
Menstrual Leave for Women Employees: 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ओडिशा सरकार ने गवर्नमेंट और प्राइवेट क्षेत्र दोनों में काम करने वाली महिला कर्मचारियों के लिए एक दिन की मासिक धर्म छुट्टी का ऐलान किया है. इस दौरान उनके वेतन में किसी तरह की कोई कटौती नहीं होगी. ओडिशा की उपमुख्यमंत्री प्रवती परिदा ने कटक में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान यह घोषणा की है. उन्होंने कहा कि यह नीति तुरंत प्रभाव से लागू होगी और महिला कर्मचारियों को उनके मासिक धर्म चक्र के पहले या दूसरे दिन छुट्टी लेने की अनुमति देगी. इसका उद्देश्य महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को बेहतर बनाना है.
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार से महिला कर्मचारियों के लिए मासिक धर्म अवकाश पर एक मॉडल नीति विकसित करने का आग्रह किया. इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि यह मुद्दा न्यायिक हस्तक्षेप के बजाय नीति-निर्माण के दायरे में आता है.
महिलाओं को मासिक धर्म अवकाश का अधिकार और मासिक धर्म स्वास्थ्य उत्पादों तक मुफ्त पहुंच विधेयक, 2022, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं और ट्रांसवुमेन के लिए तीन दिनों की सवेतन अवकाश (बिना वेतन कटौती वाली छुट्टी) का प्रस्ताव करता है. लेकिन, इस विधेयक को अभी तक अधिनियमित नहीं किया गया है. वर्तमान में बिहार और केरल ही एकमात्र भारतीय ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने मासिक धर्म अवकाश नीतियों को लागू किया है. बिहार ने 1992 में अपनी नीति शुरू की, जिसके तहत महिलाओं को हर महीने दो दिन का सवेतन मासिक धर्म अवकाश दिया जाता है. केरल ने 2023 में सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों में महिला व छात्राओं को मासिक धर्म अवकाश देने का फैसला किया था. इसके साथ ही 18 वर्ष से अधिक आयु की महिला छात्राओं को 60 दिनों तक का मातृत्व अवकाश भी देने की घोषणा की थी.
भारत में ज़ोमैटो जैसी कुछ प्राइवेट कंपनियों ने भी मासिक धर्म अवकाश नीति अपनाई है. ज़ोमैटो अपने महिला कर्मचारियों को 2020 से सालाना 10 दिनों का सवेतन मासिक धर्म अवकाश दे रहा है.


