
दिल्ली। यूके बायोबैंक एक ऐसी संस्था है,जो हेल्थ और जेनेटिक इन्फॉर्मेशन को संग्रह और मिलान करने का काम करती है। इसने प्री और पोस्ट कोविड लोगों के ब्रेन का फोटो खींचकर अध्ययन किया तो पाया कि सूंघने, स्वाद, और कॉगनिटिव फंक्शन के साथ साथ मेमोरी फॉरमेशन करने वाले ब्रेन के हिस्से में कोरोना से संक्रमण के बाद काफी नुकसान होता है। कोरोना से पहले और बाद के ब्रेन इमेज की स्टडी के आधार पर पाया गया कि संक्रमित लोगों में कोरोना खत्म होने के बावजूद सेरेब्रल कैपेसिटी प्रभावित हो जाती है। यूके बायोबैंक ने 40 हजार लोगों के ब्रेन इमेज का डेटा बेस कोविड से पहले का अपने पास रखा हुआ था। इनमें से पोस्ट कोविड 798 लोगों के ब्रेन के इमेज फिर से लिया गया। इनकी जांच में पता चला कि 404 लोग कोविड के शिकार हो चुके हैं, इन 404 लोगों में 394 लोगों के ब्रेन स्कैन में देखा गया कि उनके ब्रेन में ग्रे पदार्थ की कमी है।
वैसे इस स्टडी का डॉक्टर्स के समूहों द्वारा रिव्यू नहीं हुआ है, यह एक प्री-प्रिंट स्टडी है और डॉक्टर्स के समूहों द्वारा रिव्यू होने के बाद ही इसे जर्नल में पब्लिश होने के लिए भेजा जा सकता ह। दरअसल पीयर रिव्यू (Peer Review) और जर्नल में पब्लिश होने के बाद ही कोई रिसर्च क्लीनिकल प्रैक्टिस में इस्तेमाल की जा सकती है। दावा किया जा रहा है कि ये पहला स्टडी है,जिसमें प्री और पोस्ट लोगों के ब्रेन स्कैन की स्टडी और तुलनात्मक ढंग से की गई है, इस स्टडी में जिन लोगों को चुना गया है वो माइल्ड से लेकर मॉडरेट कोरोना के शिकार हुए थे। भारतीय चिकित्सक भी मानते हैं उनके पास कई ऐसे मरीज आते हैं जो कोरोना से पीड़ित रहे हैं। कोरोना से निजात पाने के बाद ब्रेन फॉगिंग और अमनेसिया के लक्षण देखे जा रहे हैं। दरअसल ब्रेन फॉगिंग की वजह से दिमाग धुंधला होने लगता है, सिर में दर्द, किसी चीज पर फोकस के अभाव से लेकर सोचने समझने की शक्ति कमजोर होने लगती है।