यहां जानें पेट को आसानी से कम करने के आसान योग टिप्स

दौड़ती-भागती जिंदगी और खान पान के तरीकों के चलते लोगों के तोंद (बेली फैट) निकलने लगे हैं. बाहर की तरफ निकलते ये तोंद एसिडिटी, अपचन, कब्ज आदि आम समस्याओं को जन्म देते हैं. ऐसे में लोग इन समस्याओं से राहत पाने के लिए कई तरह की दवाओं का सेवन करते हैं. कुछ समय के लिए तो ये उपाय सही है पर हमेशा के लिए दवाइयों पर निर्भरता आपके स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है.
योगासन के फायदों सहित कुछ ऐसे योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके नियमित अभ्यास से न सिर्फ बेली फैट, मोटापे को कम किया जा सकता है, बल्कि अन्य बीमारियों से भी छुटकारा पाया सकता है. लेकिन पहले जान लीजिए कि योग क्या है-
यहां जानिए पेट के लिए कुछ आसान से योग आसन और उनसे होने वाले फायदे
ताड़ासन (Tadasana)
योगाभ्यास शुरू करने से पहले ताड़ासन करना जरूरी होता है। पेट कम करने के लिए योगासन (pet kam karne ke liye yoga) की शुरुआत भी इसी से की जाती है। इसे करने से पूरे शरीर में खिंचाव महसूस होता है और ऊर्जा आती है। रक्त का प्रवाह बेहतर हो जाता है।
आसन करने का तरीक़ा- सबसे पहले सीधा खड़े हो जाएं और अपनी टांगों, कमर व गर्दन को सीधा रखें। अब हाथों की उंगुलियों को आपस में फंसाते हुए सिर के ऊपर ले जाएं और गहरी सांस भरते हुए पूरे शरीर को ऊपर की ओर खींचें। हथेलियां आसमां की दिशा में होनी चाहिएं। साथ ही एड़ियों को भी ऊपर उठा लें। पूरे शरीर का संतुलन पंजों पर आ जाना चाहिए। इस दौरान पंजों से लेकर ऊपर हाथों तक खिंचाव महसूस करें। कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहें और सामान्य गति से सांस लेते व छोड़ते रहें। फिर धीरे-धीरे पहली वाली स्थिति में आ जाएं। इस तरह के कम से कम दो-तीन चक्र एक बार में किए जा सकते हैं।
पवनमुक्तासन (pawanmuktasana)-
यह आसन पेट की समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए सबसे कारगर आसनों में से एक है. यह गैस और पेट के भारीपन को कम करता है. इसे नियमित रूप से करने पर शरीर को मज़बूती मिलती है, मन शांत रहता है, आप दिनभर ऊर्जावान महसूस करते हैं और यह रीढ़ की हड्डी को मज़बूत और लचीली बनाने में भी मदद करता है. इसके अलावा बैली फ़ैट कम करने और ब्लड सर्कुलेशन अच्छा करने के लिए आप इस आसन को अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं.
आसन करने का तरीक़ा- आप योग मैट पर कमर के बल सीधे लेट जाएं। हाथ शरीर के साथ सटे होने चाहिए। पहले लंबी गहरी सांस लेते हुए दाएं पैर को मोड़ें और दोनों हाथों से घुटने को पकड़ते हुए उसे छाती से लगाने का प्रयास करें। फिर सांस छोड़ते हुए सिर को उठाएं और नाक को घुटने से स्पर्श करने का प्रयास करें। कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहें और फिर सांस छोड़ते हुए पैर व सिर को जमीन पर ले आएं।इसी तरह बाएं पैर से भी करें और फिर दोनों पैरों से एक साथ करें। इस तरह के कम से कम पांच से दस चक्र कर सकते हैं।अगर आपको कमर, घुटनों या गर्दन में दर्द है, तो इसे न करें। वैसे तो वज्रासन को छोड़कर अन्य कोई आसन भोजन के बाद नहीं करना चाहिए, लेकिन खासकर इसे तो बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
उत्तानासन (uttanasana)
– इस आसन को पेट दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है. यह सिर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है, जिससे आपका मन शांत रहता है और सिरदर्द, अनिद्रा की कमी से राहत मिलती है. इस आसन में कमर से नीचे की तरफ़ झुकना पड़ता है, जिससे पेट की मांसपेशियों को मसाज मिलता है और पाचन क्रिया में सुधार होता है. यदि किसी को कमर और जोड़ों से संबंधित समस्या हो तो इस आसन को करने से बचना चाहिए.
