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मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने अरामबाई तेंगगोल की गतिविधियों पर अंकुश लगाने का संकल्प लिया


CM N. Biren Singh

इम्फाल, 1 सितंबर : मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने ‘अरामबाई तेंगगोल’ समेत मेइती-समर्थक उग्रवादी समूहों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए संकल्प लिया है कि वह इन समूहों को ‘‘कट्टरपंथी एवं राष्ट्र-विरोधी नहीं बनने देंगे.’’ ‘अरामबाई तेंगगोल’ पर कुकी समुदाय के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप है. सिंह ने ‘पीटीआई वीडियो’ से एक हालिया साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैंने उनसे (अरामबाई तेंगगोल) से कहा कि आप कोई भी राष्ट्र-विरोधी या सांप्रदायिक काम नहीं करेंगे. आपको सरकार की मदद करनी होगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपके मुंह से कोई सांप्रदायिक शब्द नहीं निकलना चाहिए. मैंने साफ चेतावनी दी थी कि ‘आप कुछ भी नहीं बोलेंगे’.’’ सिंह ने कहा कि उनके (अरामबाई तेंगगोल) मुंह से पांच महीने में एक भी शब्द नहीं निकला. उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन्हें कट्टरपंथी, राष्ट्र विरोधी नहीं बनने दूंगा.’’

अरामबाई तेंगगोल विवाद का केन्द्र बिन्दु रहा है. कुकी प्रतिनिधियों ने हिंसा को बढ़ाने के लिए इस संगठन को दोषी ठहराया है. सिंह ने ‘अरामबाई तेंगगोल’ को एक सांस्कृतिक संगठन बताते हुए कहा कि यह संगठन हिंसा भड़कने पर केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों की शुरुआती अनुपस्थिति के कारण स्थिति से निपटने के लिए मेइती लोगों की रक्षा की खातिर हथियार उठाने पर मजबूर हो गया. उन्होंने कहा कि वह अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे. उन्होंने पिछले वर्ष की एक नाटकीय घटना को याद किया जब अरामबाई तेंगगोल के सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से उनका त्यागपत्र छीनकर और फाड़कर उनके पद छोड़ने के प्रयास को विफल कर दिया था. कुकी समूहों ने आरोप लगाया है कि अरामबाई तेंगगोल ने सर्वेक्षण कर कुकी-जो जनजातियों के घरों को चिह्नित किया था, जिसके परिणामस्वरूप पिछले वर्ष तीन मई के बाद लक्षित हिंसा की घटनाएं हुईं. यह भी पढ़ें : विधानसभा चुनाव के लिए महायुति में सीटों के बंटवारे पर चर्चा 10 दिन में पूरी होगी : बावनकुले

‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) सहित कुकी समूहों ने आरोप लगाया है कि मणिपुर सरकार ने हिंसा की घटनाओं से अरामबाई तेंगगोल के जुड़े होने संबंधी सभी सबूतों को नजरअंदाज कर दिया है. समूह के सदस्यों पर मिश्रित कुकी-मेइती मूल के सात-वर्षीय बच्चे की नृशंस हत्या जैसी घटनाओं में शामिल होने का आरोप है. इस बच्चे को पिछले वर्ष जून में एम्बुलेंस में उसकी मां और एक महिला रिश्तेदार के साथ जिंदा जला दिया गया था. पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, बच्चे के पिता जोशुआ हैंगसिंग ने मेइती लीपुन, अरामबाई तेंगगोल और कांगलीपाक कानबा लूप के सदस्यों की भीड़ पर एम्बुलेंस पर हमला करने और उसमें आग लगाने का आरोप लगाया है. मणिपुर के जनसांख्यिकीय परिदृश्य से पता चलता है कि मेइती समुदाय जनसंख्या का लगभग 53 प्रतिशत हिस्सा है. इस समुदाय के सदस्य मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि नगा एवं कुकी सहित जनजातीय समुदाय की आबादी लगभग 40 प्रतिशत है, और वे मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं.




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