राशिफल - अध्यात्म

40 साल बाद सूर्यग्रहण का अनोखा संयोग, जानिए किस पर पड़ेगा कितना प्रभाव और बुरे प्रभाव के लिए क्या करें उपाय

40 सालों बाद भारत में सूर्यग्रहण का अनोखा संयोग दोबारा बना है। गौरतलब है कि इस नक्षत्र में 1974 में सूर्यग्रहण पड़ा था। हांलाकि दुनिया भर में इस सूर्यग्रहण का अलग अलग असर पड़ेगा वहीं कुछ भ्रांतियां भी फैलाई जा रही है कि इस सूर्यग्रहण का असर बुरा होगा लेकिन ज्योतिषी इस बात का खंडन करते हैं। आइये जानते हैं इस सूर्यग्रहण का कहां कितना असर पड़ने वाला है और राशियों पर इसका क्या असर पड़ेगा साथ ही कैसे इसके बुरे प्रभाव से बचा जा सकता है।

कब होगा सूर्य ग्रहण

सूर्य ग्रहण 13 जुलाई 2018 को भारतीय समय के अनुसार सुबह 7 बजकर 18 मिनट से शुरू होगा और 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. इस बार का सूर्य ग्रहण पुनर्वसु नक्षत्र और हर्षण योग में पड़ेगा. ग्रहणकाल का सूतक 12 घंटे पहले लगता है. लेकिन यह ग्रहण भारत में नहीं दिख रहा इसलिए इसका सूतक मान्य नहीं होगा.

इन राशियों पर पड़ेगा असर

इस सूर्यग्रहण का बुरा असर कर्क, मिथुन और सिंह राशि पर पड़ सकता है। जबकि अगर शुभ प्रभाव की बात करें तो मेष, मकर, तुला और कुंभ राशि पर पड़ेगा।

इस दिन अमावस्या तिथि प्रात: 8.17 बजे तक रहेगी. यह ग्रहण कर्क लग्न और मिथुन राशि में हो रहा है. खास बात यह है कि इस दौरान सूर्य और चंद्र दोनों मिथुन राशि में मौजूद रहेंगे और लग्न में बुध और राहु रहेंगे. चूंकि यह ग्रहण कर्क लग्न और मिथुन राशि में हो रहा है इसलिए कर्क लग्न, कर्क राशि, मिथुन लग्न, मिथुन राशि वालों के लिए ग्रहण शुभ नहीं रहेगा.

सूर्य और चंद्र के एक साथ एक ही राशि में रहने से कर्क, मिथुन और सिंह राशि वालों को मानसिक कष्ट होगा. शारीरिक रूप से अस्वस्थ महसूस करेंगे. आर्थिक मामलों में सावधानी रखने की आवश्यकता होगी. अन्य राशि वाले भी ग्रहण के प्रभाव में आएंगे. इनके कार्यों में कुछ समय के लिए विराम लग सकता है, यानी कार्य धीमे हो सकते हैं. आर्थिक परेशानी आएगी. मानसिक रूप से विचलित रहेंगे. किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाएंगे.

शुभ काम है वर्जित

शास्त्रों में सूतक काल के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने को मना किया गया है। सूतक काल में पूजा पाठ और भगवान की मूर्तियों को स्पर्श करना वर्जित है। वहीं खाना खाना, मल-मूत्र त्याग करना भी वर्जित है।

हिंदू पंचांग के अनुसार 13 जुलाई को आषाढ़ मास की अमावस्या पड़ रही है, जिसका विशेष महत्व होता है क्योंकि इस अमावस्या के बाद वर्षा ऋतु आती है. आषाढ़ अमावस्या पर दान और पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है.

ग्रहण पर क्या करें, क्या ना करें

  1. ग्रहण के दौरान इसके असर से बचने के लिए भगवान शिव के मंत्रों और नामों का जप करना चाहिए।
  2. गरीबों को दान और तुलसी का पत्ता खाना चाहिए लेकिन तुलसी के पत्तें को ग्रहण के एक दिन पहले से तोड़कर रख लेना चाहिए।
  3. ग्रहण के दौरान खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल कर रखना चाहिए।
  4. ग्रहण में गर्भवती महिला को खास ध्यान रखना चाहिए। ग्रहण में महिलाओं को बाहर नहीं निकालना चाहिए क्योंकि बच्चे पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।
  5. ग्रहण में मंत्रों का जाप और ग्रहण के बाद पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव करना चाहिए।

सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए.

सूर्य मंत्र: ॐ घृणि सूर्याय नम:|| महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् !!

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