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विशेष लेख – कलाकार और राजनीति का मेल बहुत कम सफल रहा है, अस्थिरता स्वाभाविक भाग 2

कल से आगे लेख बढाया जाए । ऐसा भी नहीं कि लोग सक्रिय राजनीति मे हिस्सा रहे पर कुछ लिखने राजनीतिक दल बनाने का भी दुःसाहस किया  । इसमे पहला नाम तो मशहूर हास्य अभिनेता आई.एस जौहर उन्होंने बकायदा राजनीतिक दल बनाया और रजिस्टरड भी करवाया इसमे दूसरा नाम प्रख्यात अभिनेता निर्माता निर्देशक देवानंद जी भी थे । कुछ जगह उनकी पार्टी चुनाव भी लडी पर सफल भी नहीं हुई।  देव जी उस शांति मिशन का भी हिस्सा बने थे जिसमे दिल्ली से बस लाहौर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में गई थी।  इसी के बाद कारगिल मिला था । यह वो रायपुर है जहां जनसंघ से विधाचरण शुक्ल जी के खिलाफ फिलमी दुनियां के बाबूभाई पटेल ने चुनाव लडा था । जब फिल्म के दुनिया के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना ने भी राजनीति मे हाथ आजमाया था । एक बार वो कांग्रेस से सांसद भी रहे । पर दलने उनका ज्यादा उपयोग नहीं किया । पर एक चुनाव में श्री लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ दिल्ली से वे लडें भी थे जहां उन्हे   हार का सामना करना पड़ा।  फिर वो राजनीति से अदृश्य हो गए । पर इस बीच बालीवुड के दो अभिनेता गुलजार के फिल्म मेरे अपने  श्याम और छेनू भी फिल्म में आए पर अलग-अलग दलों के लिए नहीं एक दल के लिए आए वो भारतीय जनता पार्टी।  विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा ने इसमे रहते वो केंद्रीय मंत्री तक बने  । विनोद खन्ना जी अपने जीवन के आखिरी तक हिस्सा बने रहे पर शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी अलग राह पकड़ कांग्रेस मे शामिल हो गए  । पर जिस पटना साहब से चुनाव जीतते थे उस पटना साहेब से उन्हे कानून मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद से हार का सामना करना पड़ा।  वहीं उनकी पत्नी श्रीमती  पूनम सिन्हा  समाजवादी पार्टी के तहत चुनाव लड रही थी पर उन्हे भी हार का सामना करना पड़ा।  वहीं उनके पुत्र लव सिन्हा भी बिहार विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी थे उन्हे भी हार का सामना करना पड़ा।  कितनी विडंबना है खलनायक से नायक का सफर तय करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा राजनीति मे नायक से खलनायक की तरफ बढता चले गए उन्हे शायद अब उसका अहसास हो रहा होगा  । बालीवुड का एक और सितारा गोविंदा भी सांसद बने पर विशेष कुछ नहीं कर पाए । पर और एक मुखर अभिनेता राज बब्बर शायद अगर मै गलत न हू तो उनहोंने अपने सफर को समाजवादी पार्टी के साथ चालू किया फिर कांग्रेस के साथ हो चले वो भी सांसद रहे उत्तर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे अब वो जी तेईस का हिस्सा बन गए है । वहीं बीरू और बसंती भी मतलब धर्मेंद्र और हेमा मालिनी भी सांसद बने । पर धर्म पा जी ने किनारा कर लिया वहीं हेमा जी अभी भी सक्रिय हैं।  बाद मे अब सनी देओल भी भाजपा के सांसद है । इसी बीच गायक व पश्चिम बंगाल में किसी चेहरे की तलाश में भाजपा को बाबुल सुप्रियो के रूप मे एक नेता मिला अब वो सांसद के साथ केंद्रीय मंत्री भी है ।  इस बीच बालीवुड के दो नेताओ ने चुनाव तो नहीं लडा पर राजनीति मे अपनी सक्रियता को दिखाने मे पीछे नही रहे । एक रजनीकांत और दूसरा कमल हासन  पर वो सक्रियता जमीन मे दिखाई नहीं दी । पर कुछ लोग राजनीति के छूपे रूसतम भी कहा सकते है।  इनकी राजनीति अंदर की राजनीति रहती हैं।  देश को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा रहते है । एक महाशय के धर्म पत्नी को डर लगता था देश छोड़कर जाने की बात भी करते थे हाल यह उनके संबंध उस देश से जो हमे हर समय नुकसान पहुंचाता था । दूसरे महाशय भी बहुत डर कर रहते थे उनके संबंध भी पडौसी देश के प्रधानमंत्री के मित्र से थे । तीसरे तो हर समय नशे मे रहते है अपने ही साथी कलाकार को गाली देना उनकी आदतों मे शुमार था वो भी काफी डरे सबमें रहते है । और एक तो बहुत बडा स्क्रिप्ट रायटर गीतकार आदि महाशय को उनकी पत्नी और कलाकार पुत्र भी काफी डरे के मारे रह रहे है । विडंबना देखिए इन लोगों का यह दोगलापन लोगों को नागवार गुजरा लोगों ने बहिष्कार जैसे कर दिया।  अब हालात यह हैकि नवरात्रि के भी शुभकामनाएं आने लगे है शायद ही को झांसे मे आए ।  एक महाशय का कार्यक्रम ही हिंदू धर्म की कुरीतियों पर चर्चा करने के तहत जागृति लाने का था पर बाकी दूसरे धर्म पर नजरें साहब की गई नहीं  ।  अभी लेख बड़ा हो रहा है इसे अगले मे आगे लेते है । बस इतना ही 
डा .चंद्रकांता रामचन्द्र वाघ

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