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भाटापारा – मंडी टैक्स में वृद्धि के विरोध में व्यापारीयों की हड़ताल, मंडी में किसानों की बढ़ी मुश्किलें

कुश अग्रवाल बलोदा बाजार – भाटापारा कृषि उपज मंडी में राइस दाल व पोहा मिल के लगभग 400 व्यापारी पहुंचते हैं, जो कृषि उपज जींस की खरीदी- बिक्री करते हैं। टैक्स वृद्धि के विरोध में व्यापारियों के हड़ताल पर चले जाने से सबसे ज्यादा प्रभाव रेजा कुली व हमाल जैसे लोगों के ऊपर पड़ा है।
10 दिसंबर दिन शुक्रवार से सभी पोहा एवम दाल मिले बंद हो जाएंगी और इस में कार्य करने वाले सभी मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे।

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा दिनांक 01/12/21 से मंडी शुल्क में की गई अप्रत्याशित वृद्धि (मंडी शुल्क 3% + कृषक कल्याण शुल्क 2%) 5% हो गई है जो कि पहले पोहा उद्योगों के लिए 1% थी इसलिए इसका सीधा प्रभाव छत्तीसगढ़ के कृषि उपज पर आधारित उद्योगों पर पड़ा है 2 साल से कोरोना कॉल की मार झेल रहे उद्योगों पर अभी हाल ही में कुछ समय पूर्व बिजली दरों में वृद्धी की गाज गिरी थी इनसे उबर पाना ही बहुत मुश्किल था कि अब ये मंडी टेक्स में कुल 5% की बढ़ोतरी ने उद्योगों को मरणावस्था में पहुचाने की रही सही कसर भी पूरी कर दी। ये लघु उद्योग जो सेमी आटोमेटिक मैनुअल पद्धति पर काम करते हैं इनसे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से हज़ारों छत्तीसगढ़ के स्थानीय मजदूरों को रोजगार मिलता है।

इसके साथ ही छत्तीसगढ़ शासन द्वारा की जाने वाली धान खरीदी के बाद जो भी उपज किसानों के पास बचती है उनको उचित मूल्य पर खरीदी करने वाले ये लघु उद्योग ही है इस प्रकार ये उद्योग छत्तीसगढ़ शासन पर धान की उपज को लेकर होने वाले अतिरिक्त भार को कम करने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाते है।

मंडी टेक्स बढ़ने की वजह से ये उद्योग अन्य राज्यों के अपने प्रतिद्वंद्वी उद्योगों के सामने प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाने के कारण तालाबंदी के कगार पर आ गए हैं। ऐसे उद्योगों पर ताला लगने से छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए अत्यधिक चिंता का विषय है। इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार को इस पर ध्यानाकर्षित करके पूर्व की भांति मंडी शुल्क पर रियायत देकर उद्योगों के अस्तित्व को बचाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।

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