
रायपुर। प्रदेश में आपराधिक मामले और आपराधिक सोच वाले लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है। वहीं जिन लोगों ने अपराध और अपराधियों का साथ नहीं दिया उनकी छवि को खराब करने की साजिश और कोशिश भी की जा रही है। हम बात कर रहे हैं उनलोगों की जिन्हें शायद नए अधिकारी के नियुक्ति से अपचक सा हो गया है। दरअसल, हाल ही में हाथकरघा विभाग में पदस्थ आईएएस राजेश सिंह राणा की नियुक्ति पाठ्य पुस्तक निगम में प्रधान प्रबंधक के पद पर हुई है। नियुक्ति मिलते ही आईएएस राणा पर आरोपों का मानों बौछार सा हो गया हैं। कही गलत साबित नहीं होने पर आईएएस राणा पर फर्जी आरोप लगाकर उनकी छवि को धूमिल किया जा रहा हैं, साथ ही मीडिया का सहारा लेकर झूठी खबरें प्रकाशित की जा रहीं हैं। एक समाचार पोर्टल ने आईएएस राजेश सिंह राणा के खिलाफ बिना किसी सही तथ्य के बेबुनियाद आरोप लगाएं गए हैं। समाचार पोर्टल ने सीधा आरोप लगाया है और कहा है कि आईएएस राणा ने अपने कार्यकाल में बेहिसाब रुपए कमाएं हैं और इन्हें लग्जरी गाड़ियों और लाइफस्टाइल का शौक हैं। जबकि इसके विपरीत आईएस राजेश सिंह राणा ने प्रदेश के विकास के लिए बहुत से कार्य किए हैं। समाचार पोर्टल द्वारा आईएएस राणा के प्रोपर्टी का गलत ब्यौरा लोगों के सामने पेश किया जा रहा है। आईएएस राणा हर साल अपने संपत्ति का ब्यौरा जीएडी में रजिस्टर करवाते हैं। इसमें उनकी सभी संपत्तियों का ब्यौरा दिया गया है। पोर्टल ने लिखा है कि आईएएस राणा के पास तिल्दा में करोड़ो की जायदाद है जबकि इसके फेर उनके पास वहां केवल एक कृषि भूमि है जिसका ब्यौरा उन्होंने जीएडी में दिया है। पोर्टल ने यह भी लिखा है कि कचना में 4 करोड़ का बंगला है, जबकि उनका पूरा डिटेल जीएडी में दर्ज हैं। बता दें कि जिस बंगले की कीमत 4 करोड़ बताई गई है उसका बाजार मूल्य कम है और जबरन मुद्दा हाइलाइट करने के लिए गलत राशि लोगों को दिखाई जा रही है। वीआईपी सिटी में एक मकान होना भी पोर्टल में बताया गया है जो कि सरासर गलत है, वीआईपी सिटी में आईएस राणा के पास किसी भी प्रकार की संपत्ति नहीं है। बता दें आईएएस राणा की धर्मपत्नी के नाम जो नोएडा में संपत्ति है वह शादी के पूर्व उनके ससुर द्वारा उनकी धर्मपत्नी को दिया गया था, जिस समय उनके धर्मपत्नी के नाम संपत्ति की गई थी उस समय आईएएस राणा की शादी ही नहीं हुई थी। समाचार पोर्टल द्वारा आईएएस राणा पर जातिगत टिपण्णी भी की गई है। पोर्टल ने लिखा है “सिंह होने का मिला लाभ।” लिखने वाले या लिखवाने वाले को शायद इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां किसी भी प्रशासनिक अधिकारी के लिए सभी जाति और धर्म के लोग एक बराबर है। इसके बावजूद किसी प्रशासनिक अफसर पर जातिगत टिपण्णी करना उचित ही नहीं हैं। आईएएस राजेश सिंह राणा पर इतने बेबुनियाद आरोप लगाएं गए हैं जैसे मानो उनके कार्य करने के तरीकों से किसी अधिकारी या सत्ताधारी नेता को भ्रष्टाचार का रास्ता ढूंढने में तकलीफ हो रही हो।
आईएएस राजेश सिंह राणा की उपलब्धियां
