
दंतेवाड़ा – जिला मुख्यालय से लगे हुवे पनेड़ा गांव में जन जागरूकता की कमी सरकार के लिए परेशानी का सबब बन गया है। जहां 18 प्लस वाले युवक-युवतियों को नपुंसक होने का संदेह है तो वहीं बुजुर्गों को मौत का डर सता रहा है। ग्रामीण या तो खुद भाग जाते हैं या डंडा लेकर टीम को दौड़ा लेते हैं।
आपको बता दें कि गीदम ब्लॉक मुख्यालय से सिर्फ 3 किमी दूर स्थित है पनेड़ा गांव। यहां के लोगों का मानना है की अगर वैक्सीन लगवाएंगे तो नपुंसक हो जाएंगे और पिता बनने का सुख नहीं मिलेगा और तो और यहां की महिलाएं भी ऐसा ही सोचती हैं। उन्हें भी लगता है कि वैक्सीनेशन कराने के बाद वे मां नहीं बन पाएंगी। ऐसी ही स्थिति बुजुर्गों को भी है। अफवाह और गलतफहमी के कारण गांव के बुजुर्गों को लगता है कि वैक्सीनेशन के बाद वे मर जाएंगे।
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यहां जागरूकता की यही कमी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बन गई है। हालांकि ग्रामीणों को बार-बार जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। ग्रामीणों को कोरोना की वैक्सीन लगाने जागरूक करने के लिए जागरूकता दल का गठन किया गया है। पनेड़ा के जागरूकता दल के सदस्य ने बताया कि बीते अप्रैल से दल बनाया गया है। वे ग्रामीणों को उनके घर बुलाने जाते हैं तो लड़ना शुरू कर देते हैं। बुजुर्ग न खुद केंद्र पहुंचते हैं और न घर के युवाओं को जाने दे रहे हैं। ज्यादा दबाव बनाओ तो कई बार रहवासियों ने लाठी लेकर भी दौड़ा लिया है। कुछ दल को देखकर भाग भी जाते हैं।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पनेड़ा ग्राम पंचायत की करीब 1836 की आबादी वाले 18 व 45 प्लस वाले कुल 639 लोगों को ही टीका लग पाया है। इनमें 383 बुजुर्ग शामिल हैं। इन्हें भी बड़ी मशक्कत के बाद वैक्सीनेशन केंद्र लाया गया। अन्य लोगों को टीकाकरण केंद्र तक भी लेकर जाना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है।