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चुनाव विशेष- धर्म जात पात और भ्रष्टाचार से मुक्त लोगो को ही चुनकर लाने की आवश्यकता – डॉ. वाघ – cgtop36.com


डा.वाघ के वाल से आज अपनी बात पर अभी संपन्न हुए चुनाव पर कुछ बात ।  चार राज्यो मे बीजेपी की सफलता विशेष रूप से उत्तर प्रदेश को लेकर पहले की जाए।  जितना अच्छा प्रबंधन कोविड के समय योगी जी का था उसके लिए बधाई के पात्र है । वही सामाजिक सुरक्षा विशेषकर महिलाओ को देने मे योगी जी पूरी तरह सफल रहे है । वही केंद्र की योजना हो या राज्य की योगी जी ने न धर्म देखा न जात पात एक योगी की भांति ही बगैर भेद-भाव के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने मे सफल रहे । दूसरी तरफ चाहे बिजली हो उसे हर घर मे मुहैय्या कराया । पूरे प्रदेश मे सडको का जाल बिछाया वही प्रत्येक व्यक्ति को राशन व गैस सिलेंडर तक पहुंचा कर अपना राजधर्म निभाया । लोग शासक से यही चाहते है । कानून व्यवस्था के कारण ही पांच साल मे एक भी दंगे नही हुए । वही बडा से बडा डाॅन जेल की शोभा बढा रहे है । अवैध संपत्ति मे बुलडोजर चल गया । पूरे देश मे योगी जी की पहचान ही बुलडोजर बाबा के नाम से हो गई । आज कोविड प्रबंधन को लेकर पूरे विश्व मे इसकी चर्चा है । वही योगी जी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश मे इंनसिफेलाइटिस जैसे बच्चो के गंभीर बिमारी पर जैसा नियंत्रण किया वह काबिलेतारीफ है । आज यह बिमारी पूरी तरह से नियंत्रण मे है । कहा जाता है अब तक इससे पचास हजार बच्चो की मृत्यु हो गई है । इसके बाद भी विपक्ष के मत प्रतिशत बढ़ना व सीटो मे भी फायदा पहुंचना लोकतंत्र के उस कमजोरी को तो दर्शाता ही है की जिसके चलते अभी भी कुछ दल व नेता अपना अस्तित्व बचाने मे सफल है । चलो पांच साल तक कम से कम अब यूपी सुरक्षित हाथो मे है । इस देश मे ही पहले बार लोग-बाग यह देख रहे है की जहां प्रधानमंत्री के परिवार के लोग आम नागरिक की तरह जहां जीवन यापन कर रहे है वही शासकीय अस्पताल मे अपना इलाज करवा रहे है । वही देश के सबसे बडे सूबे के मुख्यमंत्री की बहन चाय बेचकर अपना जीवन निर्वाह कर रही है ।  यह हम लोगो के लिए गर्व की बात है । नही तो दूसरी तरफ तो हर कोई माननीय बनकर घूम रहे है । लोकतंत्र मे हमे अपने नोट की कीमत को पहचानना होगा ।  धर्म जात पात और भ्रष्टाचार से मुक्त लोगो को ही चुनकर लाने की आवश्यकता है । आज भी इन क्षत्रपो की मौजूदगी यह जरूर दिखाती है की चुनाव मे अभी भी बहुत कुछ बदलाव करने की आवश्यकता है । पर उत्तर प्रदेश मे पहले के मुकाबले कुछ ज्यादा राष्ट्रवाद तो दिखा ।
बस इतना ही
डा. चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ



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