आसन करने का तरीक़ा- सबसे पहले बिल्कुल सीधे खड़े हो जाएं, उसके बाद अपने हाथों को कमर पर रखें और धीरे-धीरे आगे की तरफ़ झुकना शुरू करें. इतना झुकें कि आपके दोनों हाथ ज़मीन को छू सकें. अगर इसमें मुश्क़िल हो रही हो, तो घुटनों को थोड़ा मोड़ सकते हैं. उसके बाद हाथों को सरकाते हुए पैरों के बिल्कुल बगल में लाएं और अपने कूल्हों को ऊपर की तरफ़ उठाएं. क़रीब एक मिनट तक इस पोज़िशन में बने रहें. आसन के दौरान आपकी जांघों में खिंचाव महसूस होना चाहिए और अगर यह खिंचाव आपकी कमर में है तो आसन का तरीक़ा ग़लत हो सकता है.
उत्तानपादासन (uttanpadasana)-
यह आसन आंतों को मज़बूत और स्वस्थ्य बनाने के अलावा गैस, कब्ज़ और पेटदर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है. यह बैली फ़ैट को भी कम करता है. कमर दर्द से राहत पाने के लिए भी इस आसन को कर सकते हैं.
आसन करने का तरीक़ा- पीठ के बल सीधा लेट जाएं. जोर से सांस लें और छोड़ें नहीं. दोनों हाथ की हथेलियों को ज़मीन पर रखें और पैर को बिल्कुल सीधे रखकर धीरे-धीरे ज़मीन से एक फ़ुट ऊपर उठाएं. अगर सांस रोकने में दिक़्क़त हो रही हो तो बीच में छोड़ते और लेते रहें. क़रीब 30 सेंकेड से लेकर 1 मिनट तक इसी स्थिति में बने रहें. उसके बाद पैरों को सीधा रखकर धीरे-धीरे नीचे की तरफ़ लाएं. एक बार में या झटके से लाने की कोशिश ना करें. इस आसन को तीन से छ: बार किया जा सकता है. कमर दर्द से राहत पाने के लिए इसे एक-एक पैर से बारी-बारी से करें. गर्भावस्था के दौरान इसे नहीं करना चाहिए। जिनके पेट का ऑपरेशन हुआ है, वो भी इससे परहेज करें।
त्रिकोणासन (trikonasana)-
इस आसन को करते समय शरीर त्रिकोण जैसी मुद्रा में आ जाता है, इसलिए इसी त्रिकोणासन कहते हैं। त्रिकोण का अर्थ होता है तीन कोण वाला और आसन का अर्थ मुद्रा से होता है। कमर व पेट की चर्बी कम करने के योगासन (pet ki charbi kam karne ke liye yoga) के रूप में यह सबसे उत्तम है। ताड़ासन की तरह इसे भी करने से पूरे शरीर में खिंचाव महसूस होता है। जहां एक तरफ इसे करने से शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है, वहीं फेफड़े भी स्वस्थ होते हैं और बेहतर तरीके से काम कर पाते हैं। इसे करने से कमर दर्द और साइटिका जैसी समस्याओं को ठीक किया जा सकता है। साथ ही यह कब्ज व एसिडिटी जैसी समस्याओं के लिए बेहतरीन आसन है। यह योग शरीर की मांसपेशियों को लचीला बनाता है और तनाव को भी कम कर सकता है।
आसन करने का तरीक़ा- आप दोनों पैरों के बीच करीब दो फुट की दूरी बनाकर खड़े हो जाएं। दोनों हाथों को शरीर के साथ सीधे सटाकर रखें। अब अपनी बांहों को शरीर से दूर कंधे तक फैलाएं और सांस लेते हुए दाएं हाथ को ऊपर ले जाते हुए कान से सटा लें। इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए कमर से बाईं ओर झुकें। इस दौरान दायां हाथ कान से सटा रहना चाहिए और घुटनों को न मोड़ें। अब दाएं हाथ को जमीन के समानांतर लाने का प्रयास करें। साथ ही बाएं हाथ से बाएं टखने को छूने का प्रयास करें। करीब 10-30 सेकंड इसी मुद्रा में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें। फिर