चर्चा में क्यूं आया Chutiya शब्द, लोग पढ़ रहे गूगल और विकिपीडिया पर जबरदस्त, जानिए क्यों
Chutiya’ शब्द को अपशब्द माना जाता है। बोलचाल की भाषा में तो इन्हें लोगों से बदसलूकी करने वाला शब्द माना ही जाता है, बल्कि अब तो कंप्युटर सिस्टम भी इसकी पहचान अपशब्द के तौर पर करते हैं। हाल ही में जब इस समुदाय की एक युवती ने नौकरी के लिए आनलाइन आवेदन भरा तो उसके सरनेम को सिस्टम ने स्वीकार ही नहीं किया। आखिरकार वो आनलाइन आवेदन नहीं कर सकी। बाद में उसने अपना दर्द फेसबुक पर बयां किया। इससे ये आदिवासी समुदाय चर्चाओं में आ गया।
बता दें कि विकीपीडिया पर भी इस संबंध में जानकारी दर्ज है, लोग उसे भी सर्च करके पढ़ रहे हैं। असम की एक युवती ने जब एक नौकरी के लिए आनलाइन आवेदन कर रही थी तो साइट ने उसके सरनेम को स्वीकार करने से मना कर दिया, क्योंकि ये Chutiya है और ऑनलाइन सिस्टम में इस शब्द को कई बार इसलिए स्वीकार नहीं किया जाता, क्योंकि इसे अपशब्द माना जाता है फिर उस युवती ने सीधे विभाग के उच्चाधिकारियों से बात करके अपने आवेदन को मंजूर कराया।
इसके बाद असम में रहने वाली उस जाति के बारे में उत्सुकता जरूर पैदा कर दी कि क्या वास्तव में भारत में कहीं Chutiya सरनेम या जाति वाले लोग रहते हैं। ये बात सही है कि असम में कचारी वर्ग के लोग अपनी जाति के रूप में Chutiya शब्द का इस्तेमाल करते हैं। इसे सूतिया भी उच्चारित किया जाता है। असम में इनकी आबादी 20 से 25 लाख के बीच है। असम के ‘Assamese Chronicle’ में Chutiya का इतिहास दर्ज है। ‘असमिया क्रॉनिकल’ के अनुसार इस समुदाय का नाम सातवीं शताब्दी की शुरुआत में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर निवास करने वाले ‘Chutiya King’ अस्सम्भिना के नाम पर रखा गया है।
उस काल में ‘Chutiya’ वंश के लोगों ने वर्तमान के भारतीय राज्यों असम और अरुणाचल प्रदेश में अपने साम्राज्य का गठन किया और वहां पर सन 1187 से सन 1673 तक राज्य किया। समूह के लोगों की शारीरिक बनावट पूर्व एशियाई और इंडो आर्यन का मिला-जुला रूप है। ऐसा माना जाता है कि असम में रहने वाला ये समूह पहला ऐसा समूह है, जिसके लोग दक्षिणी चीन (वर्तमान में तिब्बत और सिचुआन) से स्थानांतरित होकर आये थे।
प्राचीन समय में जब ‘Chutiya’ लोगों का राज्य था, उस वक़्त वो एरिया लगभग लखीमपुर और सुबानसिरी नदी के पीछे का हिस्सा जितना था। ये लोग पूरे राष्ट्र का संचालन ब्रह्मपुत्र के उत्तरी छोर से करते थे। पहले ये लोग तिब्बती-बर्मन मूल की भाषा बोलते थे, लेकिन धीरे-धीरे इन्होंने हिंदू धर्म को अपनाने के साथ असमिया बोलना शुरू कर दिया। इन लोगों के निवास का मूल स्थान असम आकर बसने से पहले सिचुआन हुआ करता था।
Chutiya समुदाय को भारत सरकार ओबीसी यानि अन्य पिछड़ा वर्ग में रखती है और मूलतौर पर असमी बोलने वाले माने जाते हैं। अब ज्यादातर इस समुदाय के लोग असम के ऊपरी और निचले जिलों के साथ बराक घाटी में रहते हैं। बिष्णुप्रसाद राभा, डब्ल्यूबी ब्राउन और पवन चंद्र सैकिया ने अपनी किताब द डिबोनगियास में लिखा है।
शब्द chu-ti-ya मूलतौर पर देओरी Chutiya भाषा से आया है, जिसका मतलब है कि शुद्ध पानी के करीब रहने वाले लोग। इसमें चू का अर्थ प्योर यानि शुद्ध या अच्छा, ति का मतलब पानी और या यानि उस भूमि में रहने वाले निवासी या लोग। आरएम नाथ ने अपनी किताब बैकग्राउंड ऑफ असमीज कल्चर में दावा किया है कि पहाड़ की चोटी (जिसे यहां की भाषा में चूट) से इस शब्द की उत्पत्ति हुई है।
बता दें कि ऊपरी असम के मैदानी इलाकों में आने से पहले ये लोग पहाड़ों पर ही रहते थे। इस समुदाय के बहुत लोकगान हैं, जिसके जरिए वो कहते हैं कि वो भूमिक्का औऱ सुबाहु चुटन के वंशज हैं। कहा जाता है उत्तरी ब्रह्मपुत्र के इलाके में इस साम्राज्य का उदय प्राचीन पाल वंश के खत्म होने के बाद हुआ। ये 400 सालों से ज्यादा समय तक यहां राज करता रहा, जिसमें मौजूदा असम के उत्तर पूर्वी इलाके और अरुणाचल प्रदेश थे।
मौजूदा असम के लखीमपुर, धेमजी, तिनसुकिया और जोरहाट, डिब्रुगढ़, सोनितपुर के कुछ हिस्से इसमें आते थे। इस समुदाय के लोग काली के विभिन्न अवतारों की पूजा करते हैं। आजकल ज्यादातर इस समुदाय के लोग एकसरना धर्म के फॉलोअर हैं। जिसकी स्थापना 15वीं शताब्दी में असम में हुई थी। लेकिन बड़े पैमाने पर Chutiya समुदाय के ऐसे भी लोग हैं जो हिंदू हैं और काफी बड़ी तादाद में हैं। ये कई छोटे समुदायों में भी बंटे हुए हैं।