inh24छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ – आईटीआई में 2 डिप्लोमा और 5 दफ़े MA की डिग्री के बाद गोबर बेच इतना कमा रहे ये शख्स

धमतरी –  छत्तीसगढ़ में सरकार ने गोधन न्याय योजना की शुरुआत की है. जिसके तहत प्रदेश में गोबर की खरीदी की जा रही है. यह योजना शिक्षित बेरोजगार युवा डोरेलाल के लिए उम्मीद बन कर आई. डोरेलाल गोबर बेचकर हर रोज 300 रुपये तक की आमदनी रहे है. भटगांव के डोरलाल साहू के पास आईटीआई में दो डिप्लोमा, 5 बार एमए की डिग्री है, लेकिन बेरोजगारी की ऐसी मार पड़ी की घर बैठने को मजबूर हो गए. जैसे-तैसे गांव में रोजी मजदूरी करके अपना घर चला रहे थे. डोरेलाल के पास रोजगार नहीं है तो अब उन्होंने इसी को रोजगार का जरिया बना लिया है. वे कहते हैं कि सरकार की योजना बहुत बढ़िया है. उन्हें घर बैठे रोजगार मिल रहा है. अब गांव के युवा इनसे प्रेरित होकर गोबर बेचने की तैयारी में हैं.

जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर दूर स्थित भटगांव में रहने वाले डोरेलाल साहू ने एमए तक की पढ़ाई की है. उन्होंने एमए की 5 डिग्री हासिल की है. राजनीति शास्त्र, हिंदी लिटरेचर, समाजशास्त्र और अन्य विषयों में एमए किया है. इसके अलावा आईटीआई इलेक्ट्रॉनिक्स और वेल्डर में डिप्लोमा भी हासिल किया है. उन्होंने बताया कि डिग्री और डिप्लोमा के भरोसे कई साल शासकीय नौकरी और प्राइवेट नौकरी के लिए उन्होंने आवेदन किया, लेकिन वे सफल नहीं हो सके और किस्मत ने भी साथ नहीं दिया.

डोरेलाल का कहना है कि वे गांव में मजदूरी कर किसी तरह वह जीवन यापन कर रहे थे, लेकिन राज्य शासन की गोधन न्याय योजना के तहत शुरू हुए गोबर खरीदी उनके लिए रोजगार का एक बड़ा अवसर बनकर आया. डोरेडाल बताते हैं कि हर रोज सुबह ढाई से तीन घंटे गांव में पड़े गोबर को इकट्ठा करते हैं और इसके अलावा तीन चार परिवारों से 1 रुपये के दाम पर गोबर की खरीदी करते हैं. जिसे वह 2 रुपये में बेचते हैं. इस तरह दिन में वे डेढ़ क्विंटल गोबर इकट्ठा कर रोज बेच रहे हैं. इससे उनको हर महीने करीब 9 हजार की आमदनी हो रही है.

गोरेलाल ने इलेक्ट्रिक मोपेड भी खरीदी है. पहले वे साइकिल से गोबर बिनते थे अब गोबर इकठ्ठा करने के लिए इलेक्ट्रिक मोपेड का उपयोग करते हैं. कई लोगों ने गोबर बिनने इस काम को लेकर ताना भी मारा, लेकिन डोरेलाल इसे रोजगार मानते हुए कभी हताश नहीं हुए. उन्हें कुछ दिन बेकार जरूर लगा लेकिन अब रोज का यह काम हो गया है. इतना ही नहीं डोरेलाल के इस काम से प्रभावित होकर गांव अन्य युवक भी इस काम में जुड़ गए हैं. जो ग्रामीण ताना मार रहे थे, अब वहीं डोरेलाल साहू के काम की सराहना कर रहे हैं.

गोबर बना रोजगार का जरियागोरेलाल साहू के पास 2 एकड़ खेती जमीन है. जिसपर वे खेती करते हैं और कुछ पशु भी है. उनकी दो लड़की है जो कक्षा ग्यारहवीं और बारहवीं में पढ़ती है. गोबर बीनने से उनके परिवार के सदस्यों को किसी तरह की शर्मिंदगी नहीं है. डोरेलाल कहते हैं कि यह उनके लिए एक काम है, इसमें शर्मिंदा होने जैसी कोई बात नहीं है. बहरहाल, डोरेलाल साहू के लिए गोबर बीनने का यह काम ही उनके रोजगार का जरिया बन गया है.

Related Articles

Back to top button