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दिल्ली पर बड़ा खतरा मंडराने लगा है- भाजपा नेता प्रभाकर पटनायक

दिल्ली दंगे की तरह गोली भी खुद ही चलाएंगे और जान भी अपनों की लेंगे, विपक्ष को किसी भी कीमत पर मोदीजी को किसान विरोधी सिद्ध करना है। इसलिए एक बार फिर से ये सारे गिद्ध इकट्ठे हैं, इन्हें लाशें गिरने का इंतज़ार है।

कितनी भी बातचीत कर लो, कितना भी समझा लो, इनमें नकली किसान नेताओं की जायज़ नाज़ायज़ मांगे भी मान लो, फिर भी हिंसा तो हो कर ही रहेगी, सारी तैयारी और फंडिंग हिंसा के लिए हो रही है।

इनमें कांग्रेस है, आप है, अकाली दल है, वामपंथी है, योगेंद्र यादव है, JNU गैंग है, अमानतुल्ला खान है, खालिस्तानी हैं, रावण है, पप्पू यादव है, शहीनबाग वाली दिहाड़ी की दादी है, इनमें बहुत से सिखों का वेश धरे मुसलमान हैं, हाथरस वाली नक्सली भाभी है तलवारें है डंडे हैं बंदूकें भी होंगी अभी पता नही है किरपाण है बरछा है

इनके पास मोटे गद्दे हैं, झक सफ़ेद रजाइयां और ढेरों कम्बल भी हैं, अनवरत चाय की चुस्कियां हैं, चौबीस घंटे तर माल वाले लंगर हैं, डिज़ाइनर कपडे हैं, डिज़ाइनर टोपियां हैं.

कनाडा का बेवकूफ पप्पू प्रधानमन्त्री है इंग्लैंड के भारत विरोधी सांसद भी हैं

बहुतों के हाथों में महंगे वाले मोबाइल हैं, fortuner गाडियाँ हैं, 6 महीने का राशन हैं, 1000 से ज्यादा ट्रेक्टर हैं लक्ज़री बसें है कनाडा के खालिस्तानी 10 mn डॉलर की मदद की घोषणा कर दी है

ये लोग इतनी बड़ी तैयारी करके आये हैं, निहंगों की टोलियां पँजाब से निकल चुकी हैं, और इन्होंने तो दिल्ली को घेर भी लिया है और बिना हिंसा के और बिना लाशें गिराए वापस चले जाएंगे? ये हो नहीं सकता

ये देशद्रोही इस मुद्दे को पूरा निचोड़ लेंगे तो अचानक ये मुद्दा गधे के सींग की तरह गायब हो जाएगा… नया मुद्दा प्रकट होगा… रंगभूमि बदल जायेगी पर कलाकार वही होंगे फिर अवार्ड वापिसी होगी, वहां सभी फिर इक्कठे होंगे, फिर देश को बंधक बनाएंगे

देश विरोधी ताकतें अकूत धन और गद्दारों की फौज के साथ देश को उसी पुराने पतन के गढ्ढे में धकेलने को आतुर हैं.
मज़बूत और ईमानदार देश उनके किस काम का.. जहाँ भ्रष्टाचार की संभावना ही न हो?

यह किसान आंदोलन बिना बड़ी जानमाल के नुक्सान के ख़त्म नहीं होगा…इतना तो पक्का है✅


यदि कोई आपसे पूछे कि अभिमन्यु कैसे मारा गया ? तो संभवतः आपके पास दो जवाब होंगे !

पहला:
अभिमन्यु को कौरव सेना के दर्जनों
महारथियों ने घेरकर मार दिया !!

दूसरा :
अर्जुन से चक्रव्यूह तोड़ने की विद्या सुनते हुए सुभद्रा की नींद लग गई थी, जिससे अभिमन्यु माँ के गर्भ में चक्रव्यूह तोड़ने का हुनर नहीं सुन पाया और चक्रव्यूह में फंसकर मारा गया लेकिन यह इस सवाल का सही जवाब नहीं है.इस सवाल का सही जवाब है….

कौरवों की वो रणनीति जिसके तहत अर्जुन को युद्धक्षेत्र से
जानबूझकर इतनी दूर ले जाया गया कि, वो चाहते हुए भी अपने बेटे को बचाने हेतु समय पर नहीं पहुंच सके…!

अगर अर्जुन अभिमन्यु से दूर नहीं होते तो शायद कोई भी अभिमन्यु को मार नही पाता !!

फिलहाल युद्धक्षेत्र सज चुका है..!
अभिमन्यु (मोदी जी) को घेरने की पूरी तैयारी हो चुकी है !!
कौरवों के योद्धा विपक्षी पार्टी और चीन और पाकिस्तान इकट्ठे हो रहे हैं…!!!

अब…..बस आखिरी रणनीति के तहत अर्जुन को (तमाम हिन्दुऔ को जातियों में तोड़ कर)रणक्षेत्र से दूर करने की कोशिश जारी है..

अब ये आप पर निर्भर है कि,आप..!अभिमन्यु को अकेला छोड़कर बाद में पछताना चाहते हैं..या..! उसके साथ खड़े रहकर उसे विजयी होते देखना..!!

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