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आज की बात लिव इन रिलेशनशिप पर, कल की घटना ने पुरे देश को स्तब्ध कर दिया


आज डा.वाघ की वाल पर हम लिव इन रिलेशनशिप पर ही बात करेंगे । कल की घटना ने पूरे देश को ही स्तब्ध कर दिया है ।  हमारा दुर्भाग्य है घटनायें भी विचारधारा और वोट बैंक की शिकार हो गई है ।  इसलिए जो विरोध दिखना चाहिए उसका नितांत अभाव है । यह।घटना कोई पहली घटना नही है । पर इस मामले ने पूरी मानवता को ही शर्म सार कर दिया है ।  आज का युवा अपने को जरूरत से ज्यादा समझदार समझता है । उसको अपने अभिभावक की सलाह की कोई आवश्यकता नही है ।  वही आधुनिकता के नाम से यह इस तरह के वाहियात व फूहड संस्कारो ने जगह ले ली है । इस तरह के संस्कार आपकी कुछ समय के लिए जरूरते  तो पूरी कर सकते है पर इसकी परिणिति बहुत दुखद होती है । पैर मे कुल्हाड़ी मारना सुना है पर यहां तो कुल्हाड़ी मे ही पैर मार रहे है ।  वैसे भी जब हम बच्चो को स्वच्छन्दता देते है तो किस सीमा तक देनी चाहिए यह पालको को भी पता होनी चाहिए। वही यह कटु सत्य है की अंतर्जातीय विवाह व अंतरधरमीय विवाह बहुत कम सफल होते है ।  सामंजस्यता का अभाव कुछ समय पर ही दिखाई देने लगता है । अब बालीवुड पर नजर मारो तो पूरी की पूरी लिस्ट ही सामने आ जाएगी ।  हाल तो यह है इस देश मे जिसको रहने मे डर लगता था वह भी अकेले मे रहने को मजबूर है और उसे अब डर भी नही लग रहा है ।  वही हाल अंतरराष्ट्रीय स्तर के विवाह का भी है । कुल मिलाकर जब चकाचौंध खत्म हो जाता है वही रोज का पाला पडता है फिर वह प्यार का रंग रोगन उड जाता है । बहुत कम लोग होते है जो अपना कमिटमेंट पूरा करते है ।  यहां तो शादी के पहले ही लक्ष्य रहता है की यूज एंड थ्रो तो इसके पूरा होने का सवाल ही नही उठता । जब परिवार वालो की बात अनसुनी हो जाती है उनकी सलाह को दरकिनार कर दिया जाता है कुछ मामलो मे तो यह हिम्मत भी नही बचती की परिवार से कुछ सहयोग ले लिया जाए । कुछ भी हो परिवार की सहमति से हुए विवाह मे कभी कुछ अडचन भी आती है तो पूरा परिवार शिद्दत के साथ पीछे खडा रहता है ।  कुछ समय के ही पहचान मे परिवार को ही दरकिनार करना कौन सी विद्वता है । कैसे लिव रिलेशनशिप के कांसेप्ट पर लोग धृष्टता से तैयार हो जाते है । जिस रिलेशनशिप को समाज स्वीकार नही कर रहा है फिर ऊंच-नीच मे कौन खडा होगा ।  वैसे भी विवाह जैसे संवेदनशील विषय पर पूरी तरह से कसौटी मे खरे उतरने के बाद ही सामान्य तया लोग आगे बढते है ।  वही रिलेशनशिप मे सामने वाले की थोड़ा-बहुत ही मालूमात मे यह संबंध स्थापित हो जाते है जिसकी दुखद परिणिति देखने को मिलती है । दुर्भाग्य यह है यह घटनाक्रम भी आगे होने वाले घटनाओ को रोकने मे मददगार साबित नही होती तो यह और दुख का विषय है ।  कुछ समय बाद ही जरूरत से ज्यादा विश्वास इस धोखे का मूल कारण बनता है ।  वही इस रिलेशनशिप मे कही कोई जवाबदेही तय नही होती न सामाजिक न कानूनी फिर कोई क्यो इसका परवाह करने लगे । फिर थोडी सी तकरार जो आगे चलकर नासूर बन जाती है जिससे पीछा छुडाना ही जब ध्येय बन जाता है तो इस तरह के दुखद मामले देखने को मिलते है । इस घटनाक्रम के बाद भी अगर कोई और ऐसा ही समाचार सुनने को मिले तो बस कुल्हाड़ी मे ही पैर मारने वाली बात है ।
बस इतना ही
डा. चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ





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