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02 सितम्बर से शुरू हो रहे हैं पितृ पक्ष भूलकर भी न करें यह काम

पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृलोक से पृथ्वी पर अपने परिजनों के पास आते हैं। पितृ पक्ष पर उनके प्रति सम्मान और आदरभाव दिखाने के लिए उन्हें तर्पण दिया जाता है। कहा जाता है कि पितृपक्ष पर श्राद्ध कर्म करने पर पितृदोषों से मुक्ति मिल जाती है। पितृपक्ष में जब पितृदेव धरती पर आते हैं उन्हें प्रसन्न कर फिर से पितृलोक में विदा किया जाता है। सभी को पितृपक्ष के दौरान कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए।

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गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ इन्हें श्राद्ध पक्ष में मारना नहीं चाहिए, बल्कि इन्हें खाना देना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में अगर कोई भोजन पानी मांगने आए तो उसे खाली हाथ नहीं जाने दें। मान्यता है कि पितर किसी भी रूप में अपने परिजनों के बीच में आते हैं और उनसे अन्न पानी की चाहत रखते हैं।

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मांसाहारी भोजन जैसे मांस, मछली, अंडा के सेवन से परहेज करना चाहिए। शराब और नशीली चीजों से बचें। परिवार में आपसी कलह से बचें। ब्रह्मचर्य का पालन करें, इन दिनों स्त्री पुरुष संबंध से बचना चाहिए। नाखून, बाल एवं दाढ़ी मूंछ नहीं बनाना चाहिए, श्राद्ध पक्ष पितरों को याद करने का समय होता है। यह एक तरह से शोक व्यक्त करने का तरीका है।

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पितृपक्ष के दौरान जो भी भोजन बनाएं उसमें से एक हिस्सा पितरों के नाम से निकालकर गाय या कुत्ते को खिला दें। स्वर्ण आभूषण, नए वस्त्र, वाहन इन दिनों खरीदना अच्छा नहीं माना गया है, क्योंकि यह शोक काल होता है। पितृपक्ष के दौरान किसी भी परिस्थिति में झूठ न बोले और कटु वचन से किसी को दुख पहुंचाएं।

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पितृपक्ष के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि घर का कोई भी कोना अंधेरे में न रहे। पितृपक्ष में कुल की मर्यादा के विरुद्ध कोई आचरण न करें।

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मान्यता है कि पितरों की तांत्रिक मुक्ति के उपाय के लिए सर्वप्रथम आपको श्रीमद भागवत महापुराण का आयोजन अवश्य करना चाहिए। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार श्रीमद भागवत महापुराण का पाठ अति उत्तम बताया गया है। या फिर आप सवा लाख गायत्री मंत्रों का जाप भी किसी योग्य विद्वान से करा सकते हैं।

इसके साथ ही आपको गया जी में अपने पितरों का पिंड दान करना चाहिए। क्योंकि गया जी में पिंड दान करने से पितरों को मुक्ति अवश्य प्राप्त हो जाती है। प्रतिदन घर में गीता का पाठ करें। ऐसा करने से भी आपको आपकी सभी परेशानियों से मुक्ति प्राप्त होगी।

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