
छत्तीसगढ़: वैसे तो मछलीपालन डबरी-तालाबों में ही होता आया है। आधुनिक तरीकों से नदियों में केज लगाकर भी मछली पालन करना आजकल प्रचलन में है। परंतु कोरबा जिले के तीन युवाओं ने पानी की टंकियों में मछली पालन कर रोजी-रोटी कमाने का नया मॉडल पेश किया है। विकासखण्ड पाली के वनांचल में स्थित गांव दमिया में आबादी से दूर पांच एकड़ प्रक्षेत्र में तीन युवा किसान विकास, गौरवा और विश्वजीत पानी की टकियों में वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन कर रहे हैं।
बायो फ्लॉक विधि से मछली पालन करके यह तीनों युवा स्वरोजगार का बेहतरीन मॉडल पेश कर रहे हैं। एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने का सपना संजोने के बजाय देश की आत्मा ‘किसानी’ में लग जाना, युवा वर्ग के लिए निश्चित ही प्रेरणादायक है। इन तीनों युवाओं ने एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद केवल किसानी को ही नहीं चुना बल्कि किसानी में नये तकनीकों और नवाचार के माध्यम से अधिक आर्थिक लाभ कमाने का जरिया भी पैदा किया।
गौरव और विश्वजीत ने मछलीपालन में नवाचार का उपयोग करके बायो फ्लाक तकनीक से मछली पालन करके कम जगह और कम लागत में व्यवसाय शुरू कर अधिक लाभ कमाने का उदाहरण पेश किया है। युवा किसान विकास सिंह ने ग्राम दमिया स्थित अपनी पांच एकड़ की पुश्तैनी जमीन में किसानी करने के लिए अपने रिश्तेदार गौरव सिंह और श्री विश्वजीत सिंह के साथ मिलकर काम शुरू किया। तीनों युवाओं ने टंकी बनाकर बायो फ्लाक विधि से मछली पालन शुरू कर लाखों का व्यवसाय कर रहे हैं। तीनो युवाओं ने बायो फ्लाक विधि से मछली पालन करने के लिए 20




