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महिला दिवस विशेष – आर्थिक अभावग्रस्त जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए तारा ऑटोरिक्शा चालक बन बनी आत्मनिर्भर

सोनू केदार अम्बिकापुर – कहते हैं कि जहां चाह है वहां राह है। और इंसान यदि चाह ले तो हर काम को बड़े ही आसानी से कर लेता है। आर्थिक अभावग्रस्त जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए तारा ऑटोरिक्शा चालक बन गईं। तारा 12वीं (कॉमर्स) तक पढ़ी हैं। 10 साल पहले जब उनकी शादी हुई तो परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी। किसी तरह पति ने ऑटो चलाने का काम किया। परिवार की स्थिति सुधर सके इसके लिए तारा ने अपने पति का साथ दिया और खुद भी ऑटो चालक बन गई।

तारा कहती हैं, ‘मैं एक गरीब परिवार से आती हूं’ लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने अपने पति के साथ खुद परिवार की जिम्मेदारी उठानी शुरू की। छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी वह आज भी संघर्ष करने से पीछे नहीं हटती। इस समाज में जहां महिलाओं को पुरुषों से कम आंका जाता है, वहां महिलाओं के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह हिम्मत के साथ खुद व परिवार के लिए खड़ी हों।

गरीबों और जरूरतमंदो से नहीं लेती पैसा

तारा पिछले 5 साल से ऑटो चला रही हैं। उनकी ज्यादातर सवारियां महिलाएं हैं, जो उनके अच्छे व्यवहार और ऑटो चलाने की काबलियत के कारण उनके रिक्शा में सफर करना पसंद करती हैं। इन सब में सबसे खास बात यह है कि तारा गरीब और जरूरतमंद लोगों को फ्री में उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं।

बच्चों को देना चाहती हैं अच्छी शिक्षा

ऑटो रिक्शा चलाने वाली तारा के 3 बच्चे हैं और वह बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहती है। वह कहती हैं, ‘मैं अपने बच्चों को खूब पढ़ाना चाहती हूं, इसके लिए मैं दिन में कुछ घंटे और रिक्शा चलाने को तैयार हूं, ताकि कुछ और पैसे कमा सकूं।’ उसने कहा कि उसकी बड़ी बच्ची 9 साल की है जिसे वह सी बी एस सी स्कूल में पढ़ा रही है। वह अपने बच्चों को ऐसा बनाना चाहती है कि लोग उनका सम्मान करें।

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