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आलेख – अभी तक निश्चिंत थे पर यह बीमारी मुहाने में आकर खडी हो गई है – डॉ. चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ

कोरोना की भयावहता बढते जा रही है । लोग चिंतित हैं इलाज नहीं है । अभी तक निश्चिंत थे पर यह बीमारी मुहाने में आकर खडी हो गई है । इलाज पर भरोसा कोई नहीं दे रहा है । पर बचाव के तरीकों की लिस्ट हर कोई दे रहा है । पर दुर्भाग्य यह है कि किस पर भरोसा करे किस पर नहीं यह समझ नहीं आ रहा है । कोई कहता है कि मास्क से सुरक्षित है तो कोई कहता है कि मास्क का कोई उतना रोल नहीं है । सैनेटाइजर पर भी दो मत नही है । सेनेटाइज के नकली होने पर ही प्रश्न चिन्ह लग रहा है । जो खबरें आ रही हैं कि नकली सेनेटाइजर बन रहे है तो वो एक और चिंता का विषय है । फिर एक आम आदमी कितनी चीजों को सेनेटाइज करेंगा । फिर जिन लोग काफी सुरक्षा के साये मे रहने वाले भी जब बिमारी की उनकी खबरें आती है तो एक सामान्य आदमी का चिंतित होना स्वाभाविक है । हालात तो यह है कि कोई अगर इससे प्रभावित है तो चाह कर भी कोई मदद नहीं कर सकता । वही किसी की मृत्यु पर तो वयक्ति शोक संवेदना भी वयक्त नहीं कर सकता । छत्तीसगढ़ के हालात काफी खराब हो गये है । शासकीय सुविधाओं की कमी महसूस होंने लगी है । सरकार के प्रयास नाकाफी है । वहीं प्रायवहेट चिकित्सा संस्थान पर आम आदमी का भरोसा उठ गया है । लोग वाटसअप पर फेसबुक पर शेयर कर रहे है कितना सही है कितना गलत है किसी को पता नहीं पर एक आम आदमी मे भय व्यापत है । कई बार तो व्यवसायिकता के चलते भी कही कोई कर भी रहा तो आश्चर्य की बात नहीं है । पर यह वीडियो आदि मनोबल तो तोड़ने का काम तो करते ही है । अभी कोविड मे तीन मित्रों का निधन हुआ । पर परिवार वालो को भी संवेदना देने भी नहीं जा सकते । इससे ज्यादा दुर्भाग्य जनक स्थिति क्या हो सकती है । यही हाल हर आम आदमी का है । लोग माहौल से दुखी हैं । क्या किया जाये समझ से परे है । लोगों को अपने आम कामो को कैसे करे उनके समझ से परे है । कोविड के साये मे काम निपटाना एक आदमी की मजबूरी सी हो गई है । चेहरे को ढककर निकलना रोज मर्रे की आदत सी हो गई है । हालात देखकर तो यह लगने लगता है कि इससे बाहर होंगे की नहीं । न इलाज का ठिकाना न वैक्सीन का ठिकाना और तो और लोगों को मालूम होने के बाद भी न अनुशासन का ठिकाना । फिर कैसे हम कोविड 19 से कैसे निपटेंगे यह भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है । केंद्र सरकार ने इस मसले से निपटने के लिए राज्य सरकार पर डाल दिया है । फिर राज्य सरकार कैसे पीछे रहती फिर उन्होंने कलेक्टर पर डाल दिया । फिर प्रशासन की कहां जिम्मेदारी । कुल मिलाकर इस पर राजनीति हो गई । आखिरकार मे जनता ही जिम्मेदार हैं । लोग अब सिर्फ वैक्सीन का रास्ता दिल से देख रहे है । पर उससे जुड़ी कोई बुरी खबरें आती है तो लोगों का दिल बैठ जाता है । वहीं वैक्सीन उसके पल्ले कब पडेगी यह भी उसके लिए चिंता का विषय है । अंदर का डर अपनो के सामने बाहर आ जाता है । वहीं आर्थिक स्थिति भी सामान्य नहीं है । पर इसकी परवाह किये बगैर इससे कैसे निजात पाये इस पर ही फोकस रहता है । जिन लोग वृद्ध है अकेले है उनके लिये एक एक पल महत्व पूर्ण है । कुछ नहीं फिल्म अंदाज का गाना ” जिंदगी एक सफर है सुहाना कल क्या होगा किसने जाना ” बस इसी कश्मकश में हर बंदा जी रहा है । बस इतना ही
डा. चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ

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