है तो इसके द्वारा सामाजिक क्रांति भी संभव है । पर हम इस प्लेट फार्म का दुरुपयोग डिसटरकटिव बातो के लिए ज्यादा करते है । मैंने देखा है कि लोग खुलकर अपनी लाज लज्जा को ताक पर रखकर अश्लीलता के क्रांति पर ही लगे हुए हैं। मुझे कहने मे कहीं संकोच नहीं है कि पहले यह लोग फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने का काम करते है । इनकी प्रोफाइल को देखकर कोई भी स्वीकार कर लेता है। जिसमे प्राध्यापक इंजीनियर चिकित्सक और वृद्ध जैसे लोग शामिल रहते है । ऐसा लगता है कि इन लोग अपने दिमाग में इतनी अश्लीलता लेकर कैसे घूम रहे है । इनकी हर पोस्ट इनके दिवालिया पन की कहानी कहते है । बस यही है कि ऐसे लोगों को ब्लाक कर अपने तरफ से इनकी कहानी ही बंद कर दे । फिर कुछ लोगों ने इस प्लेट फार्म का उपयोग अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के तहत जन्मदिन विवाह के सालगिरह पर बहुत बहुत बधाई देने जैसे नेक काम मे पहल कर दूसरो को भी इस खुशी में अपने साथ शामिल करने का काम करते है । वहीं जिसका भी जन्मदिन या विवाह के सालगिरह रहतीं है यह खुशी उनके लिए दुगनी हो जाती है । यहां पर रक्त की आवश्यकता जैसे जिंदगी के मानवीय मूल्यों को भी सहयोग मिलने का अवसर मिलता है। वहीं कुछ लोग व्यवसायिक दृष्टि कोण से भी अपना हित साधने का काम करते हैं जो काबिले-तारीफ है । वहीं हम जैसे लोग लेख के माध्यम से अपनी बात रखते है । कोई इस पर इत्तेफाक रखे न रखे यह अलग विषय है। कुल मिलाकर अश्लीलता का इस तरह के मंच का नाजायज दुरूपयोग करने पर पाबंदी तो नहीं लग सकती पर इसका बायकाट ही इस समस्या का निदान हो सकता है । शायद यह लोगों भी इस पर गौर करने की आवश्यकता है। चलो नये भारत का निर्माण इसके माध्यम से करे । बस इतना ही डा . चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ

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