आईएएस राजेश सिंह राणा जब बालोद में पदस्थ थे तब उन्होंने लोगों और जिले के विकास के लिए बहुत से कार्य किए है। इसका जीवंत उदाहरण उनके ट्रांसफर के बाद रायपुर में महिला समूहों की रैली थी। आईएएस राणा के तबादले के बाद बालोद की महिला समूहों ने उनके ट्रांसफर को रुकवाने रायपुर में रैली निकाली थी जो कि प्रदेश में किसी भी अधिकारी के लिए आजतक नहीं हुआ है। इसके अलावा जब आईएएस राणा बलौदाबाजार में पदस्थ थे तब उन्होंने बच्चों की शिक्षा पर जोर दिया था। उन्होंने कई स्कूलों का निरीक्षण किया, बच्चों की शिक्षा को नए आयाम तक पहुंचाया। इसका असर यह हुआ कि बलौदाबाजार आईएएस राणा के कार्यकाल में शिक्षण के हिसाब से टॉप पर था। जब आईएएस राणा का तबादला हुआ तब सैकड़ों की संख्या में छात्र और छात्राएं उनके बंगले के बाहर सिर्फ उन्हें रोकने के लिए खड़े थे। इसके अलावा हाल ही में आईएएस राजेश सिंह राणा को जब हाथकरघा विभाग से पाठ्य पुस्तक निगम में पदस्थ किया गया तब हाथकरघा महिला समूहों ने सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखकर उन्हें वापस हाथकरघा विभाग में रखने ज्ञापन दिया है। इसके अलावा बालोद की तरह आईएएस राजेश सिंह राणा राजधानी रायपुर में बच्चों के लिए फ्री कोचिंग क्लास चलाते हैं। बता दें कि जिस बिल्डिंग में राजेश सिंह राणा फ्री कोचिंग चलाते हैं वह उन्होंने खुद लोन लेकर खरीदा है और उसमें निशुल्क बच्चों को पढ़ा रहें हैं। आईएएस राणा के कोचिंग की डिमांड प्रदेश के कई जिलों में हैं। इस कोचिंग सेंटर में वे गरीब, ओबीसी, एससी-एसटी और जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करतें हैं। बता दें आईएएस राणा को आम जनता का कलेक्टर कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने कार्य ही ऐसे किए हैं।
महिलाओं और छात्राओं को दिया तवज्जों
आईएएस राजेश सिंह राणा ने अपने कार्यकाल में महिलाओं और छात्राओं के विकास को महत्व दिया है। उन्होंने महिलाओं और छात्राओं को आगे बढ़ाने में रोजगार से लेकर शिक्षा तक हरसंभव मदद भी किया। शायद यही कारण है कि जब भी इनका तबादला होता है तब इनके चाहने वाले इन्हें रोकने रोड में खड़े हो जाते है। इनके आह्वान पर बलौदाबाजार जिले में लोगों ने अपनी बेटी के नाम का नेम प्लेट घर के बाहर लगाना शुरू किया। ऐसे उत्कृष्ट कार्य के बाद उन्हें जबरन बदनाम करने की साजिश रची जा रही है।
गरीबों के कलेक्टर
आईएएस राजेश सिंह राणा को गरीबों के कलेक्टर के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने गरीब तबके के लोगों के लिए कमाई के साधन उपलब्ध कराए। लोग उन्हें कलेक्टर छोड़ अपना बेटा मानने लगे थे। जिस जिले में भी वे कलेक्टर रहते, बच्चों के लिए खिलौने जरूर लेते। उन्होंने कुम्हारों के विकास के लिए मंत्रालय में मिट्टी के बर्तनों में खाना खाने और खाना परोसने के आदेश को मंजूरी दिलवाई थी ताकि मिट्टी से बर्तन बनाने वाले लोगों को आय का स्रोत मिल सके।
अब सोचने वाली बात यह है कि इतना नेक कार्य के बाद इनकी छवि धूमिल करने की कोशिश क्यों कि जा रही है? प्रदेश को ऐसे अफसरों की जरूरत है जो राज्य के हालात को समझे और प्रदेश को नई उचाईयों तक पहुंचाए।



