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आलेख – हाथरस केस में राजनीति हुई शर्मसार, बलात्कार मे भी ढूंढ ली जात – डॉ चंद्रकांत रामचंद्र वाघ

Dr. Chandrakant wagh
डॉ. चंद्रकांत रामचंद्र वाघ

हाथरस केस में जैसा तथाकथित लोगों का दिवालियेपन को देख रहा हूं तो राजनीति इतनी शर्मसार हो गई है कि अपने फायदे के लिए कहीं तक भी जाने को तैयार है । वाह रे नेताओं और वाह रे पार्टीया आप लोगों ने बलात्कार मे भी जात ढूंढ ली । फिर इनके अनुसार तो सवर्ण बच्चियों के साथ होने वाले बलातकार बलातकार होते नहीं है । एक भी नेताओं ने यह नहीं कहा कि मेरे देश के बच्चियों के साथ होने वाली बलातकार की घटना दुखद और बर्दाश्त के लायक नहीं है । मै अभी अपने को लिखने से दूर किया हुआ था । पर मेरा एक टवीट कुछ लोगों को नागुजार लगा । किसी दल से कोई प्रतिबद्ध है तो यह उनकी वैचारिक विवशताओं से ज्यादा कुछ नहीं है । पर कुछ लोग होते हैं जो वैचारिक प्रतिबद्धता के साथ अपनी निष्पक्षता भी कायम रखते हैं उसमें मै भी हू । विचारों के कारण गलत को कभी भी जायज नहीं ठहराया जा सकता है । चलो विषय की गंभीरता पर अब वो दिन नहीं रहे जब लोगों को आप कह कर पलट सकते थे । अब आप कैमरे मे है आपकी हर हरकत कैमरे मे कैद हो रही है । हाथरस वो जो हास्य कवि सम्राट काका हाथरसी का हाथरस । जहां हास्य का उद्गम था । पर वहां गमी मे जाते हास्य के बीच जाने से काका जी भी जिन्होने अपनी जिंदगी भर लोगों को हँसाया उन्हे भी उपर यह देखकर नागवार गुजरा होगा । कल तक पुलिस की मौजूदगी में साधुओं की हत्या पर खामोशी अखतियार करने वाले वही लोग आज इंसाफ के लिए निकले है । जिस दिन यह कहे कि देश की बच्ची के साथ गलत हुआ है जिस दिन पीड़ित लडकी का जात धर्म अगडा पिछड़ा नहीं देखेंगे तब विश्वास होगा । वो लोग आज इंसाफ की दुहाई दे रहे हैं जिनके पार्टी में तंदूरी हत्या कांड हुआ । इस पार्टी के एक कद्दावर नेता जो अब नहीं रहे उनके ही अवैध संतान ने सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से उन्हे अपना बेटा कहने के लिए कानून न मजबूर होना पड़ा । स्थिति तो यह आ गई थी कि डीएनए टेस्ट के लिए न्यायालय ने कहा था तो देने से इंकार किया था । आंध्रप्रदेश के राज्यपाल से क्यो निलंबित किया पूरे देश को मालूम है । कैसे यह सब देख लगातार महाशय महामहिम बनते रहे तब किसी का जमीर नहीं जगा । भंवरी देवी के साथ क्या हुआ नहीं पता ? और तो और नामचीन अधिवक्ता को इसी तरह के आरोप मे कुछ दिनों के लिए बाहर कर फिर ससम्मान ले लिया गया है । कुछ नहीं राजनीति है । क्या गलत है कि कोरोना के इस महामारी मे अपने नागरिक कर्तव्यो को दर किनार कर इस तरह के आंदोलन क्या उचित है ? अगर कल किसी कार्यकर्ता को कोविड हुआ तो कौन जिम्मेदार रहेगा । मेरे एक चिकित्सक मित्र ने भी आपत्ति की थी । मेरे एक मित्र ने रात के अंतिम संस्कार के उपर प्रश्न किया बिलकुल सही है । लोगों को उसके दोषियों पर सजा की मांग करनी चाहिए । पर इस तरह का संवेदन हीन आंदोलन इस मामले की गंभीरता को कम करता है । अब समाजवादी पार्टी भी काफी जोर शोर से इस मामले को अपने हाथ से जाने देना नही चाहती । यह वही पार्टी है जहां इनके पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि बच्चो से गलती हो जाया करती है । यह वही पार्टी है जिसने गायत्री प्रजापति को अपने सरकार के जाते जाते तक बचाया । वहीं इनके एक सेकयूलर नेता संसद में पीठासीन महिला अध्यक्ष को तंज मारने मे कसर नहीं छोडते जिसकी काफी आलोचना हुई । यह सब लोग अब न्याय दिलाने के लिए सडकों पर है । अब भाजपा की भी बात हो जाये यहां भी ऐसे लोगो की कमी नहीं है । स्वामी चिन्मयानन्द जी ने सबको शर्मसार कर दिया । विधायक कुलदीप सेंगर को कैसे भूला जा सकता है । जिसने अपने राजनीतिक वजूद बचाने के लिये पूरे परिवार को ही तबाह कर दिया । कोई दूध का धुला नहीं है । सब लोग सिर्फ राजनीति कर रहे है । भजनलाल पूरे मंत्रीमंडल के साथ पार्टी बदल लेता है । वहीं राजद के साथ चुनाव लड़ने वाले नीतीश कुमार बिहार मे भाजपा के साथ सरकार बना लेते है । वहीं महाराष्ट्र में जो शिवसेना भाजपा के साथ चुनाव लडती है वो कांग्रेस के साथ सरकार बना लेते है । कहा नैतिकता कैसी नैतिकता और हम और आप विचार धारा के नाम से इन महामहिम लोगों के लिए लडते है जिनके लिए राजनीति व्यवसाय से ज्यादा कुछ नहीं है । हर दल लोकतंत्र में इन लोगों के साथ आखिरी दम तक खडे रहता है जब तक यह लोग महिवाल मदरेणा गायत्री प्रजापति कुलदीप सेंगर सलाखों के अंदर जाने को मजबूर न हो जाए । आज भी हर दल मे इस तरह के सफेद पोश अभी भी खुले हवा मे घूम रहे हैं सबको मालुम है पर अपनी राजनीतिक विवशता मे इन्हे ढोने को मजबूर है । क्योकि इन्हे जात पात की राजनीति करनी है । मै दलित नहीं कहूंगा इस हिंदुस्तानी बेटी को जल्दी से जल्दी न्याय मिले इस केस मे जितने भी दरिंदे है उन्हे फांसी की सजा मिले । शायद मेरे उस टवीट का उत्तर मिल गया होगा । बस इतना ही
डा .चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ

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