सांस लेते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं। इसी तरह से दाईं ओर भी करें। आप इस तरह के तीन से चार चक्र कर सकते हैं। रक्तचाप अधिक या कम होने पर इस योगासन को न करें। जिन्हें कमर में तेज दर्द है या फिर स्लिप डिस्क की समस्या है, वो भी इसे न करें। सिर चकराने या फिर गर्दन और पीठ में दर्द होने पर भी इससे दूरी बनाएं। अगर आपको अधिक एसिडिटी है, तो इसे न करें। साथ ही जिन्हें साइटिका व स्लिप डिस्की की समस्या है, वो इसे न करें।
सर्वांगासन (sarvangasana)-
यह योगासन एब्डोमेन ऑर्गेन्स में रक्त के संचार को तेज करता है और आपके पाचन तंत्र को सामान्य करने में मदद करता है। अगर आपने अभी योग का अभ्यास शुरु किया है तो आपको इसे नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है।
आसन करने का तरीक़ा- इस प्रणायाम को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर बैठ जाए। आंखों को बंद करें। अब नाक से तब तक गहरी सांस ले जब तक वायु फेफड़ों में भर न जाए। जितना देर हो सके सांस रोकने की कोशिश करें। नाक के दाएं छेद को उंगली से बंद करें और बाएं से सांस बाहर छोड़ें। शुरुआत में इस प्रणायाम को 5 से 10 बार करें और बाद में धीरे-धीरे इसे 20 तक करें। यह आपके पेट के अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन देता है जिससे पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम करता है।
नौकासन (naukasana)-
इस आसन में शरीर को नौका के आकार का बनाया जाता है, इसलिए इसे नौकासन नाम दिया गया है. यह आसन पेट की समस्याओं, जैसे-कब्ज़ व एसिडिटी की परेशानी से छुटकारा पाने या उन्हें कम करने के लिए किया जाता है. यह बैली फ़ैट को घटाने और कमर दर्द, रीढ़ की हड्डी, डाइजेस्टिव सिस्टम को मज़बूत करने में फ़ायदेमंद साबित होता है.
आसन करने का तरीक़ा-पीठ के बल सीधा लेट कर सांस अंदर भरें और सिर, हाथ व पैर को 30 डिग्री के ऐंगल में एक साथ उठाएं. अगर सांस रोकने में परेशानी हो रही हो तो बीच-बीच में सांस धीरे-धीरे लें और छोड़ें. क़रीब 30 सेंकेंड तक इसी स्थिति में बने रहें. नीचे आते समय लंबी सांस छोड़ें और फिर धीरे से ज़मीन पर आएं. इस आसन को 3 से 5 बारे करने की कोशिश करें.
कंधरासन (kandharasana)–
यह आसन मूलत: आंतों को साफ़ व शुद्ध रखने के लिए किया जाता है, क्योंकि पेट की बहुत- सी समस्याएं आंत से जुड़ी होती हैं. इस आसन से पाचन क्रिया ठीक रखने में मदद मिलती है. यह आसन महिलाओं के लिए अधिक फ़ायदेमंद है, क्योंकि इससे गर्भाशय मज़बूत होता है और वाइट डिस्चार्ज़ घटता है.
आसन करने का तरीक़ा- योग मैट या चटाई पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं और लंबी सांस लेकर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ें. सिर को ज़मीन से टिकाए रखें और कमर के पास से ऊपर उठें. पैरों को सर्पोट देने के लिए दोनों हाथों से एड़ी को पकड़ें. इसी स्थिति में कम से कम 2 मिनट तक बने रहें और ज़रूरत लगे तो बीच-बीच सांस लेते और छोड़ते रहें. आसन करते समय ध्यान रखें कि पूरे शरीर का वज़न कंधों और पैरों के पंजों पर होना चाहिए.
