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राम वन गमन पथ के महत्वपूर्ण स्थल के रुप में विकसित होगा रामाराम

मुख्य सचिव आरपी मंडल ने स्थल का अवलोकन कर सौन्दर्यीकरण और आवश्यक सुविधाएं विकसित करने के दिए निर्देश

धार्मिक और पर्यटन स्थल के तौर पर होगी रामाराम की पहचान

सुकमा जिले के रामाराम को धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में नई पहचान मिलेगी। राम वन गमन पर्यटन परिपथ में होने के कारण इसे धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। मुख्य सचिव आरपी मंडल छत्तीसगढ़ शासन की महात्वाकांक्षी योजना राम वन गमन पथ को मुर्तरुप देने के लिए आज सुकमा जिले के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल रामाराम पहुंचे। उन्होंने वहां अधिकारियों को इस महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के सौन्दर्यीकरण सहित आवश्यक सुविधाएं विकसित करने के संबंध में चर्चा की। साथ ही इस स्थान को आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव आर. पी. मण्डल को चर्चा के दौरान सुकमा जिले के कलेक्टर श्री चंदन कुमार ने बताया कि रामाराम मंदिर के प्रति लोगों में गहरी आस्था है। बस्तर के इतिहास के अनुसार 608 सालों से यहां मेला आयोजन होता आ रहा है। वहीं सुकमा जमीदार परिवार रियासत काल से यहां पर देवी-देवताओं की पूजा करते आ रहे है। मां रामारामिन की डोली रामाराम के लिए राजवाड़ा से निकलती है। लोग जगह-जगह इसकी पूजा-अर्चना करते हैं। रामाराम मेले के बाद जिले में जगह-जगह मेले के आयोजन की शुरूआत होती है।

उल्लेखनीय है कि यह स्थान राम वन गमन पथ के मार्ग पर स्थित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्रीराम अपने वनवास काल के दौरान दक्षिण की तरफ गमन के दौरान रामाराम पहुँचे थे, वर्तमान में यहां मंदिर है। रामाराम में प्रतिवर्ष फरवरी माह में भव्य मेला आयोजन होता आ रहा है।

मान्यता है कि श्री राम ने यहां देवी की आराधना की थी। श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास, नई दिल्ली द्वारा श्रीराम वनगमन स्थल के रूप में रामाराम को सालों पहले चिन्हित किया गया है। मुख्य सचिव आरपी मण्डल रामाराम स्थित रामारामीन चीटमीटीन अम्मा देवी के प्राचीन मंदिर में पूजा-अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली और समृद्धि के लिए आशीर्वाद लिया।

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