राशिफल - अध्यात्म

जानिए पितृ पक्ष की समाज में फैली भ्रांतियां और आपकी शंकाओं के सारे जवाब भगवताचार्य पं. त्रिभुवन महाराज से

पितृपक्ष के निमित्त समाज मे वैसे तो कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई होती है आज हम आपको पंडित त्रिभुवन महाराज जी के द्वारा बताई गई फैली भ्रांतियों एवं उनके समाधान के बारे में यहां बता रहे हैं पढ़िए समाज में फैली भ्रांतियां और समाधान-

1 भ्रांति -पितृपक्ष में घर के दैनिक पूजा पाठ या अन्य कोई नित्य धार्मिक पूजन कार्य नहीं करना चाहिए।

समाधान – पितर पक्ष एक विशिष्ट अवसर है, जिसमें हमें अपने पितरों व बुजुर्गों का आदर एवम हिन्दु धर्म में वर्णित तर्पण एवम श्राद्ध आदि करना चाहिए। इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि अन्य दैनिक पूजन आदि कार्य भी न करें। घर मे बने हुए मन्दिर में नित्य की तरह रोज पूजन करना चाहिये। कई लोगो से सुनने में आता है कि हम लोग तो 15 दिन के लिये पूजा पाठ बन्द कर देते है जो कि उचित व शास्त्रोक्त नही है।

2 भ्रांति – पितृपक्ष उसके लिए है जिसके पिता व माता नहीं हैं।

समाधान – तर्पण को नित्य कर्म के अंतर्गत समाहित किया गया है। जैसे भोजन , शयन आदि कई कार्य रोज करते है उसी तरह तर्पण रोज करना चाहिये। जिसके संकल्प में श्रुति स्मृति पुराणोक्त फल प्राप्तये इसकी कामना है। सभी को इस काल खण्ड में अपने पूर्वजों को स्मरण एवम उनके मृत तिथि को दानादि एवम तर्पण आदि अवश्य करनी चाहिए।

3 भ्रांति – गया श्राद्ध कर लेने के बाद पितृपक्ष में तर्पणादि नहीं होगा। पितरो को नही मानना है ???

समाधान – यह तो पूरी तरह से कामचोरी की श्रेणी में अपराध है। शास्त्रों में गया श्राद्ध को नित्य बताया गया है जितने बार गया जायें उतने बार तर्पण कर सकते है।

यदि गया श्राध्द कर देने से पितृ कभी वापस नही आते है तो फिर अपने घर परिवार के विवाह कार्य मे और कौन से पितरों को निमंत्रित करते है??????

4 भ्रांति- वर्तमान वर्ष में पिता/ माता या परिवार से कोई दिवंगत हो गए तो इस वर्ष पड़ने वाले पितृपक्ष में तर्पणादि नहीं करना है।

समाधान – इस वर्ष भी तर्पणादि किया जाएगा।
दिवंगत के नाम से जब उसी दिन ( दाह कर्म के बाद स्नान करके तालाब में ) जौ तिल लेकर तिलांजलि दिया जाता है दशगात्र आदि कर्म में तर्पण करने के लिये गरुड़ पुराड़ में वर्णन किया गया है फिर पितर पक्ष जैसे पुण्य अवसर पर क्यो नही।

दूसरी बात , जो दिवंगत हुआ है उनका बहाना बनाकर बांकी पितरों को क्यो निमंत्रित नही करना है?????

5 भ्रांति- बड़े भैया या बड़े दादा करते हैं तर्पणादि तो हम क्यों करें।

समाधान – यह कार्य प्रत्येक भाई के लिए है , क्योंकि उन माता पिता ने सभी बच्चों को प्यार दुलार दिया है , सभी उनके सम्पत्ति के बराबर के हिस्सेदार हो। फिर उनको मानने के समय मे बड़ा भाई भर क्यो मानेगा भई
हां यदि सभी भाई साथ रहते है , एक रसोई में सबका भोजन बनता है तो श्राद्ध कर्म तिथि पर बड़े भाई को समस्त कार्य सम्पन्न करने का अधिकारी बताया गया है न कि बांकी अन्य भाईयों के लिये मना किया गया है।

6 भ्रांति- हमें संस्कृत पढ़ना नहीं आता तो मंत्र कैसे पढ़े।

समाधान – आप किसी जानकार से पूछ कर या पण्डित पुरोहित को बुलाकर कर सकते हैं। विषम परिस्थितियों में स्वयं ही पूर्व के तरफ देवताओं के लिये , उत्तर के तरफ ऋषियों एवम दक्षिण में पितरों के नाम पर मन में ध्यान एवम नामोच्चारण द्वारा जलांजलि तर्पण कर सकते हैं।

इसके आलावा भी बहुत कुछ भ्रांतियां है। जिसका बिना सोचे विचारे व बिना प्रमाणिकता के अनुसरण करने से देर सबेर नुकसान ही होना है, इसीलिये हमारे बड़े बुजुर्ग , किसी विद्वान को अपना कुलगुरू या कुल पुरोहित बनाकर हमेशा उनसे ही सलाह लिया करते थे।

पं त्रिभुवन महराज, श्री सिद्धि विनायक आश्रम फिंगेश्वर, राजिम,गरियाबंद, छत्तीसगढ़

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