पार्श्वकोणासन (parsvakonasana)
पार्श्व का मलतब बगल होता है। यह योग करते समय शरीर पार्श्व की मुद्रा बनाता है, इसलिए यह पार्श्वकोणासन कहलाता है। इसे नियमित रूप से करने से कई शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। इस आसन की मदद से शरीर के वजन को आसानी से कम किया जा सकता है। पेट की चर्बी कम करने के योगासन (pet ki charbi kam karne ke liye yoga) में यह सबसे बेहतर है। यह योगासन कमर व जांघों की चर्बी कम करने में मदद करता है। पार्श्वकोणासन पाचन तंत्र को बेहतर कर कब्ज व एसिडिटी से भी राहत दिलाता है। इससे टखने व घुटने मजबूत होते हैं।
आसन करने का तरीक़ा- सबसे पहले आप सीधे खड़े हो जाएं और फिर दोनों पैरों के बीच करीब तीन से चार फुट की दूरी बना लें। इसके बाद दाएं पैर को 90 डिग्री के कोण में धुमाएं। फिर गहरी सांस भरते हुए बाहों को शरीर से दूर फैलाकर कंधे की सीध में ले आएं। अब सांस छोड़ते हुए दाएं घुटने को 90 डिग्री के कोण तक मोड़ते हुए दाईं और झुकेंगे। अब दाएं हाथ को दाएं पैर के पीछे जमीन पर रखने का प्रयास करें। अगर हाथ को जमीन पर रखने में परेशानी हो, तो जमीन को उंगलियों से छूने का प्रयास करें। वहीं, बाएं हाथ को 60 डिग्री में लाते हुए कान के पास लाने का प्रयास करें और बाएं हाथ की उंगुलियों को देखने का प्रयास करें। इस दौरान सामान्य रूप से सांस लेते रहे। यथासंभव इसी स्थिति में रहे और फिर सांस लेते हुए सामान्य मुद्रा में आ जाएं। इसके बाद बाईं तरफ भी इसी प्रक्रिया को दोहराएं. अगर आपके घुटनों व कमर में तेज दर्द है, तो इसे न करें। साइटिका से ग्रस्त मरीज किसी प्रशिक्षक की देखरेख में ही इसे करें।
पादहस्तासन (padahastasana)-
यह दो शब्दों के योग पद यानी पैर और हस्त यानी हाथों के योग से बना है। यह योग करते समय हाथों को जमीन पर पैरों के साथ सटा कर रखा जाता है, जिस कारण इसे पादहस्तासन कहा जाता है। यह आसन करते हुए पेट व उसके आसपास दबाव पड़ता है, जिससे वहां जमा चर्बी कम होने लगती है। पीठ, कूल्हों और जांघों में खिंचाव महसूस होता है, जिस कारण वह मजबूत होते हैं। सिरदर्द व अनिद्रा जैसी समस्याओं से राहत मिलती है और मानसिक तनाव भी कुछ हद तक कम होता है। पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम करने लगता है, जिस कारण गैस, एसिडिटी व कब्ज जैसी समस्याएं दूर होती हैं। पेट कम करने के योगासन के रूप में इसे जरूर करें।
आसन करने का तरीक़ा- योग मैट पर पैरों को आपस में जोड़कर सीधे खड़े हो जाएं और हाथों को भी सीधा रखें। अब सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं। इसके बाद सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और दोनों हथेलियों को पैरों के पास जमीन के साथ सटाने की कोशिश करें। साथ ही अपने माथे को घुटनों के साथ लगाने का प्रयास करें। इस अवस्था में सांस को रोककर रखें। ध्यान रहे कि कमर से नीचे का हिस्सा मुड़ना नहीं चाहिए। कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहें और फिर सांस लेते हुए ऊपर उठें और हाथों को ऊपर ले जाते हुए पीछे झुकने का प्रयास करें। इसके बाद फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। करीब तीन से चार बार ऐसा करें। अगर आपकी पीठ में दर्द है या चोट लगी है, तो इस आसन को न करें। यह करते समय अगर पीठ में दर्द होने लगे, तो तुरंत रुक जाएं और डॉक्टर से संपर्क करें। जिन्हें ह्रदय संबंधी कोई समस्या, हर्निया व पेट में सूजन है वो इसे न करें। गर्भावस्था में भी इस आसन को नहीं करना चाहिए।
