देश के 13 राज्यों में छा जाएगा अंधेरा, ये राज्य हैं शुमार, जानें वजह

राज्यों में बिजली संकट की बात तो सुनी होगी। लेकिन इस बार बिजली संकट का कारण कोयला नहीं बल्कि कुछ और है। जी हां इस बार इसकी वजह राज्य सरकारों की बड़ी लापरवाही बन सकती है। दरअसल कई राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों को पावर प्लांट्स के 5085 करोड़ रुपये चुकाने हैं।
ऐसा पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में राज्यों को एक्सचेंज पर प्रतिबंधित किया गया। जिसके चलते इस मानसून के बीच 13 राज्यों में बिजली संकट छाने की आशंका बन गई है। इसका असर ये हो सकता है कि इन राज्यों में मांग बढ़ने से बिजली की खरीद नहीं हो पाने के कारण बिजली संकट बढ़ सकता है।
पावर एक्सचेंज द्वारा पावर प्लांट के पिछले भुगतान न किए जाने पर तमिलनाडु, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, झारखंड, बिहार, जम्मू और कश्मीर, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ की बिजली वितरण कंपनियों को बिजली एक्सचेंज से बिजली की खरीद करने पर रोक लगा दी है मतलब ये कि ये राज्य अब अपने उत्पादन के ज्यादा ये कंपनियां एक्सचेंज के माध्यम से दूसरे पावर प्लांट से बिजली नहीं ले पाएंगे।
इसका प्रभाव होगा कि मांग बढ़ने और इसके विपरीत राज्य में उत्पादन घटने की स्थिति में बिजली की कटौती बढ़ेगी। सही बात ये है कि राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों को पावर प्लांट्स के 5085 करोड़ रुपये चुकाने हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है जब इतनी बड़ी संख्या में देश के राज्यों को पावर एक्सचेंज पर बिजली खरीद के लिए प्रतिबंधित किया गया।
आखिर विभिन्न राज्यों पर इतनी बड़ी कार्रवाई की वजह क्या है तो हम बता दें कि दरअसल पावर प्लांट के घाटे को कम करने और उनका बकाया रिलीज करने के लिए पावर मिनिस्ट्री द्वारा नए नियम जारी कर दिए गए हैं। इतना ही नहीं ये नियम आज यानि 19 अगस्त से लागू हुए हैं।
नए नियमों के अनुसार अगर राज्यों की बिजली वितरण कंपनियां पावर कंपनियों के बकाया को 7 महीने तक नहीं चुकाती हैं, तो उन्हें पावर एक्सचेंज पर प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। ऐसी जानकारी सामने आ रही है कि इससे पहले भी इस तरह की कार्रवाई हुई है। लेकिन उस समय प्रतिबंधित राज्यों की संख्या कम थी साथ ही कुछ ही दिनों में प्रतिबंध हटा दिया गया था। लेकिन इस बार ये पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में देश के राज्यों पर प्रतिबंध लगाया गया है।




