बड़ी खबर – ये दवाई खाने के बाद 7 दिन में कोरोना पीड़ितों का RT-PCR टेस्ट पॉजिटिव आ रहा निगेटिव, DCGI ने दी इस्तेमाल की मंजूरी

ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने अहमदाबाद की दवा निर्माता कंपनी जायडस कैडिला की ‘विराफिन’ के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है. जायडस कैडिला ने कहा कि Pegylated Interferon alpha-2b, ‘Virafin’ को कोविड-19 संक्रमति वयस्कों में आपात इस्तेमाल से काफी मदद मिलती है. जायडस कैडिला ने कहा कि अस्पतालों को ‘विराफिन’ मुहैया कराई जाएगी. इस दवा का इस्तेमाल 18 साल से ज्यादा उम्र के मरीजों के इलाज के लिए किया जा सकता है. कंपनी ने दावा किया है कि दवाई खाने के बाद 7 दिन में 91.15 फीसदी कोरोना पीड़ितों का RT-PCR टेस्ट पॉजिटिव से निगेटिव हो गया. इसके इस्तेमाल से कोरोना मरीजों को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है और बीमारी के एडवांस स्टेज में होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकता है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जा रहा है कि उम्र बढ़ने से शरीर की वायरस के संक्रमण से लड़ने में इंटरफेरॉन अल्फा बनाने की क्षमता कम हो जाती है. यह कोरोना पॉजिटिव उम्रदराज लोगों की मौतों का कारण बन सकता है. अगर जल्द ही पेगिलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2b दी जाती है तो यह दवा इस कमी को दूर कर रिकवरी प्रक्रिया में तेजी ला सकती है. जिससे मरीज की जान बचने की संभावना बढ़ जाती है.
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कैडिला हेल्थकेयर के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. शर्विल पटेल (Dr Sharvil Patel) ने कहा है कि PegIFN दवा मरीजों को शुरू में ही दी जाती है तो वायरस को रोकने में मदद मिलती है. यह बात हमारे क्लीनिकल ट्रायल्स में भी साबित हुई है. Zydus Cadila का कहना है कि इलाज के मौजूदा तरीकों से एक मरीज के 7 दिनों में ठीक होने के 68.18 प्रतिशत चांस है, जबकि विराफिन लेने के बाद 80.36 प्रतिशत चांस है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जा रहा कि कोरोना के मामूली लक्षण वाले मरीजों को शुरुआत से ही विराफिन दवा देने पर इसका तेज असर देखा गया. इस दवा के प्रभाव से संक्रमित मरीज गंभीर स्थिति में जाने से बच जाते हैं. कंपनी ने एक बयान में बताया विराफिन की एक सिंगल डोज कोविड के मरीजों के इलाज को और प्रभावी बना सकती है. किसी मेडिकल स्पेशलिस्ट के सुझाव के बाद विराफिन कोरोना मरीजों को मिल सकती है. ज़ाइडस ने यह भी कहा है कि इसके सबूत हैं कि विराफिन लेने से सांस लेने में होने वाली परेशानी कम हो रही है. कंपनी ने दावा किया कि विराफिन देने के बाद मॉडरेट कोरोना मरीजों को महज 56 घंटे ही ऑक्सीजन देनी पड़ी, जबकि स्टैंडर्ड ऑफ केयर (SOC) में 84 घंटे ऑक्सीजन देनी पड़ रही है.
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आपको बता दें कि इससे पहले जाइडस कैडिला ने कोविड-19 के इलाज में PegiHep दवा की ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से मंजूरी मांगी थी. कंपनी ने कहा था कि Pegylated Interferon Alpha 2b या PegiHep दवा 91.15 फीसद असरदार साबित हुई है. शुरुआती तीसरे चरण के मानव परीक्षण में दवा से आशाजनक नतीजे मिले थे. अंतरिम नतीजों से संकेत मिला कि दवा को समय रहते देने पर मरीजों को जल्दी ठीक होने में मदद मिल सकती और बीमारी के विकसित चरणों में देखी गई जटिलता को टाल सकती है.