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Ukraine Russia War आलेख – यूक्रेन पर बडे पैमाने पर हमला कर रहा रूस, भारत के इतिहास के जयचंद भी कम नहीं – cgtop36.com


डा. वाघ की वाल से आज अपनी बात पर यूक्रेन पर ही कुछ बात कर ली जाए। छह दिन से लगातार रूस अपने ही पूर्व साथी यूक्रेन पर बडे पैमाने पर हमला कर रहा है । यही वह रूस है जिसने पैंसठ के युद्ध मे हमारी जीतती हुई सेना को पाक के साथ शांतिपूर्ण बात करने के अपनी राजधानी ताशकंद मे बात करने के लिए माहौल बनाया था । वह बाद मे ताशकंद समझौते के नाम से लोग जानते है । इस समझौते मे हमने सब गंवाया । इस समझौते मे हमने पूर्व प्रधानमंत्री स्व.लाल बहादुर शास्त्री को जहां संदेहास्पद मृत्यु मे खोया वहीं हमने पाकिस्तान से जीती हुई जमीन तक लौटाने को मजबूर हुए । यह शांति का झुनझुना हमने हर युद्ध के बाद की समझौते के टेबल पर एक ट्राफी के रूप मे सजाया हुआ है । यह वह देश है दूसरो को तो बहुत उपदेश देते है पर अपने समय यह लोग तब तक पीछे नही हटते जब तक इनका ध्येय पूरा नही हो जाता । फिर हालात से इन्हे कोई लेना-देना नही रहता । इस बात को मानना होगा इनके नेता दृढ निश्चय वाले होते है कभी भी दबाव मे नही आते । दूसरे तरफ हमारे यहां के नेता ऐसे समय मे यह देखते रहते है की कोई बीच बचाव वाला कोई कैसे नही आ रहा है । वही हमारे यहां के नेताओ के जेब मे एक अहिंसा की माला हर समय रहती है । जो उन्हे विश्व बिरादरी मे अपने को बडा दिखाने व क्षमा व मानवता का रूप दिखाने के काम आती है । ऐसे समय देश का अहित राष्ट्र का नुकसान से इन्हे कोई मतलब नही रहता । इन्हे पहले अपनी छबि की जबरदस्त चिंता रहती है । यही कारण है की पिछले दो दशको से आतंकवादी घटनाओ मे हमारा खून नही खौला । मुंबई के आतंकवादी घटनाओ मे हमने भरपूर गाल बजाकर इन आतंकवादी घटनाओ की निंदा की पर हमने उस देश को कोई तकलीफ नही दी जिसने यह घटनाओ को अंजाम दिया । हम कितने संजीदा रहते है की आलोचना भी हमारे मंत्री सूट बदल बदलकर करते थे । और कैसा आतंकवाद से लडाई लडी जाती है । हमारे इतिहास के जयचंद भी इस देश के कुछ लोगो के लिए राजनीतिक आदर्श रहे है । मुंबई हमला भी पहले तो भगवा आतंकवाद दिखाने की कोशिश ज्यादा थी भला हो शहीद तुकाराम का जिन्होने जिंदा कसाब को पकड कर हमले के  सत्य को लोगो के सामने ला दिया । पर मालूम होने के बाद भी हमने क्या कर लिया कुछ न कर उनका सिर्फ हौसला अफजाई की । हम लोग तो वो शांति के मसीहा है जो हर समय अफजल कसाब के लिए आखरी श्वांस तक खडे रहते है । ऐसे लोगो के रहते हमारे देश से लगे आतंकवादी काफी प्रसन्न चित और बेखौफ रहते है । इसलिए पडोसी धर्म का निर्वाह करते हुए कभी हमारे शहीद सैनिक के सर काटकर तश्तरी मे रखकर भेजा जाता है अंग विच्छेद कर शहीद के शव लौटाने की भी गौरव पूर्ण परंपरा रही है । पर क्या मजाल हमने शांतिमय वातावरण के लिए शांति की ऐसी घूंटी पी हुई थी की हम सिर्फ अपना गाल बजाकर अपनी रस्म अदायगी कर देते थे । मै तो विषय मे कहां चला गया अगर मै देखू तो विश्व भले पुतिन को हिटलर कहे पर वह अपने देश के दृष्टिकोण से बिल्कुल सौ प्रतिशत सही है । अपने देश के हित के लिए उसका यह कदम भले अव्यवहारिक लग रहा हो पर रूस का हित इसी मे है । यह हो सकता है की युद्ध की प्लानिंग मे जैसा सोचा वैसा भले न हुआ हो । क्योकि अमेरिकन व नाटो देशो ने जो वचन उसे दिया उस पर वह लोग कायम नही है । फिर अपने घर के आगे दुश्मन देश की दस्तक वह क्यो स्वीकार करे । फिर दूसरी तरफ यूक्रेन का राष्ट्रपति इतना राष्ट्रवादी निकलेगा यह कल्पना किसी  ने नही की होगी । एक मज़बूत देश के सामने कैसे लडा जाता है यह उसका आदर्श है । मै तो सिर्फ यह आशा करता हू की मेरे देश के नेताओ के लिए यह लोग आदर्श बनना चाहिए। वैसे इस देश का सौभाग्य है की मोदी जी के आने के बाद यह बाते हम देखने को मिल रही है । नही तो शांतिपूर्ण माहौल बनाने के नाम से देश के लोगो ने सैनिको पर पत्थर व मारते हुए दृश्य भी देखा है । राष्ट्रवाद का ही जो संदेश है जिसके कारण हम आतंकवाद की घटनाओ की पुनरावृत्ति से बचे हुए है । अगर यहां का कोई रूस का राष्ट्रपति होता तो विपक्ष ही सडको पर आ  जाता हिटलर मुसोलिनी दूसरे के पहले हम ही कह देते । अगर यूक्रेन का राष्ट्रपति होता तो घुटने टेकने के लिए मजबूर कर देते । देखो आगे क्या होता है ।
बस इतना ही
डा. चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ 



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