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विशेष लेख – कांग्रेस पर बात कहां से शुरू करूं यह समझ से बाहर, कश्मीर में आखिर हो क्या रहा

कांग्रेस पर बात कहां से शुरू करूं यह समझ से बाहर है । फिर कांग्रेस के किस गुट पर थोड़ी दया कि जाए यह भी ऐसा अनुत्तरित प्रश्न है । कल काश्मीर मे भगवा पगडी पहनकर कल जी तेईस के नेताओ ने अपनी बात रखकर संदेश पहुंचा दिया है।  पर मेरे को लगता है कि आभाहीन इन नेताओं पर  कांग्रेस हाइकमान कुछ विचार करेगा मेरे को नहीं लगता है । कभी-कभी राजनीति मे संदेश पहुंचाने का एक अपना तरीका होता है।  यही कांग्रेस है जिस पर सेफ्रान आतंकवाद प्लांट करने का आरोप लगा।  आज उसी के सम्मानित व वरिष्ठ नेता सेफ्रान कलर की पगडी पहनकर मैसेज दे रहे थे कि जले मे नमक छिड़कने का काम कर रहे थे । आश्चर्य होता है कि विगत पांच दशकों से लगातार सत्ता मे काबिज ये नेता पुनः सांसद बनने की ख्वाहिश करे तो इनकी बगावत मे स्वारथ नजर आ रहा है।  वैसे भी मोदी जी ने आजाद जी की  जो तारीफ की राजनीति की वह आजाद जी के लिए काफी महंगी पड गई । किसी का राजनीतिक संबंध के अगर वयक्ति गत संबंध बने रहते हो तो आज की राजनीति मे विश्वसनीय नहीं है।  पर यह बात तय है कांग्रेस वो दल है जो अपने परिंदे का पर हर समय कतर के रखता है । जितने भी यह नेता जी तेईस का अंग बने है किसी मे भी निर्दलीय चुनाव जीतने की हैसियत नहीं है  । अगर इन्हे कोई उबार सकता है तो सोनिया गांधी जी और पंजा  ।   इस सम्मेलन का वो कांग्रेस के नेता हिस्सा नहीं बने जो आज राज्यो में कांग्रेस की सरकार चला रहे हैं  ।  निश्चित यह नेता चाहे भूपेश बघेल जी हो कैप्टन अमरिंदर सिंह जी हो या अशोक गहलोत।  आज यह लोकतंत्र खोज रहे है क्योकि पदों से मुक्त है । क्या इन लोगों ने अंध भक्त नहीं रहे एक बार अपने दिल से पूछे ?  यह वरिष्ठ नेताओं को वो दिन क्यो याद नहीं है जब पूर्व प्रधानमंत्री स्व. नरसिंहा राव की अंत्येष्टि दिल्ली मे नहीं होने दी गई।  बात यहां तक भी होती तो कोई बात नहीं पर कांग्रेस के मुख्यालय में उनके पार्थिव शरीर को भी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए नहीं रखने दिया गया तब इन तेईस लोकतंत्र के महायोद्धाओ मे एक भी आदमी नही निकला जो इस विद्वान पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान वो भी मृत्युपरांत देने के लिए लडता। यह निःशबद खामोशी तब क्यो नही चुभी ।  फिर उस दिन यह लोग क्यो खामोश रहे जब इनमे से अधिकांश लोग मंत्री मंडल के सदस्य थे और राहुल गांधी ने आरडिनेंस फाड डाला था तब क्या इनका भी अपमान नहीं था । और तो और राम थे ही नहीं काल्पनिक थे उसके लिए न्यायालय चले गये इनमे से किसी के भी संस्कार क्यो नही जागे ?   जब राजतंत्र मे काम करते हैं तो उनकी मर्जी से ही चलना पडेगा  । आज सत्ता से बाहर है तो चुनौती देने का साहस किया जा रहा है।  कहीं आज सत्ता में रहते तो यह लोग भी खुश रहते । वाह भई गुलाम नबी आजाद जी आपका भी दोहरापन देश ने देखा है । जहां आप तीन सौ सत्तर धारा के हिमायती थे कभी भी आपका मन नही कचोटा कि मै महाराष्ट्र के वाशी से चुनाव लड रहा हू और हिंदूसतानियत की बात कर रहा हू । पर मै अभी तक काशमिरियत पर ही अटका हुआ था।  तब यह कहते कि काश्मीर से यह हटना चाहिए।  कुछ नहीं मीठा मीठा गप गप और कडवा कडुआ थू । कांग्रेस को कोई भी नुकसान नहीं पहुचने वाला है।  पहले भी यह लोग गांधी जी के नाम से चुनाव लड़ते थे भले आज परिस्थिति कुछ भी हो पर मोदी जी को यही लोग ही राजनीतिक टक्कर दे सकते है । यह तेईस लोग भले मीडिया की सुरखी बटोर  ले पर यह लोग राजनीतिक चुनाव मे न तीन मे है न पांच मे । बस यही हो सकता है कि मोदी जी अपने को मुस्लिम समुदाय के करीब होने का बताने के लिए आगे चलकर कही का महामहिम बना दे । वैसे भी राजनीति से आऊट और उम्र दराज लोगों ने ही यहां का आशियाना बनाया हुआ है।  एक बात तय है कि कांग्रेस के सत्तर साल के राजनीति मे हाइकमान ही सब कुछ है ।बहुत ही कम लोग है जो बाहर जाकर सफल हुए हैं  ।  देखो हाईकमान इन्हे कैसा लेता है यह आने वाला दिन बताएगा।  पर यह तय है कि आलाकमान इनको माफ करने के मूड मे भी नहीं होगा ।  इनकी हर समय की खामोशी ने आज  इन्हे यहां पहुचाया है । पर एक बात का मलाल और दुख रहेगा जब यह नेता अपने धर्म के लिए न बोले हो अपने आराध्य के लिए न बोले हो तो इनके इस हश्र मे बिलकुल भी दुख नहीं है ।  इन्होंने जैसा बोया है वैसे ही पाया है । अंत मे  ”   राम जी करेंगे बेडा पार उदासी मन काहे को डरे  ”   बस इतना ही 
डा . चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ

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