inh24छत्तीसगढ़

महासमुंद – सीएम भूपेश के आदेश को खुला उल्लंघन, ठेंगा दिखाते अधिकारी, भुमी नामांतरण के लिये किसानो को घुमाया जा रहा लगातार

मुख्यमंत्री भुपेश बघेल एवं राजस्व मंत्री को शिकायत दर्ज कराएँगे सैकड़ो कृषक

हरीश यादव महासमुंद – जिले के पिथौरा तहसिल कार्यालय पिथौरा सांकरा मे करीब 800 भुमी नामांतरण के मामले पेंडिंग है जिसमे ग्राम पंचायतो मे 300 व बाकी के 500 तहसिल कार्यालय मे पेंडिंग चल रहे हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुवे कहा कि इसका कारण अधिकारी कर्मचारी की निष्क्रियता है जमीन खरीदी बिक्री का सरकार के द्वारा online नामांतरण की व्यवस्था की है जिससे किसानो को दफतरो के चक्कर ना लगाना पड़े जिसके आधार पर नामांतरण होना है पर राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारियो के द्वारा 1929,1955 का मिशल रिकॉर्ड मंगाया जाता है।

इसके बाद भी जब जमीनो के रजिस्ट्रार ने रजिस्ट्री आनलाईन देखकर कर दी गई तो आखिरकार नामांतरण क्यो नही हो रहे है जो की जिस गांव का रिकॉर्ड पुराना नहीं है उसे नामांतरण पर रोक लगा दी जा रही है। बार बार ब्लाँक के अंतिम छोर मे बसे गाँवो के किसान सैकड़ो किलोमीटर की दुरी तय करके जिला महासमुंद के चक्कर काटते है महज जमीनो के मिशल रिकार्ड के लिए।

इतना ही नही वहाँ भी किसानो को घुमाया जाता है। अपनी जमीनो के मिशल रिकार्ड के लिए जेब ढीली करनी पडती है जो की नियम विरुद्ध है जिसमे पटवारी द्वारा भूमिस्वामी का उल्लेख है, डिजिटल साइन है उसे नामांतरण करना है पर ग्रामीण कई महीनों से चक्कर लगाने मजबूर है।

अब क्षेत्र के कृषक इसकी शिकायत मुख़्यमंत्री राजस्व मंत्री कलेक्टर से किसानो से के द्वारा की जा रही है व दोषियों के ऊपर कार्यवाही की मांग की जायेगी प्रदेश के मुख़्यमंत्री ने नामांतरण की प्रक्रिया को सरल किया है पर उसके उल्टा पिथौरा मे किसानो को बेवजह महासमुंद मिशल लाने मजबूर किया जाता है जिससे कृषको का बहुत रुपये खर्च हो जाते है आखिरकार राजस्व अधिकारी कर्मचारी,के चक्कर लगाने मजबूर है क्षेत्र के किसान।

आपको बता दें कि पहले भी किसानो के मुद्दे पर आनलाईन रजिस्ट्री के संबंध मे खबर प्रकाशित कर मामले को उठाया था। पूरा मामला यह था कि महासमुंद जिले मे आनलाईन नकल से रजिस्ट्री नही होती थी , आनलाईन नकल मे पटवारी, तहसिलदार, के हस्ताक्षर होना अनिवार्य कर दिया गया था जिसके चलते बेबस किसान मोटी रकम देकर हस्ताक्षर करवाते थे तब कही जा कर उनकी जमीनो की रजिस्ट्री होती थी। इस खबर को हमने प्रमुखता से उठाया था तब कही जाकर आनलाईन, चॉइस सेन्टरो से निकाले गये नकल से रजिस्ट्री होने शुरू हुआ था।

राम मुर्ती दिवान नयाब तहसीलदार ने इस मामले पर कहा कि मामले पेंडिंग है, अधुरे दस्तावेज होने के चलते नामांतरण, व वाद विवाद के मामले पेडिंग है। ग्राम पंचायतो मे करीब 300, व 500 मामले तहसील मे लंबित है ,,नामांतरण, हमारे आईडी, व पटवारीयो को आता है,सप्ताह भर के भीतर नामांतरण और भी सरल प्रकिया होने के संभावना है,,जल्द ही मामलो के निराकरण करके मामले निपटा दिया जायेगा।

बी एस मरकाम अनुविभागीय अधिकारी ने बताया कि नामांतरण तहसिलदार के आईडी मे जाता है मुझे जानकारी नही है, नामांतरण तहसिलदार के न्यायालय मे चलता है,,, मामले पर तहसिलदार से बात करता हू।

कृषक अम्रित लाल गांव मेमरा ने कहा मैने भुमी का नामांतरण सन 2020 से लगया है मैने काँती बाई से जमीन खरीदी थी अभी तक नामांतरण नही हुई है ,,राजस्व कार्यालय पेशी जा जा कर थक गया हू।

वहीं एक किसान श्याम लाल कृषक गांव सुखीपाली ने शिकायत करते हुवे कहा कि 2016 से जमीन खरीदा हूं अभी तक नामांतरण नही हुआ है ,ना जाने कब होगा।

टिकेनद्र प्रधान ,, अधिवक्ता तहसिल अधिवक्ता संघ पिथौरा ने बताया कि नामांतरण के मामले मे लोक सेवा गांरटी अधिनियम के तहत अधिकतम 90 दिनो के भीतर निराकरण किये जाने का प्रावधान है इसे हर हाल मे निराकरण करना होगा।

अधिवक्ता आकाश अग्रवाल कहा कि नामांतरण के लिए मिसल रिकार्ड तहसिलदार द्वारा मगाया जाता है सन 1929 व 1955 का मिसल रिकार्ड को महासमुंद किसानो को लाने भेजा जाता है ,, महासमुंद मे पैसे खर्च कर सन 1974 का मिशल प्रदान कर दिया जाता है 1974 का मिशल रिकार्ड से भी नामांतरण तहसिलदार द्वारा नही किया जाता है जिसे किसान अपनी जमीनो को नामांतरण नही करा पा रहे है।

Related Articles

Back to top button