
धमतरी. बारिश का सीजन होने के बाद भी अच्छे से बारिश न होने की वजह से किसानों की माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिखाई दे रही है। ऐसे में पानी की कमी के चलते खेतों में लगी धान की फसलों को नुकसान होने का अंदेशा जताया जा रहा है। इससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है। उनका कहना है कि यदि एक सप्ताह के भीतर बारिश नहीं हुई तो धान के पौधे मर सकते हैं।
मौसम विभाग ने भी इस साल पर्याप्त बारिश होने का अनुमान लगाया था। जून महीने में झमाझम बारिश होने के बाद अब खेतों में धान की फसलों को पानी की जरूरत है, तब मानसून की दगाबाजी ने किसानों की परेशानी को बढ़ा दिया है।
ग्राम पोटियाडीह के किसान चंद्रशेखर साहू, परसुली के किसान नरोत्तम, लीलर के किसान कैलाश नेताम ने बताया कि उन्होंने इस साल अच्छी बारिश होने की उम्मीद से खराब होने की है, लेकिन बारिश नहीं होने से खेतों में पड़ी धान की बीज खराब होने लगी है। ऐसे में यदि एक सप्ताह के भीतर बारिश नहीं हुई तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
उधर बारिश की कामना को लेकर नगरी वनांचल समेत अन्य क्षेत्रों के किसान हवन पूजन का सहारा ले रहे हैं। किसानों का कहना है कि ऐसा करने से इंद्रदेव प्रसन्न होकर बारिश करते हैं। भू अभिलेख शाखा से मिली जानकारी के अनुसार धमतरी जिले में एक जून से अब तक 346.1 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई है। सबसे अधिक मगरलोड तहसील में 466 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई है, वहीं नगरी तहसील में सबसे कम 239.1 मिलीमीटर औसत वर्षा हुई है। इसी तरह भखारा तहसील में 447.6 मिलीमीटर, कुरूद में 378.9 मिलीमीटर, धमतरी में 289.8 मिलीमीटर और कुकरेल तहसील में 255.3 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई है।
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मानसून ने भले ही किसानों के साथ दगाबाजी की है, इसके बाद भी जिले के गंगरेल बांध समेत चारों चारों बांधों में 4 टीएमसी से ज्यादा पानी संग्रहित है। बांध सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 32.150 टीएमसी क्षमता वाले प्रदेश के सबसे बड़े गंगरेल बांध में 16.213 टीएमसी पानी संग्रहित हो चुका है। यह कुल भराव का 41. 14 फ़ीसदी है। अब तक इस बांध में 2.536 टीएमसी पानी की आवक हुई है। इसी तरह 10.192 टीएमसी क्षमता वाले दुधावा बांध में 2.80 टीएमसी पानी संग्रहित है। यह कुल भराव का 19.13 फीसदी है। बारिश के सीजन में यहां अब तक 0.637 टीएमसी पानी की आवक हुई है। इसी तरह सोंढुर बांध में 4.530 टीएमसी पानी संग्रहित है। इस तरह जिले के चारों बांधों में करीब 4 टीएमसी से अधिक पानी संग्रहित है। इसे देखते हुए किसानों ने सिंचाई विभाग से खेती के लिए पानी छोड़ने की मांग की है।