छत्तीसगढ़

ब्रांडेड साबुन, मास्क और सेनिटाइजर की जगह घटिया उत्पाद दोगुनी कीमत पर, जमकर हो रही मुनाफाखोरी

कोरोना का कहर और ऊपर से मेडिकल और सेनिटाइजर उत्पादकों की कालाबाजारी की दोहरी मार झेलने के लिए आम नागरिक मजबूर है। सरकार की सतर्कता और जागरूकता अभियान कालाबारियों के आगे जैसे नतमस्तक हो गया है।

रायपुर के शास्त्री मार्केट स्थित लोकल सेनिटाइजर और ब्रांडेट डेमेज साबुन बेचने वालों की निकल पड़ी है। मुंह मांगा दाम में फिनाइल गोली के साथ ब्रांडेड डेमेज साबुन और सेनिटाइजर बेचकर एक रात में ही मालामाल हो गए है। नागपुर की घटिया सेनिटाइजर को ब्रांडेट से दोगुनी कीमत पर बेच रहे है।

सरकार की सतर्कता के बाद भी प्रशासनिक अमला नगर निगम, खाद्य और औषधि विभाग, पुलिस विभाग बड़े और ब्रांडेड मेडिकलों को छोड़कर छोटे-मोटे मेडिकल स्टोर्स पर छापामार कार्रवाई कर रही है। थोक में काम करने वाले व्यापारी नागपुर में बने साबुन और सेनिटाइजर को रिटेलरों को खपा रही है।

वहीं ब्रांडेड साबुन, मास्क और सेनिटाइजर की जगह घटिया उत्पाद दोगुनी कीमत पर उपभोक्ताओं को दिया जा रहा है। पिछले तीन दिनों में बाजार से ब्रांडेड कंपनियों के उत्पादों की कालाबाजारी खुले आम हो रही है। सरकारी अमला वहां नहीं पहुंची है छोटे मोटे दुकानदारों को चमका कर समझाश देकर लौट गई है। अपने स्तर पर दोगुनी दाम पर यहीं मांग होने पर दूसरे व्यापरियों को दोगुनी कीमत पर सप्लाई दे रहे है और माल नहीं होने का रोना रो रहे है।

जोन स्तर पर अभियान चलाकर आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मास्क एवं सैनिटाइजर की जमाखोरी, कालाबाजारी और मुनाफाखोरी रोकने अधिनियम का पालन करवाने के लिए सभी जोन कमिश्नरों को आयुक्त ने निर्देशित किया है। संबंधितों पर एफआइआर दर्ज करवाने के भी निर्देश दिए गए हैं पर नतीजा ढाक के तीन पात।

बड़े ब्रांड और बड़ी दुकानें जो अपने आप को ओरिजनल दवाई की दुकान मानते है ऐसे लोगों की दुकानें शास्त्री चौक, मेकाहारा,जीई रोड में देखी जा सकती है। बड़े ब्रांड और नाम वाली दुकान बेधड़क सेनिटाइजर और मास्क अनाप-शनाप रेट में बेच रहे है और कालाबाजारी कर रहे और लोग खरीद भी रहे है।

घटिया और नान ब्रांडेड सेनिटाइजर बिक्री मूल्य को काट छांट कर नागपुर, इंदौर -गोदिया और लोकल माल बेधड़क 180 रुपए प्रिंट मार कर बेचा जा रहा है। जबकि हिन्दुस्तान लीवर लि, का सेनिटाइजर 80 रुपए एमआरपी के साथ बेचा जाता है, लेकिन उस पर भी कालाबाजारी की छाया पड़ गई है, 250 रुपए में अपने जान पहचान वालों के माध्यम से कालाबाजारी की जा रही है। नगर निगम और जिला प्रशासन को छापामार कार्रवाई कर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।

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