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HP: हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की



Bilaspur. बिलासपुर। जिला बिलासपुर में कृष्ण जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान जिला के मंदिरों में भी जन्माष्टमी पर्व की धूम रही। बिलासपुर शहर में इस पर्व के मौके पर भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। वहीं, जिला के अन्य शहरों घुमारवीं, बरठीं, तलाई, स्वारघाट, जुखाला में भी यह पर्व धूमधाम से मनाया गया। उधर, श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए कथावाचक पुनीत शर्मा भगवान श्रीकृष्ण के हाथों कंस के उद्धार का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि जब कंस के पाप अत्यधिक बढ़ गए तो सभी भयभीत हो गए। ऐसे में कंस को भी भय था कि उसके प्राणों का घातक न

सिर्फ जन्म ले चुका है।

बल्कि सुरक्षित स्थान पर पहुंच गया है। शिशु रूप कान्हा को मारने के लिए कंस ने कागासुरए बकासुर तथा पूतना जैसे दुर्दांत राक्षकों को भेजा लेकिन ईश्वर ने उनका वध कर दिया। कंस ने अपने षडय़ंत्र की पूर्ति करते एक मल युद्ध रखा जिसमें आसपास के इलाके के पहलवानों को सादर आमंत्रित किया। इस मल युद्ध में शिव धनुष को भी रखा गया। पंडित ने बताया कि नंद बाबा अपने 11 वर्षीय कन्हैया और बलराम को लेकर युद्ध देखने के लिए पहुंच गए। वहां पर सबसे पहले इन बालकों ने जब शिव धनुष तोड़ा तो कंस का भय और बढ़ गया। वहीं, इन दोनों नौनिहालों ने कंस से सभी योद्धाओं को मार दिया। पंडित ने बताया कि साथ ही भगवान ने एक मुष्टिका के प्रहार से कंस को प्राणमुक्त कर दिया।



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