
आपने कई नामचीन महिलाओं की कहानियां सुनीं होगी लेकिन महिला दिवस के अवसर पर हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो अनपढ़ होते हुए भी अपने बच्चों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने के लिए मजदूरी कर रही है। इन्होंने मजदूरी कर अपनी दोनों बेटियों को पढ़ने और खेलने के लिए प्रोत्साहित किया यही वजह है इनकी दोनों बेटियां बॉस्केट बॉल में इंटरनेशनल खेल चुकी हैं। सरगुजा से सोनू केदार की रिपोर्ट
तस्वीरें देखिए रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए फ्लाईएश ईटभट्ठे पर काम करती ये महिला पेशे से एक मजदूर है। सीतापुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पेटला की रहने वाली तेरसा एक्का ने अपनी परिस्थितियों से हार नहीं मानी और अपनी बेटियों को एक मुकाम तक पहुंचा दिया आज़ इनकी दोनों बेटियां इंटरनेशनल बास्केटबॉल खिलाड़ी हैं। खेल प्रतिभा और अपनी मेहनत की वजह आज इनकी दोनों बेटियां राजनांदगांव के एक प्राइवेट स्कूल में निशुल्क शिक्षा ले रही है।
मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है. पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उडान होती है इस कविता को चरितार्थ कर दिखाया है। गांव के इन दिनों बेटियों ने. अभाव में रहने के वावजूद खेल प्रतिभा में अपना लोहा मनवाया और इंटरनेशनल बास्केटबॉल प्रतियोगिता में पेरिस तक खेल कर आई हैं। शबनम शासकीय कस्तूरबा स्कूल से खेल प्रतिभा के हुनर की वज़ह से शासकीय साई खैल परिसर तक पहुंचीं। आज निशुल्क प्राइवेट स्कूल में शिक्षा ले रही है अपने पैरों पर खड़े होकर अपनी घर की स्थिति को सुधारना चाहती हैं शबनम।
बेटियां बेटों से कम नहीं। आदिवासी परिवार में पैदा हुए लेकिन मां के स्पोर्ट ने खेलने और पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जिसकी वज़ह से नीतू एक्का इंडिया टीम की ओर से आस्ट्रेलिया खेल चुकी हैं अपनी इस उपलब्धि के पीछे अपनी मां और अपने गुरु को श्रेय देती हैं। नीतू ने बताया कि उनकी मा नहीं पढ़ी है लेकिन उनको खेलने पढ़ने में हमेशा स्पोर्ट किया है जिसकी वजह से ये मुकाम हासिल हुआ है।

बहरहाल किसी सज्जन ने कहा है कि अगर आप गरीब पैदा हुए है तो यह आपकी गलती नहीं है पर अगर आप गरीब ही मर जाते है तो यह आपकी गलती होगी ये बेटियां उनके लिए एक नज़ीर है। आप अपनी योग्यता को पहचानने और अभाव में भी कुछ कर गुजरने की क्षमता को विकसित करें जो लोगों के लिए एक मिसाल बन जाए।