अर्धचक्रासन (ardha chakrasana)-
पेट कम करने के योगासन की श्रेणी में यह भी खड़े होकर किया जाने वाला योग है। संस्कृत में अर्ध का मतलब होता है आधा और चक्र का मतलब पहिये से होता है। यह आसन करते हुए शरीर की मुद्रा आधे पहिये जैसी नजर आती है, इसलिए यह अर्धचक्रासन कहलाता है। पेट की चर्बी कम करने के योगासन (pet ki charbi kam karne ke liye yoga) के रूप में इसे जरूर करें। इसे करने से पेट के आसपास जमा चर्बी धीरे-धीरे कम होने लगती है, जिससे वजन होता है। जिन लोगों को डायबिटीज है, वो भी यह आसन कर सकते हैं। इससे शरीर में इंसुलिन का स्तर संतुलित रहता है। यह आसन गर्दन के दर्द को दूर करता है और पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव लाकर उन्हें लचीला बनाता है। अगर आप कमर के दर्द से परेशान हैं और रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाना चाहते हैं, तो इस आसन को जरूर करें। जो लोग अत्यधिक समय तक बैठकर काम करते हैं, उन्हें यह आसन करना चाहिए, ताकि कमर दर्द से आराम मिले।
आसन करने का तरीक़ा- पैरों को आपस में सटाकर सीधे खड़े हो जाएं और हाथों को भी सीधा रखें। अब कोहिनयों को मोड़ते हुए हथेलियों को कमर के निचले हिस्से पर रख दें। फिर सांस लेते हुए जितना हो सके पीछे की तरफ झुकने का प्रयास करें। जब तक हो सके इसी अवस्था में रहें और सांस लेते व छोड़ते रहें।
इसके बाद सांस छोड़ते हुए सामान्य अवस्था में आ जाएं। इस आसन को एक समय में करीब तीन से चार बार किया जा सकता है। इस आसन में पीछे झुकते समय सिर और गर्दन को झटका न दें। जिन्हे स्लिप डिस्क या फिर साइटिका की समस्या है, वो किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही इसे करें। यह योगासन करने के बाद आगे झुकने वाली मुद्रा न ही करें, तो बेहतर होगा।
चक्की चलनासन (chakki chalanasana)-
जिस तरह पुराने समय में चक्की को हाथों की मदद से चलाया जाता था, यह आसन भी उसी तरह किया जाता है। इसे करना मुश्किल नहीं है और कोई भी कर सकता है। इस आसन को करने से कमर, पेट और कूल्हों पर जमा अतिरिक्त चर्बी कम होने लगती है। यह योगासन कूल्हों को लचीला और पेट की मांसपेशियों को सशक्त बनाता है। इसके नियमित अभ्यास से महिलाओं को मासिक धर्म में होने वाली कठिनाओं व दर्द से राहत मिलती है। महिलाओं के गर्भाशय की मांसपेशियां ठीक तरह से काम कर पाती हैं।
आसन करने का तरीक़ा- सबसे पहले तो योग मैट पर बैठ जाएं और पैरों को आगे की तरफ फैलाएं और सीधा रखें। अब दोनों बाजाओं को कंधे की सीधाई में आगे की तरफ फैलाएं और दोनों हाथों की उंगलियों को एक-दूसरे में फंसाकर मुट्ठी बना लें। फिर लंबी गहरी सांस भरते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को आगे लेकर आएं और दाएं से बाएं की ओर घूमते हुए हाथों को सीधा रखते हुए एक गोला बनाएं। हाथों के साथ-साथ कमर से ऊपर का शरीर भी दाएं-बाएं और आगे-पीछे होता रहेगा। पहले यह प्रक्रिया पांच-दस बार क्लॉक वाइज और फिर पांच-दस बार एंटी क्लॉक वाइज करें। कोशिश करें कि इस दौरान पैरों को स्थिर रखें और कमर से निचले हिस्से में खिंचाव महसूस करें। गर्भावस्था के दौरान इस आसन को नहीं करना चाहिए। जिन्हें कम रक्तचाप की समस्या या फिर स्लिप डिस्क है, वो भी इसे न करें। सिर में दर्द या फिर माइग्रेन होने पर इससे परहेज करें। अगर आपका हर्निया का ऑपरेशन हुआ है, तो यह आसन न करें।
