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विशेष – किसी भी अफगानिस्तानी नागरिक ने कभी भी आजादी का आंदोलन नही छेड़ा

आज अफगानिस्तान पर कुछ चिंता व्यक्त करे कि बात करे ।  अब हमे पहले अपने देश की राजनीति को देखकर ही अपनी राजनीति तय करनी है ।  पहले तो अपने देश के नागरिको को ही वहां से निकालने की प्राथमिकता होनी चाहिए।  बाद मे वहां के बारे मे सोचा जाए ।  अभी तो तालिबान के बारे मे कुछ बोलना जल्द बाजी होगी ।  यही कारण है कि पूरा अंतरराष्ट्रीय समुदाय वेट एंड वाच की राजनीति पर चल रहे है । पर जहां अफगानिस्तान के ही लोग तालिबान का विरोध कर रहे है । वहीं कुछ महिलाओ ने भी तालिबान का सडको पर हाथ मे पोस्टर रख विरोध करने का साहस दिखाया । पर हमारे यहां तो अफगानिस्तान तालिबान के समर्थन पर टुकडे टुकड़े गैंग मौजूद है ।  खुलकर तालिबान के लिए बोल रहे है ।  यह वो लोग है जो दो नांवो मे सवार होना चाहते है ।  पर यह तय है अब अफगानिस्तान की हालत और खराब होती चली जाएगी ।  पहले अमेरिकन से कारण वहां उन्हे लोकतांत्रिक पद्धति मे रहने की आदत हो गई है ।  बीस साल से उन्मुक्त जीवन रहने के कारण ही किसी भी अफगानिस्तानी नागरिक ने कभी भी आजादी का आंदोलन नही छेडा ।  वही तालिबान के काबिज होने के बाद उस तरह की नागरिक स्वतंत्रता के खत्म होने का भय उन्हे सताया जा रहा है ।  इसलिए देश छोडने की भगदड सी मची हुई है ।  अगर किसी देश को स्वतन्त्रता मिली है तो देश का नागरिक खुश होगा कि देश छोड़कर भागने की सोचेगा ।  यह प्रश्न का उत्तर हमारे यहां के बुद्धिजीवीयो को देना चाहिए  ।  वही अब हालात और बिगड़ने वाले है । अब आर्थिक हालात पर स्थिति खराब होगी ।  जिन देशो ने मान्यता दी है वो सिर्फ तमाशा देखेंगे ।  न चीन न रूस न तुर्की कोई भी आर्थिक मदद करने वाले है । वही पाकिस्तान तो स्वंय आर्थिक कंगाली मे है वो क्या सहयोग करेगा । वही आईएमएफ ने पहले ही हाथ खडे कर दिए है । अमेरिका व यूरोपियन ने भी आर्थिक मदद से इंकार कर दिया है ।  कुल मिलाकर देश कैसे चलेगा इसकी सुगबुगाहट पहले ही चालू हो गई है ।  वही महिलाओ पर पुनः पाबंदी से अभी से ही महिलाओ का खुले आम विरोध ऐसे हालात मे सडको मे दिखने लगा है ।  वही उपराष्ट्रपति या अभी कार्यवाहक राष्ट्रपति सालेह ने इनके खिलाफ जंग लडने का ऐलान सा कर दिया है । वही तालिबान ने अपनी जमीन से किसी भी तरह के आतंकवाद के लिए देने से मना कर दिया है ।  पर इसके बाद भी हमारी सरकार और सेना किसी भी आतंकवाद से लडने मे सक्षम है । तो पाकिस्तान को किसी भी गलत फहमी मे नही रहना चाहिए  । वैसे भी अफगानिस्तान मे इन तालिबान वालो को घर के अंदर से ही इतनी चुनौती मिलेगी कि दूसरे देश से पंगा लेने का समय ही नही मिलेगा । कुल मिलाकर जो लोग इस बात से खुश हो रहे है कि तालिबान के आने से काश्मीर मे कुछ कर लेंगे बहुत बड़ी गलत फहमी मे है ।  वैसे भी तालिबान भी अफगानिस्तान मे भारत के निवेश से प्रभावित है वह भी इन आर्थिक तंगी मे हमे नही खोना चाहेगा।  वही आगे क्या होता है उस पर ही सब देश अपनी नीति तय करेंगे ।   
बस इतना ही
डा. चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ 

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