inh24राशिफल - अध्यात्म

27 फरवरी को माघ पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त, व्रत कथा व स्नान का महत्व

माघ पूर्णिमा – पूरे माघ मास के स्नान, दान, पुण्य,जप एवं तप का आखिरी पड़ाव है माघ पूर्णिमा। वैसे तो हर एक पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण,देवी लक्ष्मी एवं चंद्रदेव की पूजा-अर्चना का विधान है। परन्तु माघ मास भगवान विष्णु का अतिप्रिय होने से इस महीने की पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है। बताया जाता है कि इस वर्ष माघी पूर्णिमा 27 फरवरी को मनाई जाएगी। इसके अलावा माघ पूर्णिमा के दिन संत रविदास जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन वाग्देवी यानि सरस्वती के स्वरुप ललिता महाविद्या की जयंती भी है। होली से एक महीने पूर्व इस पूर्णिमा पर ही होली का डांडा लगाया जाता है इसलिए इसे होलिका डांडा रोपणी पूर्णिमा भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा यानि कि भगवान रजनीश अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत की वर्षा करते हैं।

पूर्णिमा स्नान :
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार बताया जाता है कि माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। अतः इस दिन गंगाजल का स्पर्श मात्र भी मनुष्य को वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति देता है। आज के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी या घर पर ही मन में गंगा मैया का ध्यान कर स्नान करके भगवान श्री हरि की पूजा करनी चाहिए। इस दिन गंगा आदि सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप एवं संताप का नाश होता है । मन एवं आत्मा शुद्ध होती है। इस दिन किया गया महास्नान समस्त रोगों का नाश करके दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है। स्नान और दान के वक्त ‘ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ का मानसिक जप करते रहना चाहिए । स्नान के बाद पात्र में काले तिल भरकर एवं साथ में शीत निवारक वस्त्र दान करने से धन और वंश में वृद्धि होती है।
इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करने से श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की असीम कृपा बनी रहती है। सुख-सौभाग्य, धन-संतान की प्राप्ति होती है। विद्या प्राप्ति के लिए इस दिन माँ सरस्वती की विधि-विधान से पूजा कर सफ़ेद पुष्प अर्पित करके खीर का भोग लगाना चाहिए। इस दिन पितरों को तर्पण करना बहुत ही फलदायी माना गया है। ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है तथा आयु एवं आरोग्य में वृद्धि होती है। माघ पूर्णिमा पर स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा जनित दोषों से मुक्ति मिलती है।

read also – ये रहा इस साल का विवाह मुहूर्त, शुभ लग्न में करें जीवनसाथी संग जीवन की शुरुवात

आपको बताते है कि माघ पूर्णिमा स्नान को सिर्फ शास्त्रों में ही नहीं बल्कि वैज्ञानिकों ने भी माना है। माघ के महीने में ऋतु परिवर्तन होता है इसलिए नदी के जल में स्नान एवं सूर्य को अर्घ्य प्रदान करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। दूसरा कारण,चंद्रमा का सम्बन्ध मन से होने के कारण भी यह व्रत मन की पवित्रता और चित्त की शांति के लिए किया जाता है। इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आध्यात्मिकता का विकास होता है। दरअसल सर्दी का आगमन और गमन दोनों ही रोगकारक होते हैं इसलिए इस दौरान शरीर से विषैले पदार्थों का निष्कासन भी ज़रूरी होता है। व्रत करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। भगवान विष्णु के व्रत में नियम, संयम ,वाणी,कर्म और आचरण की पवित्रता का ध्यान रखना जरूरी है।

माघ पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि :-
आज के दिन भगवान श्री सत्यनारायण की पूजा की जाती है। श्री सत्यनारायण भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं। सत्यनारायण की पूजा में केला पत्ता, पंचामृत, सुपारी, पान, शहद, मिष्ठान, तिल, मौलि, कुमकुम, दूर्वा का उपयोग अवश्य करें। इससे श्री हरि का आशीर्वाद मिलता है। कुछ लोग इस दिन कथा भी करते हैं। माना जाता है कि आज के दिन सत्यनारायण की पूजा करने से सौभाग्य का वरदान मिलता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। मान्यता है कि पूर्णिमा का व्रत करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त :-

पूर्णिमा तिथि आरंभ- 26 फरवरी को दोपहर 04 बजकर 49 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 27 फरवरी  दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक

Related Articles

Back to top button