कोरोना जैसी खतरनाक महामारी के बाद अब एक और आफत, एक नई बिमारी ने दी दस्तक़

दुनिया के तमाम देशों में कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगे हैं। भारत में भी कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। कोरोना से डर और आशंकाओं के बीच मंगलवार को देश में सामने आए एक मौत के मामले ने स्वास्थ्य विभाग को चिंता में डाल दिया है। रिपोर्टस के मुताबिक दिल्ली के एम्स में मंगलवार को एक 11 वर्षीय लड़के की मौत हो गई, मौत के पीछे की वजह बर्ड फ्लू का संक्रमण बताया जा रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक देश में इंसानों में बर्ड फ्लू संक्रमण और इससे होने वाली मौत का यह पहला मामला है। सामान्य तौर पर पक्षियों में होने वाली यह बीमारी दुलर्भ मामलों में इंसानों में संक्रमण का कारण बन सकती है।
डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना संक्रमण के मामलों के बीच इस साल की शुरुआत में कई राज्यों में अचानक एवियन इन्फ्लूएंजा का प्रकोप देखा गया था, हालांकि इंसानों में बर्ड फ्लू का यह पहला मामला हो सकता है। जिस लड़के की मौत हुई है उसे कोरोना संक्रमण के संदेह में पिछले दिनों अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आइए आगे की स्लाइडों में इस संक्रमण के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।
कोरोना संक्रमण के संदेह में किया गया था भर्तीएम्स के डॉक्टरों के मुताबिक जून के अंत में 11 वर्षीय इस लड़के को एम्स के बाल रोग विभाग में भर्ती कराया गया था।
शुरुआत में इसमें कोविड-19 का संदेह था, हालांकि जांच में उसका रिपोर्ट निगेटिव आया। परीक्षणों के दौरान उसमें ल्यूकेमिया और निमोनिया के लक्षण भी देखे गए। बाद में सैंपल को जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजा गया, जहां इसके बर्ड फ्लू से संक्रमित होने की पुष्टि की गई। 20 जुलाई को बच्चे की मौत हो गई। डॉक्टर इंसानों में बर्ड फ्लू के मामले को दुर्लभ मानते हैं, क्योंकि जैसा नाम से स्पष्ट है कि यह संक्रमण ज्यादातर पक्षियों में ही होता है।
बर्ड फ्लू के बारे में जानिए?
बर्ड फ्लू (एवियन फ्लू या एवियन इन्फ्लूएंजा) को इन्फ्लूएंजा वायरस का एक स्ट्रेन माना जाता है। यह संक्रमण मुख्य रूप से जंगली और पालतू पक्षियों में होता है, हालांकि कुछ बेहद ही दुर्लभ मामलों में यह इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है। बर्ड फ्लू संक्रमण के शिकार लोगों को सामान्यतौर पर सर्दी-बुखार, गले में खराश और मतली आने जैसी समस्या हो सकती है। कुछ मामलों में लक्षण बढ़कर निमोनिया, सांस की समस्या और एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम जैसी समस्याएं भी पैदा कर सकते हैं। बर्ड फ्लू को बेहद संक्रामक रोग माना जाता है, यह पक्षियों में तेजी से फैलता है, हालांकि मनुष्यों में इसका संक्रमण होना असामान्य है।
हाल ही में 15 जुलाई को चीन ने सिचुआन प्रांत में 55 वर्षीय पुरुष में बर्ड फ्लू (H5N6 स्ट्रेन) के मानव संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। इस मामले के सामने आने के साथ ही स्थानीय अधिकारियों ने मुर्गी पालन केंद्रों को बंद करने का आदेश दिया था। स्थानीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस मामले को बेहद दुर्लभ बताया था। वहीं भारत में इंसानों में इस तरह के पहले मामले के सामने आने के बाद से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) की टीम ने ट्रेसिंग शुरू कर दी है जिससे यह पता लगाया जा सके कि बच्चे के संपर्क में आए किसी अन्य में तो बर्ड फ्लू के लक्षण नहीं हैं?
कितना गंभीर हो सकता है बर्ड फ्लू का संक्रमण
बर्ड फ्लू का संक्रमण इंसानों के लिए कितना गंभीर हो सकता है, इस बारे में जानने के लिए अमर उजाला ने लखनऊ के एक अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ पंकज उपाध्याय से बातचीत की। डॉ पंकज बताते हैं कि वैसे तो इंसानों में बर्ड फ्लू का संक्रमण होना असामान्य है, हालांकि अगर यह संक्रमण हो जाए तो इसे कोरोना से भी घातक माना जा सकता है। बर्ड फ्लू के कारण मृत्युदर 60-70 फीसदी तक हो सकती है। मुख्यरूप से संक्रमित पक्षियों की लार, श्लेष्मा या मल के संपर्क में आने के कारण यह संक्रमण इंसानों को हो सकता है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि यह सामान्यतौर पर एक इंसान से दूसरे तक फैलने का खतरा कोरोना जैसा नहीं होता है।




