
दन्तेवाड़ा में कोरोना महामारी की मार ने क्षीरसागर दुग्ध परियोजना का व्यवसाय किया चौपट। कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन लगने के कारण रोजाना सैकड़ो लीटर दूध हुआ बर्बाद। क्षीरसागर समिति को हुआ काफी नुकसान। दन्तेवाड़ा जिले में 2014 से क्षीरसागर है सन्चालित*
दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा में 2014 से पशुधन विकास विभाग द्वारा क्षीरसागर दुग्ध परियोजना का स्थापना की गई थी जहां 32 किसान रजिस्टर्ड है। जिसके माध्यम से उनके दूध को क्रय किया जाता है और समिति के माध्यम से दूध को पैकिंग कर बेचा जाता है। किसानों ने इस संस्था के माध्यम से काफी मुनाफा भी कमाया है। लेकिन पिछले साल मार्च में लगे लॉकडाउन के बाद से इसका व्यवसाय चौपट हो गया। यहाँ समिति को रोजाना सैकड़ो लीटर दूध बर्बादी का नुकसान उठाना पड़ा। लॉक डाउन के कारण सरकारी अंडरटेकिंग होने के कारण अन्य किसानों का भी इस दौरान दूध क्रय करना पड़ा। बिक्री नहीं होने के कारण रोजाना सैकड़ों लीटर दूध बर्बाद हुआ। जिसकी भरपाई आज तक नही हो पा रही थी लेकिन जिला प्रशासन के सहयोग और सतत जीवकोपार्जन आविजका अभियान के द्वारा इनका भुगतान अब हो पाया है वही क्षीरसागर मर्यादित समिति के अध्यक्ष ने बताया कि अब रोजाना 600 लीटर दूध किसानों से खरीदा जाता है और उसके पैकेट बनाकर मार्केट में बेचा जाता है लॉकडाउन के कारण हुए घाटे की भरपाई अब धीरे-धीरे हो रही है और किसानों का दूध भी लगातार खरीदा जा रहा है। जिले के वासियों को शुद्ध एवं अच्छी गुणवत्ता वाला दूध मिले इसकी भी पूरी कोशिश की जाती है। जैसे-जैसे व्यवसाय बढ़ेगा वैसे वैसे किसानों को इससे फायदा होगा। पशुधन विकास विभाग के तरफ से समिति से जुड़े किसानों को हमेशा हरी खाद और उनके बीच भी उपलब्ध कराए जाते हैं तथा समिति से जुड़े किसानों की गायों की देखरेख भी पशुधन विभाग के द्वारा की जाती है