कपालभाति (kapalbhati)-
मनुष्य को होने वाली हर बीमारी की जड़ पेट में होती है। अगर पेट ठीक तो सब ठीक और पेट खराब, तो सेहत का गड़बड़ होना तय है। इस लिहाज से कपालभाति को मानव जाति के लिए संजीवनी माना गया है। इसे करने से पेट चमत्कारी तरीके से ठीक होता है। पेट के लिए योग (pet ke liye yoga) में इसे जरूर करें। इससे पेट की चर्बी कम होती है और वजन संतुलित होता है। पाचन तंत्र सही होता है, जिस कारण पेट की समस्याएं दूर होने लगती हैं। गैस, एसिडिटी व कब्ज आदि से राहत मिलती है। चेहरे पर निखार आता है और बढ़ती उम्र का असर कम होता है।
करने का तरीक़ा- सबसे पहले तो सुखासन में बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें। अब आपको नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़नी हैं। सांस छोड़ते समय पेट आपका अंदर जाना चाहिए। ध्यान रहे कि आपको सिर्फ सांस छोड़नी है न कि लेनी है। इस दौरान मुंह को बंद रखें। सांस लेने की प्रक्रिया खुद-ब-खुद होती है। जब तक संभव हो इसे करते रहें। इस तरह करीब पांच से दस राउंड कर सकते हैं। जिन्हें उच्च रक्तचाप या फिर ह्रदय रोग हो, उन्हें कपालभाति नहीं करना चाहिए। मिर्गी, हर्निया व सांस के मरीजों को भी इसे नहीं करना चाहिए।
धनुरासन (dhanurasana)
हां अन्य आसन कमर के बल लेटकर किए जाते हैं, वहीं यह आसन पेट के बल लेटकर किया जाता है। इसके करते समय शरीर का आकार धनुष जैसा हो जाता है, जिस कारण इसे धनुरासन कहते हैं। अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो इस योगासन को भी जरूर आजमाएं। डायबिटीज के मरीजों को भी यह योगासन जरूर करना चाहिए। यह योगासन शरीर में इंसुलिन के स्तर को संतुलित करता है। अस्थमा और कमर दर्द से पीड़ित शख्स भी यह योगासन कर सकता है। उसे कुछ समय में ही सकारात्मक असर नजर आने लगता है। जिन्हें बार-बार नाभि गिरने या फिर कब्ज की शिकायत रहती है, वो भी इसे कर सकते हैं। थायराइड के मरीज भी यह योगासन कर सकते हैं।
आसन करने का तरीक़ा- योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं और सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ें और हाथों से टखनों को पकड़ने का प्रयास करें। अब सांस लेते हुए सिर, छाती और जांघों को ऊपर उठाने का प्रयास करें। आप सुविधानुसार शरीर को जितना ऊपर उठा सकते हैं उठाएं। अंतिम अवस्था में पहुंचकर शरीर का पूरा भार पेट के निचले हिस्से पर डालने का प्रयास करें। इसके बाद दोनों पैरों के बीच की दूरी को कम करने का प्रयास करें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहते हुए धीरे-धीरे सांस लेते व छोड़ते रहें। अंत में लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में लौट आएं। एक बार में इस तरह के चार-पांच चक्र किए जा सकते हैं। जिन्हें तेज कमर दर्द है, उन्हें धनुरासन से परहेज करना चाहिए। अगर आपको हर्निया की परेशानी है या फिर पेट में अल्सर है, तो आप यह आसन न करें। साइटिका या फिर पथरी की शिकायत होने पर भी इसे न करें।
हलासन (halasana)-
