राज्यपाल अनुसुईया उइके कल कांकेर जिले के ग्राम जैसाकर्रा चारामा में आयोजित बिरसा मुण्डा जयंती में शामिल हुई। उन्होंने विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि यदि किसी ने समाज के लिए पहली लड़ाई लड़ी तो वे बिरसा मुण्डा हैं। उन्होंने आदिवासी समाज को एक नई दिशा देने का काम किया, साथ ही देश की आजादी में भी अपना योगदान दिया, जिसके लिए वे सदैव याद किए जाएंगे।
राज्यपाल उइके ने कहा कि मैं आदिवासी समाज में जन्म ली हॅू, इसलिए उनकी पीड़ा और दुख दर्द को अच्छी तरह समझती हूॅ। मुझे छत्तीसगढ़ में राज्यपाल का संवैधानिक पद प्राप्त है, जिसका निर्वहन करते हुए मैं आपके तकलीफ को दूर करने और न्याय दिलाने का प्रयास करूंगी। जब से राज्यपाल का पदभार सम्हाला है, तब से विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों से मुलाकात हुई है और उनकी समस्याओं को जानने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि जनजातियों के लिए संविधान में बहुत सारे प्रावधान किये गये हैं। नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था की गई है, पेशा कानून बनाये गये हैं, ग्राम सभा को सशक्त किया गया है।
राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले लोग नक्सल समस्या से जूझ रहें हैं, जिसके निदान के लिए आने वाले समय में जनजातीय समुदाय के जनप्रतिनिधियों के साथ चिंतन-मनन किया जाएगा। उइके ने कहा कि राज्य शासन द्वारा नक्सली समस्या के निदान के लिए प्रयास किये जा रहे हैं तथा पीड़ित परिवारों के लिए आवास की व्यवस्था भी की जा रहीं है। नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ में राजस्व भूमि के सर्वे के लिए शासन द्वारा आदेश दिया गया है। इसी प्रकार बस्तर एवं सरगुजा संभाग में पृथक से कर्मचारी चयन बोर्ड का गठन किया गया है, जहां स्थानीय लोगों को तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के पदों पर नियुक्ति मिलेगी।
राज्यपाल ने कहा कि मेरा प्रयास होगा कि आदिवासी समाज खुशहाल हो, उनकी आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में सुधार आये, किसी व्यक्ति के साथ अन्याय न हो और उन्हें रोजगार के अवसर प्राप्त हों। उन्होंने कहा कि पूरे हिन्दुस्तान में आज आदिवासी संस्कृति जिंदा है और यही हमारी सबसे बड़ी पूॅजी है। उन्होंने आदिवासी समाज की भलाई के लिए व्यक्तिगत विचारों को एक तरफ रख कर और समाज हित में संगठित होकर कार्य करने पर जोर देते हुए कहा कि बहुत सारे लोगों ने समाज को नई दिशा देेने का कार्य किया है, जिसमें हमें भी अपनी भागीदारी निभानी है।
राज्यपाल शामिल हुई रेला नृत्य में
बिरसा मुण्डा जयंती के अवसर पर आदिवासी लोक नृत्य दलों द्वारा रेला नृत्य का किया जा रहा था, जिसे देखकर राज्यपाल अनुसुईया उइके अपने आप को न रोक सकीं और वे स्वयं भी नर्तक दलों के बीच जाकर रेला नृत्य में शामिल हुईं, जिसकी लोगों द्वारा जमकर तारीफ की गई। सामुदायिक भवन में आयोजित विचार गोष्ठी में शामिल हुई राज्यपाल बिरसा मुण्डा जयंती पर चारामा के सामुदायिक भवन में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया था, जिसमें राज्यपाल अनुसुईया उइके शामिल हुई। विचार गोष्ठी में आदिवासी समाज के लोगों ने अपनी समस्याओं से अवगत कराया, जिनके निदान के लिए आवश्यक पहल करने की बात राज्यपाल द्वारा कही गई।