नईदिल्ली – फाइनल ईयर की परीक्षाओं को लेकर यूजीसी की नई गाइडलाइंस आने के बाद देश के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में दुविधा की स्थिति बनी हुई है।
यूजीसी ने गुरुवार को कहा कि परीक्षाओं के आयोजन की स्थिति बताने के लिए विश्वविद्यालयों से संपर्क किया गया था, जिनमे 640 विश्वविद्यालयों का जवाब मिला है। इनमें से 454 विश्वविद्यालय या तो परीक्षा करा चुके हैं या फिर आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। 177 विश्वविद्यालयों में परीक्षाओं पर फैसला लिया जाना बाकी है।
बता दें कि यूजीसी की रिवाइज्ड गाइडलाइंस के अनुसार सभी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के लिए 30 सितंबर तक यूजी और पीजी कोर्सेज के फाइनल ईयर/सेमेस्टर की परीक्षाएं कराना अनिवार्य है। रिवाइज्ड गाइडलाइंस आने के बाद सभी राज्यों में कंफ्यूजन की स्थिति पैदा होती नज़र आ रही है।
मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारें अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले विश्वविद्यालयों में सभी परीक्षाएं रद्द कर चुकी हैं। जबकि यूजीसी ने सभी राज्यों से अपील किया था कि वह सभी विश्वविद्यालयों के फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा जरूर ले।
यूजीसी ने कहा है कि देश में उच्च शिक्षा स्तर में एकरूपता होना बहुत जरूरी है। इसके लिए ही गाइडलाइंस जारी की गयी हैं। सभी राज्यों को भी यूजीसी की गाइडलाइंस माननी चाहिए और फाइनल ईयर की परीक्षाएं करानी चाहिए। अगर हम फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षाएं नहीं कराएंगे तो इससे उनकी डिग्री की वैधता पर एक सवाल उठता है।
यूनिवर्सिटी और कॉलेज ऑनलाइन, ऑफलाइन या ब्लेंडेड किसी भी मोड से परीक्षाएं आयोजित कर सकते हैं। अगर कोई स्टूडेंट सितंबर में आयोजित होने वाली परीक्षाओं में नहीं बैठ पाता है तो यूनिवर्सिटी ऐसे छात्रों के लिए स्पेशल एग्जाम करवाने का निर्णय लेगी।’ शिक्षाविदों ने यूजीसी को पत्र लिखकर फाइनल ईयर की परीक्षाएं कराने के फैसले पर दोबारा विचार विमर्श करने के लिए लिखा है।
यूजीसी की प्रमुख डीपी सिंह को लिखे पत्र में लिखा गया है कि परीक्षाओं पर यूजीसी की लेटेस्ट एडवाइजरी दुर्भाग्यपूर्ण है। ये हमें आगे ले जाने की बजाय पीछे ले जाएंगे और आगे पत्र में यह लिखा गया है कि यूजीसी के इस फैसले से इससे राज्यों के अनिश्चितता का दौर शुरू हो जाएगा। क्योंकि कई राज्य पहले ही परीक्षाएं रद्द करने का फैसला ले चुके थे।