इस आसन से रीढ़ की हड्डियां लचीली बनी रहती है जिससे शरीर फूर्तिला और जवान बना रहता है। पेट बाहर नहीं निकलता है और शरीर सुडौल दिखता है। भावनात्मक संतुलन और तनाव निवारण के लिये यह आसन लाभप्रद है। इस आसन से पाचन तंत्र और मांसपेशियों को शक्ति मिलती है। इसके अभ्यास से पाचन तंत्र ठीक रहता है। मोटापे से छुटकारा पाने के लिए यह बेहतरीन योगासन है। इसके अलावा, यह योगासन चेहरे पर निखार लेकर आता है और जिन्हें बाल झड़ने की समस्या है, उन्हें इससे राहत मिलती है। कब्ज और बवासीर जैसी बीमारियों में भी यह आसन किया जा सकता है। जिन्हें थायराइड व मधुमेह की समस्या है, वो भी इसे कर सकते हैं।
आसन करने का तरीक़ा- इसे करने के लिए कमर के बल लेट जाएं और हाथों को शरीर के साथ सटाकर रखें। अब धीरे-धीरे अपने पैरों को ऊपर उठाएं और 90 डिग्री के कोण तक ले आएं। अब सांस छोड़ते हुए पैरों के साथ-साथ पीठ को भी उठाएं और पैरों को पीछे ले जाते हुए अंगुठे को जमीन से स्पर्श करने का प्रयास करें। यह मुद्रा खेत में जोते जाने वाले हल के समान होती है। जब तक संभव हो इसी मुद्रा में रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में लौट आएं और विश्राम करें। ऐसा आप तीन-चार बार कर सकते हैं। जिन्हें सर्वाइकल या फिर रीढ़ की हड्डी में कोई परेशानी है, वो इसे न करें। उच्च रक्तचाप और चक्कर आने पर हलासन न करें। गर्भावस्था में इस योग को करने से बचें। ह्रदय रोग से पीड़ित मरीज भी इससे परहेज करें।
शवासन (shavasana)-
इसे सभी योगों के अंत में किया जाता है, ताकि शरीर शांत और स्थिर हो जाए। इसे करते समय शरीर शव के समान हो जाता है। यह भले ही देखने में आसान नजर आए, लेकिन करना उतना ही मुश्किल है। शवासन भी एक तरह का मेडिटेशन है। इसे करते हुए आपका मन एकाग्रचित्त हो जाता है। तनाव को दूर करने में मदद मिलती है और शरीर में हल्कापन महसूस होता है। योग करने से शरीर में आई थकावट और मांसपेशियों में महसूस हो रहे खिंचाव को सामान्य करने में मदद मिलती है। जो अत्यधिक चिंता करते हैं या बेचैनी महसूस करते हैं, उन्हें शवासन जरूर करना चाहिए।
आसन करने का तरीक़ा- सभी योगासन करने के बाद योग मैट पर कमर के बल लेट जाएं और आंखें बंद कर लें। दोनों पैरों के बीच एक या दो फुट की दूरी रखें और हाथों को शरीर से थोड़ा दूर फैलाकर रखें। हथेलियां ऊपर की दिशा में होनी चाहिएं। अब धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते रहें और पूरा ध्यान सांसों की गतिविधियों पर रखें। फिर अपना ध्यान एक-एक करके पैरों से लेकर सिर तक के सभी अंगों पर ले जाएं और महसूस करें कि आप हर तरह के तनाव से मुक्त हो रहे हैं। शरीर के प्रत्येक अंग को आराम मिल रहा है। कुछ देर इसी अवस्था में रहें और जब लगे कि शरीर तनाव मुक्त हो गया है और मन शांत है, तो बाएं ओर करवट लेकर हाथों का सहारा लेते हुए बैठ जाएं और धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलें। वैसे शवासन कोई भी कर सकता है और इसे करने से किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती, लेकिन बेहतर परिणाम के लिए इसे किसी प्रशिक्षक की देखरेख में किया जाना चाहिए।
जानिए योग करने के पहले और बाद में क्या खाएं
ऐसे लोग जो सुबह में योगासन करते हैं वे योगाभ्यास से कम से कम 45 मिनट पहले केला और अन्य फल खा सकते हैं। इसके अलावा आप अपने दिन की शुरुआत प्रोटीन से भरपूर फूड्स के साथ भी कर सकते हैं। इसके लिए आप ड्राइ फ्रूट्स, ओटमील, अंडे, होममेड प्रोटीन बार्स, दही, प्रोटीन शेक्स का सेवन कर सकते हैं। साथ ही जो लोग शाम के समय योगा करते हैं वे योगाभ्यास से कम से कम 1 घंटा पहले हल्का स्नैक्स ले सकते हैं। इसमें आप उबली सब्जियां, सलाद, नट्स और सीड्स जैसे फूड्स शामिल कर सकते हैं।




