आलेख – देश में वैक्सीनेशन होगा शुरू, अगर पीएम मोदी वैक्सीन पहले लगाते तो जरूर यह आरोप आता कि अपने जान की सुरक्षा की पड़ी है
आज मै अपने लेख को एक छोटी सी लघुकथा से प्रारंभ कर रहा हू क्योकि आज परिस्थितिया कुछ ऐसी ही निर्मित कर रखी हुई है। एक गांव से एक पिता पुत्र एक गधे को लेकर पैदल बाजार की तरफ जा रहे थे । कुछ दूर ही चले होंगे कि एक सज्जन मिला तो उसने कहा कि कितने यह लोग बेवकूफ है गधा साथ मे है और दोनों पैदल चल रहे है । यह सुनने के बाद पिता ने पुत्र को बैठा दिया तो दूसरा सज्जन मिला फिर उसने कहा कि क्या समय आ गया है कि लडका आराम से बैठा है और बाप पैदल चल रहा है। इतना सुनते ही लडका उतर गया और उसने अपने पिता को बैठा दिया। फिर क्या था फिर कोई सज्जन मिला उसने तंज कस दिया कि क्या जमाना आ गया है कि बाप इत्मीनान से बैठा है और अपने लडके को पैदल चला रहा है। फिर क्या था कि अब दोनो भी गधे पर बैठ गये । अब क्या था कुछ ही दूर गये होंगे फिर एक सज्जन मिला तो उसने कहा कि कितने इन लोग जालिम है कि बाप बेटे दोनों बैठकर क्या गधे की क्या जान ले लेंगे । बस कुछ हालात आज के विपक्ष ने निर्मित किया हुआ है। कुछ नहीं है मोदी जी कुछ भी करे हमे तो उसकी आलोचना करना ही है । बाहर के देशों ने भले मोदी जी को और उसके कामों को सराहा है वही आज आदमी भी उनके कामों से खुश हैं यही कुछ नेताओं के लिए दुख का विषय बन गया है । बस महत्व हीन मुद्दे को उठाकर इन लोगों ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है । आज कुछ पोस्ट मे वैकसीनेशन को लेकर पुनः प्रश्न चिन्ह खडा कर रहे है। एक पोस्ट मे बाहर के राष्ट्राधयक्ष अपना वैक्सीन लगवा रहे है और मोदी जी को मुआयना करते दिखाया गया है। यह बंदे ऐसे लोग है कि अपने दोनों हाथों मे लड्डू रखते है । अगर मोदी जी पहले वैकसीनेशन करवाते है तो फिर इनका उक्त आरोप जरूर चिपकाते कि पूरा देश वैक्सीन का इंतजार कर रहा है और प्रधानमंत्री को अपने जान की सुरक्षा की पडी है। प्रधानमंत्री जी का नैतिक कर्तव्य था कि वो पहले पूरे देश को सुरक्षित करते और अंतिम वयक्ति वैक्सीन के बनते । अब अगर नहीं लगवाया तो वाह भई प्रधानमंत्री स्वंय ने तो टीका नहीं लगवाया पर दूसरे लोगों को टीका के लिए खतरे मे डाल दिया । प्रधानमंत्री मोदी जी तो भीरू ही है जिन्होंने इस वैकसीनेशन का अपने को हिस्सा नहीं बनवाया है । ऐसे स्थिति में यह कुछ लोगों की जमात यह तय करेगी कि वैकसीनेशन किसको कब कराना है। ऐसे स्थिति मे यह महोदय लोग ही तय कर ले प्रधानमंत्री जी को कब वैक्सीन लगवाने है जिससे आगे कोई बवाल खडा न हो ।वाह रे देश पहले वैकसीन कब आयेगी आ गई है तो सुरक्षित है कि नहीं जब लगना चालू हुई तो प्रधानमंत्री जी कब लगाऐंगे । कुल मिलाकर राजनीति करना ही मकसद है । कुछ नहीं गोविंदा के फिल्म का एक गाना ” मै वो करू ये करू मेरी मर्जी ” । आज पूरे देश में वैकसीनेशन शुरू हो गया है उसको लेकर जो उत्सुकता व उत्साह जो दिख रहा है उसमे न शामिल होकर इसमे क्या मुद्दा बनाया जा सकता है इसमे हमारे देश के कुछ राजनीतिक वैज्ञानिक इस काम पर लगे हुए हैं। पर दुर्भाग्य है कि इनके किये हुए इजाद और मुद्दे इनके लैब से निकलने के बाद भी सफल नहीं हो रहे । देश का आम अवाम पूर्णतः जागरूक है जो अब चुनाव में भी परिलक्षित हो रहा है। कुछ नहीं दुकान बंद होने का डर अंदर से व्यापत हैं। हालात यह है कि दल तो छोडो घर के लोग भी साथ नहीं दे रहे है । कुल मिलाकर जितनी वैक्सीन की खिलाफत करेंगे यह उतनी ही सफल होगी । इस आशा के साथ कि यह वैक्सीन पूरे देश को मुहैया होगी। जिससे यह देश इस महामारी से बाहर निकल कर अपने सामान्य जीवन को व्यतीत कर पाएंगे। बस इतना ही
डा . चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